Wednesday, 11 December 2024

There is a hadith related to dog.

There is a hadith related to dog.

आप (सल्ल०) ने फ़रमाया कि एक शख़्स ने एक कुत्ते को देखा जो प्यास की वजह से गीली मिट्टी खा रहा था। तो उस शख़्स ने अपना मोज़ा लिया और उस से पानी भर कर पिलाने लगा यहाँ तक कि उसको ख़ूब सैराब कर दिया। अल्लाह ने उस शख़्स के इस काम की क़द्र की और उसे जन्नत में दाख़िल कर दिया।
Sahih Bukhari 173

से" का अंग्रेजी में कई प्रीपोजिशन Many prepositions of "from" in English.


"से" का अंग्रेजी में कई प्रीपोजिशन के रूप में अनुवाद किया जा सकता है, जो संदर्भ पर निर्भर करता है। यहाँ कुछ महत्वपूर्ण प्रीपोजिशन दिए गए हैं जो "से" के लिए प्रयोग किए जाते हैं:
"From" can be translated as several prepositions in English, depending on the context. Here are some important prepositions used for "from":


1.From 
जब किसी जगह, समय या स्रोत को इंगित करना हो।
When a place, time or source is to be indicated.
Examples:
I came from Delhi. (मैं दिल्ली से आया हूँ।)
This letter is from my friend. (यह पत्र मेरे दोस्त से है।)
The school is closed from Monday. (स्कूल सोमवार से बंद है।)
He learned from his mistakes. (उसने अपनी गलतियों से सीखा।)
We will start from here. (हम यहाँ से शुरू करेंगे।)
2. By:
जब साधन या माध्यम को इंगित करना हो।When the means or medium is to be indicated.
Examples:
He came by car. (वह कार से आया।)
The book was written by her. (यह किताब उसके द्वारा लिखी गई थी।)
The work was completed by the team. (काम टीम से पूरा हुआ।)
He earns his living by teaching. (वह पढ़ाने से अपनी जीविका कमाता है।)
They travelled by train. (वे ट्रेन से यात्रा कर रहे थे।)
3. With:
जब किसी साधन या औजार को इंगित करना हो।When a device or tool needs to be indicated.
Examples:
He cut the paper with scissors. (उसने कागज़ को कैंची से काटा।)
She painted the wall with a brush. (उसने दीवार को ब्रश से रंगा।)
He wrote the letter with a pen. (उसने पेन से पत्र लिखा।)
He fought with courage. (उसने साहस से लड़ाई की।)
They opened the door with a key. (उन्होंने दरवाजा चाबी से खोला।)
4. Since:
जब किसी समय की शुरुआत को इंगित करना हो।When indicating the beginning of a point in time.
Examples:
I have been living here since 2010. (मैं यहाँ 2010 से रह रहा हूँ।)
She has not eaten anything since morning. (वह सुबह से कुछ नहीं खाई है।)
They have been friends since childhood. (वे बचपन से दोस्त हैं।)
He has been studying since 5 o'clock. (वह 5 बजे से पढ़ाई कर रहा है।)
We have known each other since last year. (हम पिछले साल से एक दूसरे को जानते हैं।)
5. Through:
जब किसी माध्यम, रास्ते या प्रक्रिया को इंगित करना हो।When a medium, path or process is to be indicated.
Examples:
We travelled through the forest. (हम जंगल से गुज़रे।)
The message was sent through email. (संदेश ईमेल से भेजा गया।)
He looked through the window. (उसने खिड़की से देखा।)
They passed through many difficulties. (वे कई कठिनाइयों से गुजरे।)
The water flows through the pipe. (पानी पाइप से बहता है।)
प्रीपोजिशन के नियम:
प्रीपोजिशन हमेशा किसी न किसी वाक्य के हिस्से को दूसरे हिस्से से जोड़ने के लिए काम आते हैं।
प्रीपोजिशन का चुनाव उस वाक्य के संदर्भ और अर्थ के आधार पर होता है। जैसे:
Prepositions are always used to connect one part of a sentence to another.
The choice of preposition is based on the context and meaning of that sentence. For example:
स्थान के लिए: from, with आदि।
समय के लिए: since, from आदि।
साधन या उपकरण के लिए: by, with आदि।
Phrasal Verbs में प्रीपोजिशन का प्रयोग अलग से भी होता है, जैसे "look at," "depend on," आदि।
कुछ अन्य प्रीपोजिशन:
Against: जब विरोध या मुकाबले को दिखाना हो।

He is fighting against injustice. (वह अन्याय से लड़ रहा है।)
Out of: किसी स्थिति से बाहर आना।

He jumped out of the window. (वह खिड़की से कूदा।)
Without: जब किसी चीज़ की अनुपस्थिति को दिखाना हो।

He did the work without help. (उसने मदद के बिना काम किया।)
इन प्रीपोजिशन का प्रयोग करते समय ध्यान रखना आवश्यक है कि सही संदर्भ के अनुसार उनका चुनाव किया जाए।While using these prepositions, it is important to take care to choose them according to the correct context.










pangrammatic word पैनग्रामेटिक शब्द

Pangrammatic Word को हिंदी में समग्राक्षरी कहते हैं।
English Definition:
A pangram is a sentence that contains every letter of the alphabet at least once. For example, in English, the sentence "The quick brown fox jumps over the lazy dog" includes all 26 letters of the English alphabet.
समग्राक्षरी वाक्य एक ऐसा वाक्य होता है जिसमें वर्णमाला के सभी अक्षर कम से कम एक बार प्रयोग किए गए हों। जैसे हिंदी में "ग्लासजड भाई फांकट यूनिवर्स में पढ़ते हैं।"


English Example:
"Pack my box with five dozen liquor jugs." (All 26 letters are used here at least once.)


