Thursday, 27 February 2025

Class 12 Chapter -1The Last Lesson (Flamingo -XII)Full chapter explained in easy language.

                        Chapter -1
                      The Last Lesson 
                       (Flamingo -XII)



Alphonse Daudet (1840-1897) was a French novelist and short-story writer. The Last Lesson is set in the days of the Franco-Prussian War (1870-1871) in which France was defeated by Prussia led by Bismarck. Prussia then consisted of what now are the nations of Germany. Poland and parts of Austria. In this story the French districts of Alsace and Lorraine have passed into Prussian hands. Read the story to find out what effect this had on life at school.
अल्फोंस दौदे (Alphonse Daudet) (1840-1897) एक फ्रेंच नावेल लिखने वाले और छोटे किस्से लिखने वाले थे। "द लास्ट लेसन" की कहानी फ्रेंको-प्रशियन जंग (Franco-Prussian War) (1870-1871) के दिनों में सेट की गई है, जिसमें फ्रांस को प्रशिया (Prussia) के हाथों शिकस्त हुई थी। प्रशिया का लीडर बिस्मार्क (Bismarck) था। उस वक्त प्रशिया उन इलाकों में शामिल था, जो आज के जमाने में जर्मनी, पोलैंड और ऑस्ट्रिया का हिस्सा हैं। इस कहानी में दिखाया गया है कि जब फ्रांस के दो जिले, अलसास (Alsace) और लोरेन (Lorraine), प्रशिया के कब्जे में चले गए, तो इसका स्कूल की जिंदगी पर क्या असर पड़ा।

मुश्किल अल्फाज़ के मीनिंग:

Franco-Prussian War – फ्रांस और प्रशिया (जर्मनी) के बीच जंग
Defeated – हार जाना
Prussia – आज के जमाने का जर्मनी और कुछ और यूरोपीय हिस्से
Bismarck – प्रशिया का लीडर
Alsace और Lorraine – फ्रांस के इलाके, जो प्रशिया के कब्जे में चले गए।

आसान तर्जुमा (ररूआ लोकल भाषा में):
अल्फोंस दौदे एक फ्रेंच कहानी लिखने वाले थे। "द लास्ट लेसन" नाम की कहानी उस जमाने की है जब फ्रांस और प्रशिया की जंग हुई थी (1870-1871)। इस जंग में फ्रांस हार गया था और प्रशिया के लीडर बिस्मार्क ने उसे हरा दिया था। उस जमाने में प्रशिया में वो इलाके शामिल थे, जो अब जर्मनी, पोलैंड और ऑस्ट्रिया में आते हैं। इस कहानी में बताया गया है कि जब फ्रांस के दो जिले, अलसास और लोरेन, प्रशिया के कंट्रोल में आ गए, तो स्कूल की ज़िंदगी पर क्या असर हुआ।

I started for school very late that morning and was in great dread of a scolding, especially because M. Hamel had said that he would question us on participles, and I did not know the first word about them. For a moment I thought of running away and spending the day out of doors. It was so warm, so bright! The birds were chirping at the edge of the woods; and in the open field back of the sawmill the Prussian soldiers were drilling. It was all much more tempting than the rule for participles, but I had the strength to resist, and hurried off to school.
मैं उस सुबह बहुत देर से स्कूल के लिए निकला और मुझे बहुत डर लग रहा था कि डांट पड़ेगी, खासकर इसलिए क्योंकि M. Hamel ने कहा था कि वो हमसे participles (क्रिया विशेषण) के बारे में पूछेंगे, और मुझे तो उनका पहला लफ्ज़ भी नहीं आता था। एक पल के लिए मेरा दिल किया कि भाग जाऊं और पूरा दिन बाहर गुज़ारूं। मौसम बहुत अच्छा था, धूप खिली हुई थी! जंगल के किनारे पर चिड़ियाँ चहचहा रही थीं और sawmill (आरा मशीन) के पीछे मैदान में प्रूशियन सिपाही drilling (कसरत/मशक) कर रहे थे। ये सब कुछ participles के क़ायदे से कहीं ज्यादा दिलचस्प था, लेकिन मैंने अपने आपको संभाल लिया और जल्दी से स्कूल की तरफ़ भागा।

