Friday, 17 October 2025

"Bapu: The Life Story of Haji Chhote Baksh Ansari" ""बापू: हाजी छोटे बक्श अंसारी की ज़िन्दगी की दास्तान"

Index of the Book
Biography of Haji Chhote Baksh Ansari (Bapu)

Birth Name: Haji Chhote Baksh Ansari
Title (Laqab): Bapu
Key Life Events

Date of Birth (Hijri Calendar): 28 Sha'ban 1384 (Friday)
Date of Death (Hijri Calendar): 23 Safar 1445 (Saturday)
Date of Birth (Gregorian Calendar): 1 January 1965
Date of Death (Gregorian Calendar): 9 September 2023
Personal Information (Shakhsiyat Ki Tafsilat)
Name (Naam): Haji Chhote Baksh Ansari
Lakab (Title): Bapu
Date of Birth (Tareekh-e-Paidaish):
Hijri: 28 Shabaan 1384 (Friday)
Gregorian: 1st January 1965
Date of Death (Tareekh-e-Intiqal):
Hijri: 23 Safar 1445 (Saturday)
Gregorian: 9th September 2023

Details of Final Rites (Akhri Rasoomaat Ki Tafsilat)

  1. Ghusl (Ghusl Dena):

    • Date: 9th September 2023
    • Time: Started after 2:30 PM
    • Completed by 3:11 PM at home.
  2. Burial Timing (Kafan aur Daakhil-e-Qabr):

    • Entered Cemetery: Around 4:00 PM
    • Began Throwing Soil (Mitti Daalna Shuru): At 4:15 PM
    • Completed Burial (Mitti Mukammal): By 5:00 PM
  3. Namaz-e-Janaza (Janaza Ki Namaz):

    • Performed after Zuhr Salah and before Asr Salah.

Sequence of Events (Waqeaat Ki Tarteeb):

  • Ghusl Process:
    Ghusl started after 2:30 PM and concluded by 3:11 PM.

  • Cemetery Entry:
    The funeral procession reached the cemetery around 4:00 PM.

  • Burial Process:

    • Throwing soil began at 4:15 PM.
    • Complete burial process was finalized by 5:00 PM.

Additional Notes (Zaroori Tabsire):

  • The entire process was carried out with proper Islamic rites.
  • The timings strictly adhered to Sunnah, ensuring burial was completed between Zuhr and Asr Salah.

  • हाजी छोटे बक्श अंसारी [लक़ब: बापू]
  • (मालूमात पाकिस्तानी अंदाज़ में)
ज़ाती मालूमात (शख़्सियत की तफ़सीलात)
नाम: हाजी छोटे बक्श अंसारी
लक़ब: बापू
पैदाइश की तारीख:
हिजरी: 28 शाबान 1384 (जुमा)
ग्रेगोरियन: 1 जनवरी 1965
इंतक़ाल की तारीख:
हिजरी: 23 सफ़र 1445 (शनिवार)
ग्रेगोरियन: 9 सितम्बर 2023
आख़िरी रसूमात (दफ़न के अमल की तफ़सीलात)
गुसल का वक़्त:

तारीख: 9 सितम्बर 2023
वक़्त: दोपहर 2:30 बजे के बाद शुरू हुआ और 3:11 PM पर मुकम्मल हुआ।
दफ़न का वक़्त:

कब्रिस्तान में दाख़िल: तक़रीबन 4:00 PM
मिट्टी डालने की शुरुआत: 4:15 PM
दफ़न मुकम्मल: 5:00 PM तक।
नमाज़-ए-जनाज़ा:

जोहर की नमाज़ के बाद और असर की नमाज़ से पहले अदा की गई।
वाक़ियात की तरतीब (अमल की तफ़सीलात):
गुसल का अमल:
दोपहर 2:30 बजे के बाद शुरू हुआ और 3:11 PM तक मुकम्मल हुआ।

कब्रिस्तान पहुंचने का वक़्त:
जनाज़ा 4:00 PM पर कब्रिस्तान पहुंचा।

दफ़न का अमल:

मिट्टी डालने का अमल 4:15 PM पर शुरू हुआ।
5:00 PM तक मुकम्मल हो गया।
ज़्यादा मालूमात (ज़मीनी तब्सिरा):
ये पूरा अमल इस्लामी तौर-तरीक़ों और सुन्नत के मुताबिक़ अंजाम दिया गया।
जनाज़ा और दफ़न के दर्मियान तमाम वक़्त ज़ुहर और असर की नमाज़ के बीच रखा गया।
मुख़्तसर बयान (Summary Notes):