इन शब्दों में सभी पांच vowels (a, e, i, o, u) एक ही शब्द में प्रयोग किए गए हैं।
ऐसे शब्द जिन्हें पाँचों vowels (a, e, i, o, u) शामिल होते हैं, उन्हें "pangrammatic word" कहा जा सकता है, अगर वे इन सभी vowels को कम से कम एक बार शामिल करते हैं। हालांकि, ऐसा कोई विशेष शब्द नहीं होता है जो इन पाँचों vowels को सिर्फ एक बार और विशेष क्रम में इस्तेमाल करे।

Examples in English (with Hindi meanings):

Education - शिक्षा
Facetious - हास्यास्पद
Precaution - एहतियात
Sequoia - सेकोया (एक प्रकार का पेड़)
Adventurous - साहसिक
Abstemious - संयमित, विशेषकर भोजन और पेय में
Arsenious - आर्सेनिक से संबंधित
ये शब्द सभी vowels (a, e, i, o, u) को कम से कम एक बार शामिल करते हैं।
इन शब्दों में सभी पांच vowels (a, e, i, o, u) एक ही शब्द में प्रयोग किए गए हैं।

अपनी जिंदगी को नेकियों और (भलाई के कामों से भर दें।)अल्लाह तआला की हम्द


**अल्लाह तआला की हम्द**  


---



**हम्द:**  
ऐ खुदा, तेरी शान बेमिसाल है,  
तेरी कुदरत का हर जर्रा कमाल है।  
ज़मीन ओ आसमान तेरे हुक्म से बने,  
हर दरख़्त, हर दरिया, तुझसे जुड़े।  

सूरज को रोशन, चांद को चमकाया,  
सितारों को आसमान पर लहराया।  
तेरी रहमत से दुनिया सजी है,  
हर मख़लूक तुझसे रौशन-ओ-दिलकश हुई है।  

तेरी ताकत का कोई अंदाज़ा नहीं,  
तेरी रहमत का कोई हिसाबा नहीं।  
हर दिल में तेरा नूर है जलता,  
हर लब पर तेरा ज़िक्र है चलता।  

ऐ रहमान, ऐ रहीम, ऐ मालिक-ए-जहां,  
हम सब तेरे बंदे, तू सबका मेहरबां।  
तेरी कुदरत का हर नक्शा बयान करे,  
तेरी इबादत हर सांस की जुबान करे।  

---



"जिन्होंने आसमान को बिना पाए खड़ा किया,  
ज़मीन को बिछाया, हर जर्रा तेरा गवाह हुआ।  
पानी से हर चीज़ को ज़िंदा किया,  
तेरी आयतें हर तरफ बसी हुईं।  

सूरज और चांद तेरे तय किए हुए रास्ते पर हैं,  
हर शय तेरा हुक्म बजा रही है।  
तू ही है जो रहमत बरसाता है,  
और बंदों को अपने नूर से सजाता है।  

‘अल्लाह नूरुस समावाति वल अरद’ की सदा,  
तेरी नूरानी किताब है सबका रास्ता।  
तेरी राह में चलते रहना हमारा फर्ज़ है,  
तेरी याद में हर लम्हा बसर करना फ़र्ज़ है।  

तेरा ज़िक्र कभी खत्म न हो,  
तेरी रहमत कभी हमसे दूर न हो।  
तेरी बंदगी में झुकी हर पेशानी,  
तेरे नाम से रौशन है हर कहानी।  

---

**दुआ:**  
या अल्लाह! हमें अपने नेक रास्ते पर चला,  
हमारे दिलों को तेरे नूर से रौशन कर दे।  
हमें ऐसी जिंदगी दे,  
जिससे तेरी मख़लूक को फायदा पहुंचे और  
हमारी मौत तेरे ईसाले सवाब का जरिया बने।  

आमीन!

*(मक़्ता)*  
**ये जिंदगी तो अमानत है, इसे यूँ बर्बाद ना कर।  
नेकियों की रोशनी जलाकर, खुद को आबाद ना कर।**  

*(पहला )*  
हर जान को मौत का मज़ा चखना है,  
ये दुनिया तो फ़ानी, इसे बस रहना है।  
सदक़ा-ए-जारिया का ज़रिया बना,  
मदरसे और मस्जिदों का रास्ता चुना।  

> **हर नेक अमल, हर छोटी भलाई,  
> कर जाएगी तेरी दुनिया रौशन और पराई।**  


**जगमग-जगमग तेरे आमाल से,  
सज जाएगी दुनिया तेरे सवाल से।  
नेकियों की दौलत को सजा,  
अख़िरत में अपनी जगह बना।**  


इल्म की रोशनी फैला हर गली,  
यतीमों के अश्कों को दे कोई खुशी।  
चाहे दौलत न हो, पर इरादा तो बना,  
चार लोग मिलकर नेक राह अपना।  