When I passed the town hall there was a crowd in front of the bulletin-board. For the last two years all our bad news had come from there - the lost battles, the draft, the orders of the commanding officer - and I thought to myself, without stopping, "What can be the matter now?"
जब मैं टाउन हॉल के पास से गुजरा, तो नोटिस बोर्ड के सामने भीड़ जमा थी। पिछले दो साल से हमारी सारी bad news (बुरी खबरें) वहीं से आती थीं - हारी हुई जंग, draft (फौज में जबरदस्ती भर्ती), और कमांडिंग अफसर के हुक्मनामे। मैंने चलते-चलते सोचा, बिना रुके, "अब क्या मसला हो सकता है?"

Word Notes (शब्दों के मतलब):
Dread – डर
Scolding – फटकार
Edge – किनारा
Tempting – लुभावना
Resist – दबाना
Bulletin-board – नोटिस बोर्ड
Draft – जबरदस्ती भर्ती (फौज में भर्ती होने का हुक्म)

Then, as I hurried by as fast as I could go, the blacksmith, Wachter, who was there, with his apprentice, reading the bulletin, called after me, "Don't go so fast, bub; you'll get to your school in plenty of time!"I thought he was making fun of me, and reached M. Hamel's little garden all out of breath.
फिर, जब मैं जितनी तेज़ी से जा सकता था, भागता हुआ जा रहा था, लोहार वाख़्तर जो अपने चेले (Apprentice – चेला) के साथ वहां खड़ा बुलेटिन (Bulletin – समाचार) पढ़ रहा था, मुझे आवाज़ दे कर बोला, "इतनी जल्दी क्यूं जा रहे हो, भाई? स्कूल तो टाइम पे ही पहुंचेगा!"मुझे लगा वो मेरा मज़ाक उड़ा रहा है, और मैं हाँफते (Out of breath – हाँफते हुए) हुए एम. हामेल के छोटे से बाग़ीचे तक पहुंचा।

लोकल भाषा में (ररूआ अंदाज़ में तर्जुमा)
फिर, जब मैं जितनी तेज़ भाग सकता था, भाग रहा था, लोहार वाख़्तर, जो अपने चेला (Apprentice) के साथ वहाँ बुलेटिन (Bulletin) पढ़ रहा था, मुझे आवाज़ देकर बोला, "अरे भाई, इतनो जल्दी काहे जा रहे हो? स्कूल तो टाइम सेई पहुंचेगा!"
मुझे लगा कि वो मेरा मज़ाक उड़ा रहा है, और मैं हाँफते (Out of breath) हुए मास्टर हामेल के छोटे से बागीचे तक पहुँच गया।

समझाना और मतलब बताना
इस पैराग्राफ़ में एक लड़के के भागकर स्कूल जाने की कहानी बताई गई है। जब वो जल्दी में था, तो रास्ते में एक लोहार उसे हंसी-मज़ाक में कहता है कि इतनी जल्दी मत भागो, स्कूल टाइम पर ही पहुँचेगा। लेकिन लड़का सोचता है कि लोहार उसका मज़ाक उड़ा रहा है, और वो जल्दी-जल्दी भागते हुए स्कूल के बागीचे में पहुँच जाता है।
असल में, ये लाइनें "The Last Lesson" नाम की कहानी से ली गई हैं, जिसमें एक फ्रेंच बच्चा अपनी आखिरी फ्रेंच क्लास के लिए स्कूल भागता हुआ जाता है। इस कहानी में फ्रांस और जर्मनी के इतिहास की झलक मिलती है, जब फ्रांस के एक हिस्से में फ्रेंच भाषा को खत्म कर दिया गया था।

