**अल्लाह तआला की हम्द**
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**हम्द:**
ऐ खुदा, तेरी शान बेमिसाल है,
तेरी कुदरत का हर जर्रा कमाल है।
ज़मीन ओ आसमान तेरे हुक्म से बने,
हर दरख़्त, हर दरिया, तुझसे जुड़े।
सूरज को रोशन, चांद को चमकाया,
सितारों को आसमान पर लहराया।
तेरी रहमत से दुनिया सजी है,
हर मख़लूक तुझसे रौशन-ओ-दिलकश हुई है।
तेरी ताकत का कोई अंदाज़ा नहीं,
तेरी रहमत का कोई हिसाबा नहीं।
हर दिल में तेरा नूर है जलता,
हर लब पर तेरा ज़िक्र है चलता।
ऐ रहमान, ऐ रहीम, ऐ मालिक-ए-जहां,
हम सब तेरे बंदे, तू सबका मेहरबां।
तेरी कुदरत का हर नक्शा बयान करे,
तेरी इबादत हर सांस की जुबान करे।
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"जिन्होंने आसमान को बिना पाए खड़ा किया,
ज़मीन को बिछाया, हर जर्रा तेरा गवाह हुआ।
पानी से हर चीज़ को ज़िंदा किया,
तेरी आयतें हर तरफ बसी हुईं।
सूरज और चांद तेरे तय किए हुए रास्ते पर हैं,
हर शय तेरा हुक्म बजा रही है।
तू ही है जो रहमत बरसाता है,
और बंदों को अपने नूर से सजाता है।
‘अल्लाह नूरुस समावाति वल अरद’ की सदा,
तेरी नूरानी किताब है सबका रास्ता।
तेरी राह में चलते रहना हमारा फर्ज़ है,
तेरी याद में हर लम्हा बसर करना फ़र्ज़ है।
तेरा ज़िक्र कभी खत्म न हो,
तेरी रहमत कभी हमसे दूर न हो।
तेरी बंदगी में झुकी हर पेशानी,
तेरे नाम से रौशन है हर कहानी।
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**दुआ:**
या अल्लाह! हमें अपने नेक रास्ते पर चला,
हमारे दिलों को तेरे नूर से रौशन कर दे।
हमें ऐसी जिंदगी दे,
जिससे तेरी मख़लूक को फायदा पहुंचे और
हमारी मौत तेरे ईसाले सवाब का जरिया बने।
आमीन!
*(मक़्ता)*
**ये जिंदगी तो अमानत है, इसे यूँ बर्बाद ना कर।
नेकियों की रोशनी जलाकर, खुद को आबाद ना कर।**
*(पहला )*
हर जान को मौत का मज़ा चखना है,
ये दुनिया तो फ़ानी, इसे बस रहना है।
सदक़ा-ए-जारिया का ज़रिया बना,
मदरसे और मस्जिदों का रास्ता चुना।
> **हर नेक अमल, हर छोटी भलाई,
> कर जाएगी तेरी दुनिया रौशन और पराई।**
**जगमग-जगमग तेरे आमाल से,
सज जाएगी दुनिया तेरे सवाल से।
नेकियों की दौलत को सजा,
अख़िरत में अपनी जगह बना।**
इल्म की रोशनी फैला हर गली,
यतीमों के अश्कों को दे कोई खुशी।
चाहे दौलत न हो, पर इरादा तो बना,
चार लोग मिलकर नेक राह अपना।
> **हर शख्स है जवाबदेह, अपने रब का,
> बस याद रख, दुनिया है एक इम्तिहान का।**
**जगमग-जगमग तेरे आमाल से,
सज जाएगी दुनिया तेरे सवाल से।
नेकियों की दौलत को सजा,
अख़िरत में अपनी जगह बना।**
*(तीसरा )*
मौत से पहले अपना हिस्सा बना,
दुनिया को भलाई का रास्ता दिखा।
पेड़ लगाना या कुआँ खुदवाना,
आने वाली नस्लों के लिए कुछ छोड़ जाना।
> **हर कदम तेरी आख़िरत को निखारे,
> अल्लाह की रहमत तुझ पर उतारे।**
*(मक़्ता)*
**ये जिंदगी तो अमानत है, इसे यूँ बर्बाद ना कर।
नेकियों की रोशनी जलाकर, खुद को आबाद ना कर।**
**जगमग-जगमग तेरे आमाल से,
सज जाएगी दुनिया तेरे सवाल से।
नेकियों की दौलत को सजा,
अख़िरत में अपनी जगह बना।**
दुनिया में इंसान का मकसद और नेक काम करने की अहमियत
इस दुनिया में हर इंसान की जिंदगी एक सीमित वक्त के लिए होती है। अल्लाह तआला ने फरमाया:
> **"हर जान को मौत का मज़ा चखना है, और कयामत के दिन तुम्हें तुम्हारे आमाल का पूरा बदला दिया जाएगा।"**
> *(कुरान, सूरह आल-ए-इमरान, आयत 185, कंजुल ईमान)*
इंसान की पैदाइश से लेकर उसके इंतकाल तक का वक्त असल में उसकी परीक्षा का दौर है। यह वक्त हमें नेक कामों में लगाना चाहिए ताकि हमारे आमाल हमारे लिए दुनिया और आखिरत में मददगार साबित हों।
### **नेक काम और उनकी अहमियत**
1. **इल्म की रोशनी फैलाना**:
अगर अल्लाह ने आपको दौलत दी है, तो मदरसा कायम करना या मस्जिद बनवाना ऐसी नेकी है जो हमेशा के लिए आपकी सवाब का जरिया बनी रहती है।
हदीस में आया है:
> **"जब इंसान का इंतकाल हो जाता है, तो उसके आमाल खत्म हो जाते हैं, सिवाय तीन चीज़ों के: सदक़ा-ए-जारिया, इल्म जो लोगों को फायदा पहुंचाए, और नेक औलाद जो उसके लिए दुआ करे।"**
> *(सहीह मुस्लिम, हदीस 1631)*
2. **सदक़ा-ए-जारिया (दायमी नेकी)**:
मस्जिद बनवाना, कुआं खोदवाना, पेड़ लगाना, या ऐसा कोई काम जिससे लोग लगातार फायदा उठाएं, यह सदक़ा-ए-जारिया कहलाता है।
3. **जमात बनाकर काम करना**:
अगर किसी के पास ज्यादा माल-ओ-दौलत नहीं है, तो वह दूसरों के साथ मिलकर भी नेक काम कर सकता है। हदीस-ए-पाक में फरमाया गया है:
> **"अल्लाह की मदद उस इंसान के साथ है जो दूसरों की मदद करता है।"**
> *(सुनन तिर्मिज़ी, हदीस 1425)*
### **मौत की हकीकत और उससे पहले की तैयारी**
मौत हर इंसान का मुकद्दर है। चाहे वह 60 साल जिए या 100 साल, अंततः हर किसी को इस दुनिया को छोड़कर जाना है। कुरान में अल्लाह फरमाते हैं:
> **"तुम जहाँ कहीं भी हो, मौत तुम्हें आ पकड़ेगी, चाहे तुम मजबूत किलों में ही क्यों न हो।"**
> *(कुरान, सूरह अन-निसा, आयत 78, कंजुल ईमान)*
### **दुनिया में कुछ छोड़ जाना**
हर मुसलमान की यह जिम्मेदारी है कि वह ऐसा काम करे जो आने वाली नस्लों के लिए रहमत और हिदायत का जरिया बने। जैसे:
- किताबें लिखना या छपवाना,
- यतीमों की परवरिश करना,
- औरतों की तालीम का इंतजाम करना।
### **नसीहत और दुआ**
अल्लाह तआला से दुआ करें कि हमें नेक आमाल की तौफीक़ दे और हमारे किए गए अच्छे कामों को कबूल फरमाए। हम सबको यह समझना चाहिए कि यह जिंदगी अल्लाह की अमानत है और इसका सही इस्तेमाल ही हमें आखिरत में कामयाबी देगा।
> **"और तुम (आखिरत के) उस घर की तलाश करो, और दुनिया में से अपना हिस्सा मत भूलो। और लोगों के साथ भलाई करो, जैसे अल्लाह ने तुम्हारे साथ भलाई की है।"**
> *(कुरान, सूरह अल-कसस, आयत 77, कंजुल ईमान)*
*(मक़्ता)*
**हबीब-ए-खुदा का नाम हो जुबां पे,
अमल नेकियों का हो हर गली पे।
जिंदगी जो दी है रब ने,
इसे सजा, इसे सजा।**
*(पहला अंतरा)*
रब ने हमें दुनिया में भेजा,
एक इम्तिहान का मक़सद दिया।
नेकियों से भरी हो हर राह,
कभी न हो कोई गुनाह।
> **सदक़ा-ए-जारिया का दर खोल दे,
> अल्लाह के नाम पर दिल तोड़ दे।**
*(कोरस)*
**ऐ जिंदगी, रौशन हो तेरे काम से,
मुस्कुराए जहां तेरे नाम से।
इल्म का दिया जला हर जगह,
रब की रहमत पा हर दुआ।**
*(दूसरा अंतरा)*
कुरान कहता है, नेक अमल कर,
हदीस बताती है, सवाब का दर।
मदरसा बनवा, मस्जिद सजा,
दुनिया को रब का पैगाम सुना।
> **हर यतीम के आंसू पोंछ ले,
> रब की रहमत अपने साथ ले।**
*(कोरस)*
**ऐ जिंदगी, रौशन हो तेरे काम से,
मुस्कुराए जहां तेरे नाम से।
इल्म का दिया जला हर जगह,
रब की रहमत पा हर दुआ।**
*(तीसरा अंतरा)*
हर इंसान को मौत का मजा चखना,
अमल का हिसाब कयामत में रखना।
दौलत न हो, तो इरादा बना,
मिल-जुल कर नेकियों का घर सजा।
> **हर कदम हो सच्चाई की राह पर,
> रब की रहमत हो तुझ पर।**
*(कोरस)*
**ऐ जिंदगी, रौशन हो तेरे काम से,
मुस्कुराए जहां तेरे नाम से।
इल्म का दिया जला हर जगह,
रब की रहमत पा हर दुआ।**
*(मक़्ता)*
**हबीब-ए-खुदा का नाम हो जुबां पे,
अमल नेकियों का हो हर गली पे।
जिंदगी जो दी है रब ने,
इसे सजा, इसे सजा।**
### **अंतिम शब्द**
इस्लाम हमें यह सिखाता है कि हम अपनी जिंदगी को नेकियों और भलाई के कामों से भर दें। मौत का सामना हर इंसान को करना है, मगर हमारी नेकियां हमें मरने के बाद भी जिंदा रखती हैं।
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