> **हर शख्स है जवाबदेह, अपने रब का,  
> बस याद रख, दुनिया है एक इम्तिहान का।**  

  
**जगमग-जगमग तेरे आमाल से,  
सज जाएगी दुनिया तेरे सवाल से।  
नेकियों की दौलत को सजा,  
अख़िरत में अपनी जगह बना।**  

*(तीसरा )*  
मौत से पहले अपना हिस्सा बना,  
दुनिया को भलाई का रास्ता दिखा।  
पेड़ लगाना या कुआँ खुदवाना,  
आने वाली नस्लों के लिए कुछ छोड़ जाना।  

> **हर कदम तेरी आख़िरत को निखारे,  
> अल्लाह की रहमत तुझ पर उतारे।**  

*(मक़्ता)*  
**ये जिंदगी तो अमानत है, इसे यूँ बर्बाद ना कर।  
नेकियों की रोशनी जलाकर, खुद को आबाद ना कर।**  


**जगमग-जगमग तेरे आमाल से,  
सज जाएगी दुनिया तेरे सवाल से।  
नेकियों की दौलत को सजा,  
अख़िरत में अपनी जगह बना।**  




दुनिया में इंसान का मकसद और नेक काम करने की अहमियत

इस दुनिया में हर इंसान की जिंदगी एक सीमित वक्त के लिए होती है। अल्लाह तआला ने फरमाया:  

> **"हर जान को मौत का मज़ा चखना है, और कयामत के दिन तुम्हें तुम्हारे आमाल का पूरा बदला दिया जाएगा।"**  
> *(कुरान, सूरह आल-ए-इमरान, आयत 185, कंजुल ईमान)*  

इंसान की पैदाइश से लेकर उसके इंतकाल तक का वक्त असल में उसकी परीक्षा का दौर है। यह वक्त हमें नेक कामों में लगाना चाहिए ताकि हमारे आमाल हमारे लिए दुनिया और आखिरत में मददगार साबित हों।  

### **नेक काम और उनकी अहमियत**  
1. **इल्म की रोशनी फैलाना**:  
   अगर अल्लाह ने आपको दौलत दी है, तो मदरसा कायम करना या मस्जिद बनवाना ऐसी नेकी है जो हमेशा के लिए आपकी सवाब का जरिया बनी रहती है।  
   हदीस में आया है:  
   > **"जब इंसान का इंतकाल हो जाता है, तो उसके आमाल खत्म हो जाते हैं, सिवाय तीन चीज़ों के: सदक़ा-ए-जारिया, इल्म जो लोगों को फायदा पहुंचाए, और नेक औलाद जो उसके लिए दुआ करे।"**  
   > *(सहीह मुस्लिम, हदीस 1631)*  

2. **सदक़ा-ए-जारिया (दायमी नेकी)**:  
   मस्जिद बनवाना, कुआं खोदवाना, पेड़ लगाना, या ऐसा कोई काम जिससे लोग लगातार फायदा उठाएं, यह सदक़ा-ए-जारिया कहलाता है।  

3. **जमात बनाकर काम करना**:  
   अगर किसी के पास ज्यादा माल-ओ-दौलत नहीं है, तो वह दूसरों के साथ मिलकर भी नेक काम कर सकता है। हदीस-ए-पाक में फरमाया गया है:  
   > **"अल्लाह की मदद उस इंसान के साथ है जो दूसरों की मदद करता है।"**  
   > *(सुनन तिर्मिज़ी, हदीस 1425)*  

### **मौत की हकीकत और उससे पहले की तैयारी**  
मौत हर इंसान का मुकद्दर है। चाहे वह 60 साल जिए या 100 साल, अंततः हर किसी को इस दुनिया को छोड़कर जाना है। कुरान में अल्लाह फरमाते हैं:  
> **"तुम जहाँ कहीं भी हो, मौत तुम्हें आ पकड़ेगी, चाहे तुम मजबूत किलों में ही क्यों न हो।"**  
> *(कुरान, सूरह अन-निसा, आयत 78, कंजुल ईमान)*  

### **दुनिया में कुछ छोड़ जाना**  
हर मुसलमान की यह जिम्मेदारी है कि वह ऐसा काम करे जो आने वाली नस्लों के लिए रहमत और हिदायत का जरिया बने। जैसे:  
- किताबें लिखना या छपवाना,  
- यतीमों की परवरिश करना,  
- औरतों की तालीम का इंतजाम करना।  

### **नसीहत और दुआ**  
अल्लाह तआला से दुआ करें कि हमें नेक आमाल की तौफीक़ दे और हमारे किए गए अच्छे कामों को कबूल फरमाए। हम सबको यह समझना चाहिए कि यह जिंदगी अल्लाह की अमानत है और इसका सही इस्तेमाल ही हमें आखिरत में कामयाबी देगा।  

> **"और तुम (आखिरत के) उस घर की तलाश करो, और दुनिया में से अपना हिस्सा मत भूलो। और लोगों के साथ भलाई करो, जैसे अल्लाह ने तुम्हारे साथ भलाई की है।"**  
> *(कुरान, सूरह अल-कसस, आयत 77, कंजुल ईमान)*  





*(मक़्ता)*  
**हबीब-ए-खुदा का नाम हो जुबां पे,  
अमल नेकियों का हो हर गली पे।  
जिंदगी जो दी है रब ने,  
इसे सजा, इसे सजा।**  