Usually, when school began, there was a great bustle, which could be heard out in the street, the opening and closing of desks, lessons repeated in unison, very loud, with our hands over our ears to understand better, and the teacher's great ruler rapping on the table. But now it was all so still! I had counted on the commotion to get to my desk without being seen; but, of course, that day everything had to be as quiet as Sunday morning. Through the window I saw my classmates, already in their places, and M. Hamel walking up and down with his terrible iron ruler under his arm. I had to open the door and go in before everybody. You can imagine how I blushed and how frightened I was But nothing happened. M. Hamel saw me and said very kindly ndly, "Go to your place quickly, little Franz. We were beginning without you."
आम तौर पर, जब स्कूल शुरू होता था, तो बड़ा शोर-गुल होता था, जो बाहर गली में भी सुना जा सकता था—डेस्क खुलने और बंद होने की आवाज़, सबक एक साथ ऊँची आवाज़ में दोहराना, अपने कानों पर हाथ रखकर बेहतर समझने की कोशिश करना, और उस्ताद की बड़ी रूलर (scale) जो टेबल पर बजती थी। लेकिन आज सब कुछ कितना खामोश था! मैंने सोचा था कि इसी हलचल में मैं चुपके से अपनी जगह पर पहुँच जाऊँगा, मगर आज तो हर चीज़ इतवार की सुबह जैसी शांत थी।
खिड़की से मैंने देखा कि मेरे सारे सहपाठी अपनी जगह पर बैठे हैं और मास्टर हमेल अपने लोहे की डरावनी रूलर को बगल में दबाए इधर-उधर घूम रहे हैं। अब मुझे दरवाजा खोलना था और सबके सामने जाना था। सोच सकते हैं कि मैं कितना शर्मिंदा हुआ और मुझे कितना डर लगा! मगर कुछ भी ख़ास नहीं हुआ। मास्टर हमेल ने मुझे देखा और बहुत नरमी से कहा, "जल्दी से अपनी जगह बैठ जाओ, छोटे फ्रेंज़, हम तुम्हारे बिना शुरू करने ही वाले थे।"

ररूआ हिंदी में तर्जुमा:
जब स्कूल शुरू होता था, तो बहुत हलचल होती थी, जो बाहर गली तक सुनाई देती थी—डेस्क खुलने-बंद होने की आवाज़, सबक को ऊँची आवाज़ में एक साथ बोलना, और कानों पर हाथ रखकर बेहतर समझने की कोशिश करना, और उस्ताद की बड़ी रूलर जो टेबल पर बजती थी। लेकिन आज सब कुछ शांत था! मैंने सोचा था कि इसी शोर में मैं बिना किसी को दिखे अपनी जगह पर पहुँच जाऊँगा, मगर आज तो सबकुछ इतवार की सुबह जैसा शांत था। खिड़की से देखा कि सब सहपाठी अपनी जगह पर बैठे हैं और मास्टर हमेल अपनी लोहे की रूलर बगल में दबाए इधर-उधर घूम रहे हैं। अब मुझे दरवाजा खोलकर अंदर जाना था, सबके सामने! सोच सकते हैं कि मैं कितना शर्मिंदा हुआ और मुझे कितना डर लगा! मगर कुछ भी नहीं हुआ। मास्टर हमेल ने मुझे देखा और नरमी से कहा, "जल्दी अपनी जगह बैठो, छोटे फ्रेंज़, हम तुम्हारे बिना शुरू करने ही वाले थे।"
इस कहानी में फ्रेंज़ नाम का एक बच्चा स्कूल में देर से पहुँचता है। उसे उम्मीद थी कि स्कूल में हमेशा की तरह हलचल होगी, जिससे वह बिना किसी को देखे अपनी जगह पर बैठ जाएगा। लेकिन आज सभी शांत थे। उसने खिड़की से देखा कि सब अपनी जगह बैठे हैं और उस्ताद मास्टर हमेल अपनी लोहे की रूलर के साथ घूम रहे हैं।
फ्रेंज़ को बहुत डर लग रहा था और वह शर्मिंदा भी था, क्योंकि उसे सबके सामने जाना था। लेकिन जब उसने अंदर कदम रखा, तो मास्टर हमेल ने उसे गुस्से से नहीं, बल्कि नरमी से उसकी सीट पर बैठने के लिए कहा।

