- _*(नामहरम) औरतों के पास आने जाने से बचो! एक अंसारी सहाबी ने अर्ज़ किया: देवर के बारे में क्या फरमाते हैं? तो रसूलुल्लाह ﷺ ने फरमाया: देवर तो मौत है।*_
> 📚 _सहीह बुखारी 5232_
~___________________________~
> फायदा: शौहर के भाई वगैरह से पर्दा करना इंतिहाई ज़रूरी है और उस से वैसे ही बचना चाहिए जैसे कोई मौत से बचता है।
हजरत अब्दुल्लाह बिन सलाम रज़ी अल्लाहु अन्हु से रिवायत है
कि हज़ूर अक़दस ﷺ ने फ़रमाया कि: "ऐ लोगो! सलाम को आम करो, (मोहताजों को) खाना खिलाओ और जब लोग सोए हुए हों तो (तहज्जुद की) नमाज़ पढ़ो, तुम जन्नत में सलामती के साथ दाख़िल हो जाओगे।"
(सुनन तिर्मिज़ी हदीस: 2485)
हराम कमाई करने वाले की दावते इफ्तार खाना कैसा है❓❓❓
सवाल :-
===========
जिस की आमदनी हराम या मशकूक हो तो उसकी दावते इफ्तार का क्या हुक्म है❓
अगर दावत में न जाये तो दावत देने वाले का दिल नाराज़ हो जाता है तो क्या करें❓
जवाब :-
===========
⭕अगर किसी मुसलमान के बारे में यह मालूम न हो के आमदनी हलाल है या हराम? तो मुसलमान होने के नाते अच्छा गुमान रखते हुए दावत क़बूल करनी चाहिए।
⭕अगर उसकी आमदनी ना जाइज़ हो या आमदनी का अक्सर हिस्सा ना जाइज़ हो तो उसकी दावत क़बूल न करे।
⭕और उसको ज़लील किये बगैर तन्हाई में उसे दावत क़बूल न करने की वजह बतलाये। ताके उसे इबरत हो।
अगर वक़्ति तौर पर उसे ना गवार भी गुज़रे तो आईंदा
इंशाअल्लाह वो आपकी मजबूरी को समझने पर मजबूर होगा।
⭕अगर उसकी आमदनी का ग़ालिब हिस्सा हराम व ना जाइज़ हो लेकिन जिस पैसों से दावत कर रहा है, मालुम है के ख़ास वो पैसा हलाल ज़रिये से हासिल हुवा है तो इस दावत में ऐसे लोग शरीक हो सकते है जो मुक़तदा और कौम के रहबर का दर्जा न रखते हो।
No comments:
Post a Comment