*(पहला अंतरा)*  
रब ने हमें दुनिया में भेजा,  
एक इम्तिहान का मक़सद दिया।  
नेकियों से भरी हो हर राह,  
कभी न हो कोई गुनाह।  
> **सदक़ा-ए-जारिया का दर खोल दे,  
> अल्लाह के नाम पर दिल तोड़ दे।**  

*(कोरस)*  
**ऐ जिंदगी, रौशन हो तेरे काम से,  
मुस्कुराए जहां तेरे नाम से।  
इल्म का दिया जला हर जगह,  
रब की रहमत पा हर दुआ।**  

*(दूसरा अंतरा)*  
कुरान कहता है, नेक अमल कर,  
हदीस बताती है, सवाब का दर।  
मदरसा बनवा, मस्जिद सजा,  
दुनिया को रब का पैगाम सुना।  
> **हर यतीम के आंसू पोंछ ले,  
> रब की रहमत अपने साथ ले।**  

*(कोरस)*  
**ऐ जिंदगी, रौशन हो तेरे काम से,  
मुस्कुराए जहां तेरे नाम से।  
इल्म का दिया जला हर जगह,  
रब की रहमत पा हर दुआ।**  

*(तीसरा अंतरा)*  
हर इंसान को मौत का मजा चखना,  
अमल का हिसाब कयामत में रखना।  
दौलत न हो, तो इरादा बना,  
मिल-जुल कर नेकियों का घर सजा।  
> **हर कदम हो सच्चाई की राह पर,  
> रब की रहमत हो तुझ पर।**  

*(कोरस)*  
**ऐ जिंदगी, रौशन हो तेरे काम से,  
मुस्कुराए जहां तेरे नाम से।  
इल्म का दिया जला हर जगह,  
रब की रहमत पा हर दुआ।**  

*(मक़्ता)*  
**हबीब-ए-खुदा का नाम हो जुबां पे,  
अमल नेकियों का हो हर गली पे।  
जिंदगी जो दी है रब ने,  
इसे सजा, इसे सजा।**  



### **अंतिम शब्द**  
इस्लाम हमें यह सिखाता है कि हम अपनी जिंदगी को नेकियों और भलाई के कामों से भर दें। मौत का सामना हर इंसान को करना है, मगर हमारी नेकियां हमें मरने के बाद भी जिंदा रखती हैं।  

Very nice Kalam of Mufti Ashraf


آزمائش کی گھڑی میں جو بھر جائے گا
یاد رکھو کہ وہ بے موت ہی مر جائے گا

کسی کو معلوم تھا وہ راہ میں ملنے والا
اجنبی ہو کے بھلا دل میں اتر جائے گا

سوچتا رہتا ہوں گر گشتہ منزل ہو
ظلمت شب میں خدا جانے کدھر جانے کا


میرے حالات کے پھر ان پہ ہنسنے والے
تو بھی اک روز سر راہ بکھر جائے گا


کیا خبر تھی کہ وہ طوفانوں سے لڑنے والا
نا گہاں اپنی ہی پر چھائیں سے ڈر جائے گا


ظلم تو غیر منا اپنی کہ وہ دیا ہے
ختم ہو کر بھی مندر میں اتر جائے گا

یہاں رہتے نہیں حالات کسی کے اشرف
میل اور وہ بھی اک روز گھر جائے گا


مفتی اشرف لکھنوی


दुआ मांगने का तरीका।

اللهم صلی علی سیدنا و شفیعنا و حبیبنا و مولانا 
محمد وبارک وسلم صلو علیه الصلاۃ و السلام علیک یا رسول اللہ صلی اللہ تعالی علیہ وسلم
 या रब्बुल आलमीन जो कुरान पढ़ा है या जो कुछ मैंने तिलावत की इसका जो कुछ सवाब मिला है उसे सबसे पहले मोहम्मद सल्लल्लाहो ताला वसल्लम की बारगाह में पेश करता हूं इसको कबूल फर्मा, इसके बाद तमाम अम्बिया इकराम 124000 या 224 000 कम वा बेस तमाम अम्बिया इकराम की बरगाहों में नजर करते हैं मौला कबूल फरमा , इसके बाद तमाम सहाबा इकराम को, तमाम औलिया इकराम को , तमाम बुजुर्गाने दी़न को , तमाम मोमिनीन, तमाम मोमिनात, तमाम मुस्लिमीन ,तमाम मुस्लिमात को इसका सवाब पेश करते हैं मौला ए करीम कबूल फरमा, इसके बाद खुसूस बिल खुसूस मरहूम हाजी छोटे बक्श को पेश कर रहा हूं मौला कबूल फरमा, उनकी कब्र में कुसादगी अता फरमा उनके हिसाबो किताब में आसानी अता फरमा उनके दर्जों को बुलन्द फरमा, जन्नत फिरदोस मैं आला मकाम अता फरमा प्यारे नबी की शफ़ात अता फरमा और घर वालो को सबरे जमील अता फरमा। ज्यादा से ज्यादा ऐसाले सवाब की तौफीक अता फरमा और हम तमाम की दिली जायज तमन्ना पूरी फरमा, इसकी बरकत से हमारे घरों में खैर व बरकत अता फर्मा, हमारे कारोबार में बरकत अता फर्मा, हमारे गुनाहों को माफ़ फर्मा, हमे पांचों नमाज अदा करने की तौफीक अता फर्मा हमारे उलूम व फुनून में बरकत अता फर्मा,इसकी बरकत से जहां मुसलमान परेशान हैं उनकी परेशानी दूर फर्मा,जो बीमार है उन्हें शिफा अता फर्मा, जो बे औलाद है उन्हें औलाद अता फर्मा,और हम सब की दुआ कुबूल फर्मा, हमारी दुआ हुजूर के सदके में कुबूल फरमा।
 