कहानी का मकसद:
यह कहानी स्कूल के अनुशासन और बच्चों के डर को दिखाती है, खासकर जब वे किसी गलती के बाद उस्ताद के सामने जाते हैं। साथ ही यह भी बताती है कि कभी-कभी हमारा डर बेवजह होता है, क्योंकि सच्चाई उससे अलग निकलती है।

I jumped over the bench and sat down at my desk. Not till then, when I had got a little over my fright, did I see that our teacher had on his beautiful green coat, his frilled shirt, and the little black silk cap, all embroidered, that he never wore except on inspection and prize days. Besides, the whole school seemed so strange and solemn. But the thing that surprised me most was to see, on the back benches that were always empty, the village people sitting quietly like ourselves; old Hauser, with his three-cornered hat, the former mayor, the former postmaster, and several others besides. Everybody looked sad; and Hauser had brought an old primer, thumbed at the edges, and he held it open on his knees with his great spectacles lying across the pages.
मैं बेंच के ऊपर से कूद कर अपने डेस्क पे बैठ गया। जब मेरा डर थोड़ा कम हुआ, तब मैंने देखा कि हमारे टीचर ने अपनी खुबसूरत हरी कोट पहने हुए थे, झीना (frilled) शर्ट पहना था और कढ़ाई (embroidered) वाला छोटा सा काला रेशमी (silk) टोपी पहने हुए थे, जो वो सिर्फ इंस्पेक्शन और इनाम वाले दिन पहनते थे। इसके अलावा, पूरी स्कूल का माहौल अजीब और गमगीन लग रहा था। लेकिन जो चीज़ सबसे ज्यादा हैरान कर रही थी, वो ये थी कि पीछे की बेंचों पर, जो हमेशा खाली रहती थी, गांव के लोग भी हमारी तरह खामोशी से बैठे थे। बूढ़े हाउज़र अपने तीन-कोने वाले टोपी के साथ बैठे थे, पुराना मेयर, पुराना पोस्टमास्टर और कुछ और लोग भी वहां थे। सबके चेहरे उदास थे; और हाउज़र ने एक पुराना प्राइमर (primer) किताब पकड़ा हुआ था, जिसका किनारा घिसा हुआ था। उसने वो किताब अपने घुटनों पर रखा था और उसके बड़े वाले चश्मे (spectacles) उस पर रखे हुए थे।

समझाने का सार:
इस पैराग्राफ में लेखक ने एक स्कूल के माहौल का जिक्र किया है, जहां कुछ अलग ही माहौल था। मास्टर साहब ने खास कपड़े पहने हुए थे, जो वो सिर्फ स्पेशल दिनों में पहनते थे। स्कूल के बच्चे ही नहीं, बल्कि गांव के बड़े-बुज़ुर्ग भी वहां बैठे हुए थे, और सबका मूड उदास था। खासतौर पर हाउज़र, जो कि एक पुरानी किताब लेकर आया था, जिस पर उसका बड़ा वाला चश्मा रखा था। इससे ये अहसास होता है कि कुछ गंभीर बात होने वाली थी, शायद कोई आखिरी क्लास थी या फिर कुछ ऐसा जो सबके लिए मायने रखता था।


While I was wondering about it all, M. Hamel mounted his chair, and, in the same grave and gentle tone which he had used to me, said, "My children, this is the last lesson I shall give you. The order has come from Berlin to teach only German in the schools of Alsace and Lorraine. Thenew master comes tomorrow. This is your last French lesson. I want you to be very attentive."
What a thunderclap these words were to me! Oh, the wretches; that was what they had put up at the town-hall!


