इस दुआ के फज़ाएल (फायदे) और हदीस में ज़िक्र
ये एक बहुत अहम और असरदार दुआ है जो हर परेशानी, मुश्किल और तकलीफ में अल्लाह पर तवक्कुल (भरोसा) करने की तालीम देती है। इस दुआ का मतलब यह है कि "मुझे अल्लाह ही काफ़ी है, कोई माबूद उसके सिवा नहीं, मैंने उसी पर भरोसा किया और वही अर्शे अज़ीम का मालिक है।"
हदीस में इसका ज़िक्र:
सुनन अबू दाऊद (5081) में आया है कि रसूलुल्लाह ﷺ ने फ़रमाया:
"जो शख्स सुबह और शाम सात बार यह दुआ पढ़े, अल्लाह तआला उसकी तमाम परेशानियों को हल कर देगा।"
इस दुआ के दुनियावी और आख़िरवी फायदे
परेशानियों से छुटकारा: अगर कोई इंसान परेशान है, दुखी है या किसी मुश्किल में है, तो सुबह और शाम सात बार पढ़ने से अल्लाह उसे निजात देगा।
रिज़्क़ और बरकत: कारोबार, नौकरी या किसी भी तरह की तंगी के वक्त इसे पढ़ने से अल्लाह रिज़्क़ में बरकत देता है।
दुश्मनों और हसद करने वालों से हिफाज़त: अगर किसी को दुश्मनों का डर हो या लोग जलते हों, तो ये दुआ पढ़ने से अल्लाह हिफाज़त करता है।
रूहानी सकून: दिल और दिमाग को सुकून और इत्मीनान मिलता है।
बीमारियों से शिफ़ा: जो कोई बीमारी में मुबतला हो, वो इसे पढ़े, इंशा अल्लाह सेहतयाब होगा।
इसकी दुनियावी और दीनी बरकतें
💠 परेशानी और ग़म से निजात:
अगर कोई शख्स किसी बड़ी मुश्किल में हो, कर्ज़ से दबा हो या किसी परेशानी में हो तो इसे पढ़ने से अल्लाह तआला राह आसान कर देता है।
💠 रिज़्क़ में बरकत:
अगर किसी को रोज़गार या दौलत में कमी हो, तो यह दुआ पढ़ने से अल्लाह उसके रिज़्क़ में इज़ाफ़ा फरमाता है।
💠 दुश्मनों से हिफ़ाज़त:
अगर किसी को दुश्मनों का डर हो या कोई साज़िश में फंसा हो, तो यह दुआ उसे महफूज़ रखेगी।
💠 अल्लाह पर भरोसे की ताक़त:
यह दुआ पढ़ने से इंसान का यक़ीन और तवक्कुल अल्लाह पर और ज़्यादा मज़बूत होता है।
इस दुआ से दुनिया में कैसे फायदा उठाएं?
1️⃣ हर रोज़ सवेरे-शाम 7 बार पढ़ें।
2️⃣ मुसिबत और परेशानी के वक्त इसे बार-बार पढ़ें।
3️⃣ तिजारत और रोज़गार में बरकत के लिए इसे नियत से पढ़ें।
4️⃣ बीमारी में शिफा के लिए इस दुआ को तस्बीह में शामिल करें।
5️⃣ सफर के वक्त हिफ़ाज़त के लिए इसे पढ़ें।
6️⃣ जब कोई ग़म हो, मायूसी हो, तो इसे यक़ीन के साथ पढ़ें।
इस दुआ को अपनाने का तरीका
सुबह और शाम इस दुआ को 7 बार पढ़ें।
किसी भी मुश्किल, परेशानी, बीमारी, या तंगी के वक्त इसे दिल से पढ़ें और अल्लाह पर पूरा यकीन रखें।
नमाज़ के बाद इसे पढ़ने की आदत डालें ताकि रोज़ाना ज़िक्र में शामिल हो जाए।
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