शकील उद्दीन अंसारी 

गरीबों कीा कहानी की नज़्म

### नज़्म: **गरीब का हाल**  
ज़िंदगी के हर मोड़ पे, ठोकरों का सिलसिला,  
ना रोटी मुकम्मल, ना कपड़े का हौसला।  
आसमान नीचे गिरा, ज़मीन खिसक गई,  
हर सांस में फाक़ा, हर ख्वाब में मुश्किलें बढ़ गई।  

मिट्टी का घर, बारिशों में टूट गया,  
चूल्हा भी ठंडा, हर सपना छूट गया।  
बच्चे भी भूखे हैं, किताबें कहाँ से लाएँ,  
मज़दूरी में बचपन, खेलों से दूर रह जाएँ।  

हस्पताल की दहलीज़ पर आँसू गिरते हैं,  
दवाएँ महंगी हैं, ज़ख़्म बढ़ते हैं।  
बुखार की तपिश में, उम्मीद जलती है,  
गरीब की हालत, हर दिल को खलती है।  

सड़क किनारे सोता हूँ, ख़्वाब भी वहीं,  
चोरी और ख़तरा, यह जीवन है यहीं।  
न रोशनी, न पानी, अंधेरे की गुफा,  
गरीब की मुश्किलें, है दर्द की दास्तां।  

कहीं भेदभाव, कहीं नफरत का कहर,  
सवाल यह उठता, इंसानियत किधर?  
सरकारी वादे, बस काग़ज़ों में लिखे,  
हक़ीक़त में गरीब, हमेशा अधूरे दिखे।  

ज़िंदगी की कश्ती, तूफानों में उलझ गई,  
हर कोशिश में मंज़िल, और दूर निकल गई।  
पर ये गरीब दिल, फिर भी जीता है,  
हर दर्द को सहकर, ख़्वाब बुनता है।  

**दुआ यही, एक सुबह ऐसी आए,**  
जहाँ गरीब का बच्चा भी मुस्काए।  
हर रोटी मुकम्मल, हर घर रौशन हो,  
खुशियों की हर गली में, गरीब का भी मकान हो।  


ऐ खुदा! अब मेरे हिस्से का उजाला कर,
इन अंधेरों से मेरा मुक़ाबला आसान कर।
मुझे भी जीने का हक़ दे, सुकून का साया दे,
इस गरीब के जीवन को भी, थोड़ा तो सहारा दे।

चैट जीपीटी और इंसानों के नुकसान

"इल्म का दीया जलाओ, जहालत को मिटाओ,
सोच-ओ-फिक्र को बढ़ाओ, खुद को संभालो।
चैट जीपीटी है मददगार, इसे राहनुमा बनाओ,
मगर अपनी सोच-समझ को कभी ना गवांओ।
तकनीक का ये नूर है, इसे सलीके से बरतो,
खुदा की दी अक्ल का भी इस्तेमाल करते रहो।
हर इल्म से रोशन हो ज़िंदगी का हर हिस्सा,
मगर ध्यान रखो, गुमराही ना बने इसका किस्सा।"

इल्म की रोशनी 


इल्म की दौलत से जो घर रौशन करता है,  
वही जहालत की हर ज़ंजीर तोड़ता है।  
खुदा ने फरमाया, 'पढ़ो और समझो,'  
जो इल्म से महरूम हो, वही दुनिया में भटकता है।  

किताबें हैं खजाना, इसे सहेज के रखो,  
जो तालीम का जाम पी ले, वो बुलंदियों पर रहता है।  
चैट जीपीटी एक जरिया है, इसे राह बनाओ,  
मगर अपनी सोच-ओ-फिक्र को कभी ना गवांओ।  

शरीयत का हर पहलू इल्म का पैगाम है,  
दीन-ओ-दुनिया में यही हमारा मुकाम है।  
मशीनों की मदद लो, मगर इंसानियत न भूलो,  
दिल-ओ-दिमाग को रोशन करो, रूहानी जहां को झूलो।  

"जो दीया जलाए इल्म का, वो हारा नहीं करते,  
राहें चाहे मुश्किल हों, वो थका नहीं करते।  
इल्म की राह में चलो, खुदा के करीब हो जाओ,  
दुनिया भी संवर जाएगी, आखिरत भी पा जाओ।"  



"रूहों का सवेरा है, इल्म का जो नूर है,
जिंदगी का मसला है, इसमें जो सुरूर है।"

"रूहों का सवेरा है, इल्म का जो नूर है,  
जिंदगी का मसला है, इसमें जो सुरूर है।"  

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 1:इल्म का चरागां जलाओ, हर गली हर रह में,  
जाहलत के अंधेरों को, मिटाओ अपने जहन में।  
खुदा की ये रहमत है, इल्म का नूर पाओ,  
कुरआन की आयतों से, अपने दिल को सजाओ।  