जब मैं ये सब सोच ही रहा था, M. हामल अपनी कुर्सी पर Mounted (बैठ गया) और उसी Grave (गंभीर) और नर्म लहजे में बोले, जैसा उन्होंने मुझसे कहा था,
"बच्चों, ये मेरा आखिरी सबक है जो मैं तुम्हें दूँगा। बर्लिन से हुक्म आया है कि अब से अल्सास और लोरेन के स्कूलों में सिर्फ जर्मन पढ़ाई जाएगी। नया उस्ताद कल से आएगा। ये तुम्हारा आखिरी फ्रेंच का सबक है। मैं चाहता हूँ कि तुम बहुत Attentive (ध्यान से सुनना)।"
ये अल्फाज़ सुनकर मुझे ऐसा लगा जैसे आसमान से बिजली गिर गई हो!
ओह, वो जालिम लोग! तो ये था जो उन्होंने टाउन-हॉल पर लगाया था!

लोकल भाषा (ररूआ सरल अंदाज़ में तर्जुमा)
जब मैं ये सब सोच रहा था, M. हामल अपनी कुर्सी पर बैठ गए और उसी संजीदा और नर्म लहजे में बोले,
"बच्चों, आज मैं तुम्हें आखिरी बार पढ़ा रहा हूँ। बर्लिन से हुक्म आया है कि अब स्कूलों में सिर्फ जर्मन पढ़ाई जाएगी। नया मास्टर कल आएगा। ये तुम्हारा आखिरी फ्रेंच का सबक है। मैं चाहता हूँ कि तुम सब ध्यान से सुनो।"
ये सुनकर मेरे पैरों तले ज़मीन निकल गई!
अरे, ये जालिम लोग! तो यही था जो उन्होंने टाउन-हॉल पर चिपकाया था!

इस पैराग्राफ़ का मतलब और इसका संदेश
इस पैराग्राफ़ में ये बताया जा रहा है कि जब किसी कौम की ज़बान छीनी जाती है, तो वो कितनी बड़ी तकलीफ होती है। मि. हामल एक टीचर हैं और उन्हें हुक्म दिया गया है कि अब वो अपनी मातृभाषा (French) नहीं पढ़ा सकते, क्योंकि अब से स्कूलों में सिर्फ जर्मन पढ़ाई जाएगी। ये हुक्म एक हुकूमत (Berlin) की तरफ़ से आया है, जिससे एक पूरी ज़बान और तहज़ीब को मिटाने की कोशिश की जा रही है। बच्चे और मि. हामल दोनों इस बात से दुखी हैं क्योंकि ये उनका आखिरी फ्रेंच का सबक है। ये पैरा बताता है कि जब किसी से उसकी मातृभाषा छीनी जाती है, तो ये कितनी बड़ी ज़ुल्म की बात होती है। भाषा सिर्फ अल्फ़ाज़ नहीं होती, बल्कि उसकी तहज़ीब और पहचान भी होती है।


My last French lesson! Why, I hardly knew how to write ! I should never learn any more! I must stop there, then! Oh, how sorry I was for not learning my lessons, for seeking birds' eggs, or going sliding on the Saar! My books, that had seemed such a nuisance a while ago, so heavy to carry, my grammar, and my history of the saints, were old friends now that I couldn't give up. And M. Hamel, too; the idea that he was going away, that I should never see him again, made me forget all about his ruler and how cranky he was.
मेरी आखिरी फ्रेंच की क्लास! क्यों, मुझे तो लिखना भी ठीक से नहीं आता था! अब मैं और नहीं सीख सकता था! बस, यहीं रुकना था! ओह, मुझे कितना अफसोस हो रहा था कि मैंने अपने सबक नहीं सीखे, परिंदों के अंडे ढूंढता रहा या सार नदी (Saar) पर फिसलता रहा! मेरी किताबें, जो पहले बड़ी बोर लगती थीं, उठाने में भारी लगती थीं – मेरी ग्रामर और 'संतों की तारीख़' (history of the saints) – अब पुराने दोस्त लग रहे थे, जिन्हें मैं छोड़ना नहीं चाहता था। और मास्टर हमेल (M. Hamel) भी, यह सोचकर कि वो चले जाएंगे और मैं उन्हें फिर कभी नहीं देख पाऊंगा, मुझे उनकी सख्ती और उनकी लकड़ी की पट्टी (ruler) सब भूल गई(भूल गया।)

