1️⃣ मतला:
अल्लाह के नाम से शुरू करूं, जो रहमत का दरिया है,
➡️ मतलब: यह “बिस्मिल्लाह हिर्रहमानिर्रहीम” का तर्जुमा है — यानी “मैं शुरू करता हूँ अल्लाह के नाम से, जो बहुत मेहरबान और रहमत वाला है।”
"रहमत का दरिया" का मतलब — अल्लाह की रहमत समंदर से भी ज़्यादा फैली हुई है।
2️⃣ हर दिल में उसका नूर बसे, वो मालिक बरिया है।
➡️ मतलब: “अलहम्दुलिल्लाहि रब्बिल आलमीन” का मानी — यानी सारी तारीफ़ें उसी अल्लाह के लिए हैं, जो सब जहानों का पालने वाला है।
"बरिया" यानी सृष्टि या मख़लूक़ात — मतलब, वही सारे जहां का मालिक है।
3️⃣ सारी खूबियां उसी को हैं, जो सब जहां का पालनहार है,
➡️ मतलब: यह भी “रब्बिल आलमीन” का तर्जुमा है — यानी हर चीज़ का असली मालिक और रब्ब वही है जो सबकी देखभाल करता है।
4️⃣ मक्का की सरज़मीं गवाह, वही सबसे रहमदार है।
➡️ मतलब: “अर्रहमानिर्रहीम” — यानी अल्लाह बहुत रहम करने वाला और दया से भरपूर है।
मक्का की ज़मीन (जहां कुरआन उतरा) उसकी रहमत की गवाह है।
5️⃣ रोजे-जज़ा का हुक्म वही, जो इंसाफ का दरबार है,
➡️ मतलब: “मालिकी यौमिद्दीन” — यानी अल्लाह ही क़ियामत के दिन (इंसाफ के दिन) का मालिक है।
वही तय करेगा कि किसको जन्नत मिलेगी और किसको सज़ा।
6️⃣ हम उसकी इबादत करते हैं, वही हमारी रहनुमा है।
➡️ मतलब: “इय्याक नअबुदु व इय्याक नस्तईन” — यानी “हम तेरी ही इबादत करते हैं और तुझी से मदद मांगते हैं।”
इसमें बंदगी और भरोसे का एज़हार है।
7️⃣ हमको सीधा रास्ता दिखा, वो सरात-ए-मुस्तक़ीम है।
➡️ मतलब: “इहदिनस्सिरातल मुस्तक़ीम” — यानी “हमें सीधा रास्ता दिखा।”
यह दुआ है कि हमें अल्लाह हक़ और नेकी के रास्ते पर कायम रखे।
8️⃣ जिन पर तूने रहमत की, वो काफ़िला करीम है।
➡️ मतलब: “सिरातल्लज़ीना अनअमता अलैहिम” — यानी “उनका रास्ता जिन पर तूने रहमत की।”
यह नेक और सच्चे लोगों का ज़िक्र है जिन पर अल्लाह ने अपनी नेमतें बरसाईं।
9️⃣ न ग़ज़ब वालों की राह पे, न गुमराहों का सफ़र है।
➡️ मतलब: “ग़ैरिल मग़दूबि अलैहिम वलद्दाल्लीन” — यानी “उनका रास्ता नहीं जिन पर तेरा ग़ज़ब हुआ और जो गुमराह हुए।”
मतलब, अल्लाह से दुआ है कि हमें ज़ालिमों और भटके हुए लोगों के रास्ते से बचा।
10️⃣ बस तेरी रहमत का सहारा, यही बंदगी का असर है।
➡️ मतलब: यह पूरी सूरह का निचोड़ है — कि बंदा अगर सच्चे दिल से अल्लाह की इबादत करे, तो उसकी रहमत ही उसे सही राह पर ले जाती है।
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