_रिफ्रेन (दोहरा):_  
"रोशन करो जहान को, अपने अरमानों से,  
इल्म का चरागां जलाओ, अपनी जानों से।"  

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2: जिंदगी के इस सफर में, इल्म राही बनाओ,  
सोच-ओ-फिक्र को जगाओ, अपनी राहें सजाओ।  
जो मेहनत करे सच्ची, वो कामयाब होता है,  
जो इल्म से भागे, वो जहालत का होता है।  

_रिफ्रेन (दोहरा):_  
"रोशन करो जहान को, अपने अरमानों से,  
इल्म का चरागां जलाओ, अपनी जानों से।"  

---

3: दीन-ओ-दुनिया का हुनर, इल्म ही सिखाए,  
हर मसले का हल, ये किताबों से दिखाए।  
मगर सोच समझकर, इसे साथी बनाना,  
खुदा की दी अक्ल को, हरगिज़ ना भुलाना।  

_रिफ्रेन (दोहरा):_  
"रोशन करो जहान को, अपने अरमानों से,  
इल्म का चरागां जलाओ, अपनी जानों से।"  

---

खुलासा (अंत): 
"जाहिल न रहो साथी, इल्म ही खुदा का तोहफा है,  
इसे अपनी राह बनाओ, यही रब का वादा है।"  

_आखिरी रिफ्रेन:_  
"रोशन करो जहान को, अपने अरमानों से,  
इल्म का चरागां जलाओ, अपनी जानों से।"


चैट जीपीटी और इंसानों के नुकसान  
चैट जीपीटी जैसे आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस के मॉडल्स इंसानों के लिए कई तरह के नुकसान का सबब बन सकते हैं। नीचे इसके संभावित नुकसान बयान किए जा रहे हैं, जिसमें हिंदुस्तानी उर्दू का इस्तेमाल किया गया है ताकि बात दिल को लग सके:  



1. रोज़गार का खात्मा:  
    इंसानी मेहनत और हुनर की जगह मशीनें ले रही हैं। लोग कहां जाएंगे? क्या *क़लम के सिपाही*, *मुहासिब* (लेखाकार), और *खानदानी हुनरमंद* अब बेरोज़गार होकर घर बैठेंगे?  

2. इल्म और हिकमत का जवाल
    जो सवाल इंसान को सोचने और सीखने पर मजबूर करते थे, अब चंद सेकंड में जवाब मिल जाते हैं। इल्म की तलाश और *हिकमत का जज़्बा* खत्म हो रहा है। क्या ये आलिमों और फाजिलों के लिए खतरे की घंटी नहीं?  

3. तहज़ीब और ज़बान का नुकसान: 
    यह टेक्नोलॉजी लोगों को उनकी अपनी *मादरी ज़बान* और *तहज़ीबी पहचान* से दूर कर रही है। इंसान अब सिर्फ टेक्स्ट और शॉर्टकट्स का गुलाम बनता जा रहा है।  

4. इंसानी अहसास का फुक़दान:  
    चैट जीपीटी जैसे मॉडल्स में न *मोहब्बत का एहसास* है, न दर्द की समझ। अगर इंसान सिर्फ इन्हीं से बात करने लगे, तो *दिल की बातें* कौन सुनेगा? इंसानी रिश्तों का क्या बनेगा?  

5. गलत मालूमात का खतरा:  
    आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस कभी-कभी गलत जवाब दे देता है, जिससे लोग *गुमराही* का शिकार हो सकते हैं। क्या ये *इल्म का सौदा* नहीं?  

6. **जासूसी और निज़ाम का खतरा:**  
    जो आप चैट में लिखते हैं, वह सब किसी *ग़ैर मुमकिन निगाह* के नीचे जा सकता है। ये हमारी *शख्सीयत और निजता* के खिलाफ है।  

इबरतनाक बात  
मशीनें इंसान की मददगार बनें, मगर इंसान को उनका गुलाम नहीं।" 
"इल्म को आर्टिफिशियल तरीकों से बढ़ाना नहीं, बल्कि इंसानी तजुर्बे और सोच से आगे बढ़ाना है।"  

अख़िर में:  
"इंसानी जहानत, तहज़ीब और इंसाफ़ का मर्कज इंसान ही रहना चाहिए, मशीनें नहीं।"



चैट जीपीटी जैसी एआई टेक्नोलॉजी अपने फायदे के साथ कई नुकसान भी ला सकती है। खासकर एक स्टूडेंट के लिए, इसके बुरे असर पर गहराई से नज़र डालें तो हम निम्न नुकसान देख सकते हैं:

तालीम से दूर ले जाना:
स्टूडेंट्स अगर हर काम चैट जीपीटी से करवाने लगें, तो उनकी खुद की मेहनत और सोचने-समझने की सलाहियत खत्म हो सकती है।
"जो किताबों में मेहनत ना करे, वह इल्म के नूर से महरूम रह जाता है।"

जवाबदारी का अहसास खत्म करना:
अगर हर मसले का हल एआई से लिया जाए, तो स्टूडेंट्स अपनी खुद की जिम्मेदारी से भागने लगते हैं।
"दुनिया का हर शख्स अगर राह आसान ढूंढे, तो मकसद-ए-हयात से भटक जाएगा।"