एक और ररूआ लोकल स्टाइल में तर्जुमा:
मेरी आखिरी फ्रेंच की क्लास थी! मुझे तो ढंग से लिखना भी नहीं आता था! अब मैं और कुछ नहीं सीख सकता था! यहीं पे रुकना था! ओह, कितना अफसोस हो रहा था कि मैंने कभी सबक ध्यान से नहीं पढ़े, बस परिंदों के अंडे ढूंढता रहा या सार नदी पर फिसलता रहा! मेरी किताबें, जो पहले बड़ी बोरिंग लगती थीं, उठाने में भारी लगती थीं – मेरी ग्रामर और संतों की तारीख़ वाली किताब – अब ऐसे लग रही थीं जैसे पुराने दोस्त हों, जिन्हें छोड़ना नहीं चाहता था। और मास्टर हमेल भी, ये सोचकर कि वो चले जाएंगे और फिर कभी नहीं दिखेंगे, उनकी सख्ती और डांट सब भूल गया।

समझाने का सार:
यह पैराग्राफ एक बच्चे की भावना को दिखाता है जब उसे एहसास होता है कि यह उसकी आखिरी फ्रेंच क्लास है। पहले वह पढ़ाई को बोझ समझता था और हमेशा खेल-कूद में लगा रहता था, लेकिन जब उसे पता चला कि अब वह और नहीं सीख पाएगा, तो उसे बहुत अफसोस हुआ। उसे अपनी किताबें भी अब प्यारी लगने लगीं और अपने टीचर मास्टर हमेल की भी अहमियत समझ में आई, जिनकी सख्ती पहले बुरी लगती थी, मगर अब उनका जाना दुखद लग रहा था।



Poor man! It was in honour of this last lesson that he had put on his fine Sunday clothes, and now I understood why the old men of the village were sitting there in the back of the room. It was because they were sorry, too, that they had not gone to school more. It was their way of thanking our master for his forty years of faithful service and of showing their respect for the country that was theirs no more.

बेचारा मास्टर! ये उसकी आखरी सबक की इज्जत में था के उसने अपने अच्छे इतवार वाले कपड़े पहने थे। अब मुझे समझ आया के गांव के बुजुर्ग पीछे क्यूं बैठे थे। वो इसलिए क्यूंकि उन्हें भी अफसोस था के उन्होंने स्कूल ज्यादा नहीं जिया। ये उनका तरीका था अपने मास्टर का शुक्रिया अदा करने का, जिसने चालीस साल तक ईमानदारी से खिदमत की। और ये दिखाने का के वो अपने मुल्क से मोहब्बत करते हैं, जो अब उनका नहीं रहा।


ररूआ लोकल भाषा में तर्जुमा:
बेचारे मास्टर जी! यह उनकी आखिरी क्लास की इज्जत के लिए था कि उन्होंने अपने अच्छे इतवार वाले कपड़े पहने थे। अब मुझे समझ आया कि गांव के बूढ़े लोग पीछे क्यों बैठे थे। वो इसलिए क्योंकि उन्हें भी इस बात का अफसोस था कि उन्होंने स्कूल में ज्यादा नहीं पढ़ा। यह उनका तरीका था अपने मास्टर का शुक्रिया अदा करने का, जिसने चालीस साल तक ईमानदारी से सेवा की। और यह दिखाने का कि वे अपने देश की इज्जत करते हैं, जो अब उनका नहीं रहा।


समझाने के लिए सारांश:
यह पैराग्राफ एक बूढ़े मास्टर की आखिरी क्लास के बारे में है। वह मास्टर अपनी आखिरी क्लास के सम्मान में अच्छे कपड़े पहनता है। गांव के बुजुर्ग भी इस क्लास में आते हैं, क्योंकि उन्हें अफसोस होता है कि उन्होंने ज्यादा पढ़ाई नहीं की। यह उनकी तरफ से मास्टर के प्रति इज्जत और उनके देश के प्रति प्यार दिखाने का तरीका होता है, जो अब उनके हाथ से निकल चुका है।
मुख्य बात:
यह कहानी शिक्षा की अहमियत और बीते समय की कद्र करने पर जोर देती है। लोग तब अफसोस करते हैं जब मौका हाथ से निकल जाता है।