पैदाइश: हाजी छोटे बक्श अंसारी की पैदाइश 28-शाबान-1384 हिजरी (जुमा) को 1 जनवरी 1965 ग्रेगोरियन तारीख के मुताबिक़ ररूआ में हुई।
इंतक़ाल: आपका इंतक़ाल 23-सफ़र-1445 हिजरी (शनिवार) को 9 सितंबर 2023 ग्रेगोरियन तारीख के मुताबिक़ बरेली आला हजरत हॉस्पिटल में हुआ।
गुसल: गुसल का वक्त 3:11 PM (09-सितंबर-2023) को घर में हुआ।
मिट्टी:
कब्रिस्तान में दाखिल होने का वक्त: 4:00 PM।
मिट्टी डालने की शुरुआत: 4:15 PM।
मिट्टी की तकमील: 5:00 PM।
यह प्रक्रिया जोहर की नमाज़ के बाद और असर की नमाज़ से पहले मुकम्मल हुई।

Thursday, 16 October 2025

यह पूरी शायरी सूरह फ़ातिहा का तर्जुमा और निचोड़ है —जो हमें बताती है कि इंसान को सिर्फ़ अल्लाह की इबादत करनी चाहिए,सीधा रास्ता (सरात-ए-मुस्तक़ीम) मांगना चाहिए,और उन लोगों के नक़्श-ए-कदम पर चलना चाहिए जिन पर रहमत हुई —न कि उन पर जो गुमराह या ग़ज़ब के शिकार हुए।



1️⃣ मतला:
अल्लाह के नाम से शुरू करूं, जो रहमत का दरिया है,
➡️ मतलब: यह “बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम” का तर्जुमा है — यानी “मैं शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से, जो बहुत मेहरबान और रहमत वाला है।”
"रहमत का दरिया" का मतलब — अल्लाह की रहमत समंदर से भी ज़्यादा फैली हुई है।

2️⃣ हर दिल में उसका नूर बसे, वो मालिक बरिया है।
➡️ मतलब: “अलहम्दुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन” का मानी — यानी सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए हैं, जो सब जहानों का पालने वाला है।
"बरिया" यानी सृष्टि या मख़लूक़ात — मतलब, वही सारे जहां का मालिक है।

3️⃣ सारी खूबियां उसी को हैं, जो सब जहां का पालनहार है,
➡️ मतलब: यह भी “रब्बिल आलमीन” का तर्जुमा है — यानी हर चीज़ का असली मालिक और रब्ब वही है जो सबकी देखभाल करता है।

4️⃣ मक्का की सरज़मीं गवाह, वही सबसे रहमदार है।
➡️ मतलब: “अर्रहमानिर्रहीम” — यानी अल्लाह बहुत रहम करने वाला और दया से भरपूर है।
मक्का की ज़मीन (जहां कुरआन उतरा) उसकी रहमत की गवाह है।

5️⃣ रोजे-जज़ा का हुक्म वही, जो इंसाफ का दरबार है,
➡️ मतलब: “मालिकी यौमिद्दीन” — यानी अल्लाह ही क़ियामत के दिन (इंसाफ के दिन) का मालिक है।
वही तय करेगा कि किसको जन्नत मिलेगी और किसको सज़ा।

6️⃣ हम उसकी इबादत करते हैं, वही हमारी रहनुमा है।
➡️ मतलब: “इय्याक नअबुदु व इय्याक नस्तईन” — यानी “हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं।”
इसमें बंदगी और भरोसे का एज़हार है।

7️⃣ हमको सीधा रास्ता दिखा, वो सरात-ए-मुस्तक़ीम है।
➡️ मतलब: “इहदिनस्सिरातल मुस्तक़ीम” — यानी “हमें सीधा रास्ता दिखा।”
यह दुआ है कि हमें अल्लाह हक़ और नेकी के रास्ते पर कायम रखे।

8️⃣ जिन पर तूने रहमत की, वो काफ़िला करीम है।
➡️ मतलब: “सिरातल्लज़ीना अनअमता अलैहिम” — यानी “उनका रास्ता जिन पर तूने रहमत की।”
यह नेक और सच्चे लोगों का ज़िक्र है जिन पर अल्लाह ने अपनी नेमतें बरसाईं।

9️⃣ न ग़ज़ब वालों की राह पे, न गुमराहों का सफ़र है।
➡️ मतलब: “ग़ैरिल मग़दूबि अलैहिम वलद्दाल्लीन” — यानी “उनका रास्ता नहीं जिन पर तेरा ग़ज़ब हुआ और जो गुमराह हुए।”
मतलब, अल्लाह से दुआ है कि हमें ज़ालिमों और भटके हुए लोगों के रास्ते से बचा।

10️⃣ बस तेरी रहमत का सहारा, यही बंदगी का असर है।
➡️ मतलब: यह पूरी सूरह का निचोड़ है — कि बंदा अगर सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करे, तो उसकी रहमत ही उसे सही राह पर ले जाती है।

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