नक़ल करने की आदत:
चैट जीपीटी का इस्तेमाल अक्सर बिना सोचे-समझे सिर्फ नकल करने के लिए किया जाता है। यह स्टूडेंट्स के अंदर तखलीकी सोच (creative thinking) को खत्म कर सकता है।
"असली इल्म वह है जो इंसान के दिल-ओ-दिमाग को रौशन करे, ना कि उसे दूसरों पर मुनहसर बनाए।"


पर्सनल डाटा का खतरा:
चैट जीपीटी जैसे टूल्स पर पर्सनल जानकारी शेयर करना खतरनाक हो सकता है।
"जहां एहतियात ना बरती जाए, वहां नुकसान का खतरा रहता है।"

शरीयत और अख़लाक़ी तालिम का असर:
अगर हर सवाल एआई से पूछने की आदत हो जाए, तो बच्चे कुरान और हदीस की तालीम से दूर हो सकते हैं।
"इल्म वही मुकम्मल है जो दीन और दुनिया दोनों की राह दिखाए।"

जिंदगी के अहम सवालों से दूर करना:
हर मसले का फौरन जवाब मिल जाने से स्टूडेंट्स सब्र, तहकीक और मेहनत करना छोड़ सकते हैं।
"जो सब्र ना करे, वह मुकद्दर की हकीकत को कभी समझ नहीं सकता।"

नसीहत:
मौजूदा टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें लेकिन इसे अपना मुख्तार ना बनाएं। मेहनत, तालीम और खुदा की दी हुई सलाहियतों को बढ़ाने पर ज़ोर दें।
“इल्म वह दौलत है जो किताब और क़लम से कमाई जाती है, ना कि मशीनों पर तवज्जोह देकर।”


चैट जीपीटी इंसानों और खासतौर पर छात्रों के लिए बेहद फायदेमंद साबित हो सकता है। यह एक ऐसी टेक्नोलॉजी है जो तालीम और मालूमात हासिल करने के लिए नई राहें खोलती है। मगर साथ ही, इसके इस्तेमाल में सावधानी बरतनी चाहिए ताकि इसके नुक़्सान से बचा जा सके। 

फ़ायदे:  
1. तालीम और तर्जुमा (शिक्षा और अनुवाद):  
   चैट जीपीटी छात्रों के लिए मुश्किल सवालों के जवाब देने, होमवर्क में मदद करने और अलग-अलग जुबानों (भाषाओं) को समझने में मददगार है।  

2. वक़्त की बचत:  
   यह किताबों या इंटरनेट पर घंटों ढूंढने के बजाय, फौरन जवाब पेश करता है।  

3. क्रिएटिविटी बढ़ाने में मदद:  
   लेख, निबंध, भाषण और प्रोजेक्ट तैयार करने में यह बहुत मददगार है।  

4. हर फन मौला (जाने-अनजाने हर विषय में मदद):  
   यह हर तरह के सवाल, चाहे वो साइंस, अदब (साहित्य), इतिहास, या मज़हब से ताल्लुक़ रखते हों, उनका जवाब दे सकता है।  

5. सुलह-सफाई (मामलों को सुलझाना):  
   यह बेहतर फैसले लेने के लिए तर्क और जानकारी मुहैया कराता है।  
नुक़सान:  
1. इनसानी सोच में कमी:  
   ज़्यादा इस्तेमाल से इंसान का खुद सोचने और समझने का माद्दा (काबिलियत) कम हो सकता है।  

2. ग़लत मालूमात का खतरा:  
   कभी-कभी यह गलत या अधूरी जानकारी दे सकता है, जो गुमराही (भ्रम) पैदा कर सकती है।  

3. आलसीपन को बढ़ावा:  
   हर काम के लिए चैट जीपीटी का सहारा लेने से मेहनत करने की आदत छूट सकती है।  

4. हिफाज़ती मसाइल (प्राइवेसी की समस्या):  
   जो सवाल पूछे जाते हैं, उनका डेटा सुरक्षित न हो, तो यह निजता के लिए खतरा बन सकता है।  

5. मज़हबी और सांस्कृतिक नज़ाकत (संवेदनशीलता):  
   कभी-कभी यह जवाब किसी की धार्मिक या सांस्कृतिक भावनाओं को ठेस पहुंचा सकते हैं।  

एक स्टूडेंट के लिए फायदा:  
छात्र इसके जरिए पढ़ाई में मदद ले सकते हैं, नई बातें सीख सकते हैं, और अपने काम को बेहतर बना सकते हैं। मगर इसे हमेशा एक मददगार औज़ार की तरह इस्तेमाल करें, न कि अपने हर मसले का हल समझें।  

“इल्म हासिल करो, मगर अपनी अक्ल-ओ-फिक्र को इस्तमाल करना मत छोड़ो, क्योंकि इल्म का असली नूर तदब्बुर (चिंतन) में है।




🌹*“तलाश-ए-इल्म में हर गली, हर शहर देखो,  
जिन्हें मिली रोशनी, वो सफर देखो।  
मशीनें मददगार हैं, मगर ख्याल रखो,  
इंसानी अक्ल-ओ-फिक्र को बेहिसाब देखो।”*🌹  