While I was thinking of all this, I heard my name called. It was my turn to recite. What would I not have given to be able to say that dreadful rule for the participle all through, very loud and clear, and without one mistake? But I got mixed up on the first words and stood there, holding on to my desk, my heart beating, and not daring to look up.
जब मैं ये सब सोच ही रहा था कि अचानक मेरा नाम पुकारा गया। अब मेरी बारी थी सुनाने की। काश! मैं उस भयानक (horrible) participles के क़ायदा (rule) को ज़ोर से, साफ़ और बिना किसी गलती के सुना सकता। लेकिन मैं पहले ही लफ़्ज़ों (words) में उलझ गया और वहीं खड़ा रह गया, अपने डेस्क को मजबूती से थामे हुए। मेरा दिल तेज़ी से धड़क रहा था और मुझे ऊपर देखने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी।


लोकल हिंदी (ररूआ स्टाइल) तर्जुमा:
जब मैं ये सब सोच ही रहा था, तभी मेरा नाम पुकारा गया। अब मेरी बारी थी सुनाने की। काश! मैं उस participles का rule (क़ायदा) ज़ोर से, साफ़-साफ़ और बिना किसी गलती के सुना सकता! लेकिन मैं पहले ही लफ़्ज़ों में उलझ गया और बस वहीं खड़ा रह गया, अपने डेस्क को पकड़ के। मेरा दिल तेज़ी से धड़कने लगा और मुझे ऊपर देखने की भी हिम्मत नहीं हो रही थी।

समझाइए:
यह पैराग्राफ एक बच्चे के एहसासात (feelings) को बयान कर रहा है जो क्लास में खड़ा होकर एक ज़रूरी rule (कायदा) सुनाने वाला होता है। मगर घबराहट और डर की वजह से वो भूल जाता है, उसके दिल की धड़कन तेज़ हो जाती है, और वो इतना घबरा जाता है कि ऊपर देखने की भी हिम्मत नहीं कर पाता।
असल में, यह पैराग्राफ nervousness (घबराहट) और fear of failure (नाकामी का डर) को दिखाता है, जो बहुत से बच्चों को क्लास में महसूस होता है।


I heard M. Hamel say to me, "I won't scold you, little Franz; you must feel bad enough. See how it is! Every day we have said to ourselves, 'Bah! I've plenty of time. I'll learn it tomorrow.' And now you see where we've come out. Ah, that's the great trouble with Alsace; she puts off learning till tomorrow. Now those fellows out there will have the right to say to you, 'How is it; you pretend to be Frenchmen, and yet you can neither speak nor write your own language?' But you are not the worst, poor little Franz. We've all a great deal to reproach ourselves with."
मैंने मास्टर हमेल को ये कहते सुना, "मैं तुझे डांटूंगा नहीं, छोटे फ्रांस। तुझे खुद ही बुरा लग रहा होगा। देख ले, होता क्या है! हर दिन हम सोचते रहे, 'अभी बहुत टाइम है, कल सीख लेंगे।' और अब देख ले, क्या हो गया। यही तो असल मसला है अलसास का; वो हमेशा सीखने का काम कल पर डाल देता है। अब वो लोग बाहर वाले तुझसे कहेंगे, 'क्या बात है, तुम खुद को फ्रांसीसी कहते हो, और अपनी ही जबान ठीक से बोल-लिख नहीं सकते?' लेकिन तू ही सबसे बुरा नहीं है, छोटे फ्रांस। हम सबने इस मामले में बड़ी गलती की है।"