विस्तार से समझाना  

1.तलाश-ए-इल्म में हर गली, हर शहर देखो  
   - यह मिसरा इंसान को इल्म की तलाश में हर जगह जाने की प्रेरणा देता है। इसका मतलब है कि ज्ञान सिर्फ एक जगह या स्रोत तक सीमित नहीं है। हमें हर मौके और हर माध्यम से सीखने की कोशिश करनी चाहिए।  

2. जिन्हें मिली रोशनी, वो सफर देखो  
   - यह शेर उन लोगों की तरफ इशारा करता है जिन्होंने अपनी मेहनत और लगन से इल्म हासिल किया और अपनी जिंदगी को बेहतर बनाया। ऐसे लोगों की कहानियां प्रेरणा का स्रोत बनती हैं।  

3. मशीनें मददगार हैं, मगर ख्याल रखो  
   - इस मिसरे में टेक्नोलॉजी की अहमियत को स्वीकार किया गया है, लेकिन इसके सीमित और सही इस्तेमाल की नसीहत दी गई है। मशीनें इंसान की मदद के लिए हैं, लेकिन वे इंसान की सोच और समझ का विकल्प नहीं हो सकतीं।  

4. इंसानी अक्ल-ओ-फिक्र को बेहिसाब देखो  
   - यह मिसरा हमें याद दिलाता है कि इंसानी दिमाग और उसकी सोचने की क्षमता सबसे बड़ी नेमत है। हमें इसे नजरअंदाज नहीं करना चाहिए। टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करें, लेकिन अपनी बुद्धिमता और विचारशीलता को प्राथमिकता दें।  

- शायरी का उद्देश्य यह बताना है कि ज्ञान की खोज में इंसान को हर संभव माध्यम का उपयोग करना चाहिए।  
- मशीनें और टेक्नोलॉजी मददगार हैं, लेकिन इनका इस्तेमाल सोच-समझकर और सीमित तरीके से करना चाहिए।  
- असली ताकत इंसानी दिमाग और उसकी सोचने की क्षमता में है, जो टेक्नोलॉजी से कहीं ऊपर है।  

**नसीहत:**  
*“इल्म रोशनी है, मगर उसे पाने का सफर सिर्फ टेक्नोलॉजी तक सीमित न रखें। अपनी मेहनत, जिज्ञासा और अक्ल को साथ लेकर चलें।”* 




🌹हिम्मत है तो अंधेरों से लड़ जाओ,  
रात चाहे जितनी भी हो, सवेरा लाओ।  
ख्वाब वो नहीं जो सोने न दे,  
ख्वाब वो है जो खुद को बदलने पर मजबूर कर दे।🌹 

शायरी का विस्तृत मतलब और समझ

पहला शेर: हिम्मत है तो अंधेरों से लड़ जाओ,  
रात चाहे जितनी भी हो, सवेरा लाओ।  
इस शेर में यह संदेश दिया गया है कि इंसान को अपनी मुश्किलों और परेशानियों से घबराना नहीं चाहिए।  
- *अंधेरे* जीवन की समस्याओं का प्रतीक है, जबकि *सवेरा* आशा और सफलता को दर्शाता है।  
- यह कहता है कि चाहे हालात कितने भी कठिन क्यों न हों, अगर आप हिम्मत और मेहनत करेंगे, तो आप अपने जीवन में रोशनी ला सकते हैं।  

दूसरा शेर: ख्वाब वो नहीं जो सोने न दे,  
ख्वाब वो है जो खुद को बदलने पर मजबूर कर दे। 
यह शेर हमें हमारे सपनों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है।  
- *ख्वाब* को सिर्फ देखने की चीज नहीं माना गया है, बल्कि ऐसा लक्ष्य माना गया है जो इंसान को मेहनत करने और अपनी कमियों को सुधारने की प्रेरणा देता है।  
- यह बताता है कि असली ख्वाब वह है जो आपकी जिंदगी बदल दे, आपको बेहतर इंसान बना दे।  

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1.साहस और संकल्प का महत्व :
   - मुश्किलें हर किसी की जिंदगी में आती हैं, लेकिन हिम्मत और आत्मविश्वास से उन्हें हराया जा सकता है।  
   - जैसे रात के बाद सुबह होती है, वैसे ही हर कठिनाई के बाद एक नया अवसर होता है।  

2. सपनों को हकीकत में बदलने का जज्बा:  
   - सपने सिर्फ देखने के लिए नहीं होते, बल्कि उन्हें पूरा करने के लिए मेहनत करनी पड़ती है।  
   - अगर कोई सपना आपको बदलने और निखारने पर मजबूर करे, तो वह सपना आपकी सफलता की चाबी बन सकता है।  

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इबरतनाक नसीहत:
"मंज़िल उन्हीं को मिलती है जो हौसले के साथ चलते हैं,  
वक्त के साथ बदलते हैं और मेहनत को अपना मुकद्दर बनाते हैं।"  

इस नसीहत से सीखें कि अपने ख्वाबों को साकार करने के लिए साहस, बदलाव और मेहनत सबसे अहम हैं।  
"जो अपने डर और आलस्य को हराता है, वही अपनी जिंदगी को चमकदार बनाता है।

**नज़्म: सर्दी और रहमतें खुदा की*

** नज़्म: सर्दी और रहमतें खुदा की* *   सर्द हवाएं जब चलती हैं, ये पैग़ाम लाती हैं,   हर दर्द में शिफा है, ये हिकमत समझाती हैं।   खुदा के हुक...

Shakil Ansari