लोकल भाषा (ररूआ हिंदी तर्जुमा):
मैंने मास्टर हमेल को कहते सुना, "मैं तुझे नहीं डांटूंगा, छोटे फ्रांस। तुझे पहले ही बुरा लग रहा होगा। देख, यही होता है! हर दिन हम सोचते रहे, 'अभी बहुत टाइम है, कल सीख लेंगे।' और अब देख, क्या हो गया। यही सबसे बड़ी दिक्कत है अलसास में; यहाँ लोग हमेशा सीखने का काम टालते रहते हैं। अब वो बाहर वाले तुझसे कहेंगे, 'कैसी बात है, तुम अपने को फ्रांसीसी कहते हो और अपनी ही भाषा ठीक से नहीं जानते?' लेकिन इसमें सिर्फ तेरी गलती नहीं है, छोटे फ्रांस। हम सबकी गलती है।"

समझाने का सार:
मास्टर हमेल छोटे फ्रांस को कह रहे हैं कि उन्होंने उसे डांटने के बजाय उसे एहसास दिलाया कि उसने पढ़ाई को टालकर गलती की है। यह आदत सिर्फ उसकी नहीं, बल्कि पूरे अलसास की है, जहाँ लोग सीखने का काम हमेशा कल पर डालते रहते हैं। अब जब फ्रांसीसी भाषा उनसे छीनी जा रही है, तो उन्हें एहसास हो रहा है कि उन्होंने वक्त रहते क्यों नहीं सीखा। बाहर वाले लोग अब उन पर हंसेंगे कि जो खुद को फ्रांसीसी कहते हैं, वो अपनी भाषा ही ठीक से नहीं जानते। लेकिन मास्टर हमेल ये भी मानते हैं कि गलती सिर्फ फ्रांस की नहीं, बल्कि सबकी है, जिन्होंने इस बात को हल्के में लिया।


"Your parents were not anxious enough to have you learn. They preferred to put you to work on a farm or at the mills, so as to have a little more money. And I? I've been to blame also. Have I not often sent you to water my flowers instead of learning your lessons? And when I wanted to go fishing, did I not just give you a holiday?"
"तुम्हारे वालदैन इतने anxious (उत्सुक) नहीं थे कि तुम्हें पढ़ने के लिए मजबूर करते। उनको ये ज़्यादा पसंद था कि तुम्हें किसी खेत या कारखाने में काम पर लगा दें, ताके थोड़े पैसे ज़्यादा कमा सकें। और मैं? मेरी भी गलती रही है। क्या मैंने तुम्हें कई बार अपने फूलों को पानी देने नहीं भेजा, बजाय इसके कि तुम अपने सबक़ याद करते? और जब मुझे मछली पकड़ने का शौक होता, तो क्या मैंने तुम्हें छुट्टी नहीं दे दी?"


ररूआ हिंदी स्टाइल में तर्जुमा:
"तेरे माँ-बाप इतने anxious (बेचैन) ना थे कि तुझे पढ़ाई पर ज़ोर देते। उन्हों ने तो ये ज़्यादा preferred (पसंद) किया कि तुझे खेतों या मिल में लगा दें, तांकि कुछ पैसे ज़्यादा आ जाएं। और मैं? मेरी भी गलती रही। कई बार तो मैंने तुझे अपने फूलों में पानी डालने भेज दिया, बजाय इसके कि तु पढ़ाई करता। और जब कभी मेरा मछली पकड़ने का दिल करता, तो तुझे छुट्टी ही दे देता ना?"

समझाने के लिए सार:
ये पैराग्राफ बताता है कि बच्चा पढ़ाई में कमजोर क्यों रह गया। उसके माँ-बाप पढ़ाई से ज़्यादा पैसे कमाने को preferred (पसंद) करते थे, इसलिए उसे खेत या फैक्ट्री में लगा दिया। साथ ही, जो शख्स ये बोल रहा है, वो भी अपनी गलती मान रहा है कि उसने बच्चे से कभी पढ़ाई के बजाय अपने फूलों को पानी दिलवाया और कभी अपने शौक के लिए उसे छुट्टी दे दी।

यहाँ ये समझाने की कोशिश की जा रही है कि जब माँ-बाप और शिक्षक दोनों बच्चे की पढ़ाई को गंभीरता से नहीं लेते, तो उसका भविष्य भी मुश्किल में पड़ सकता है।

Then, from one thing to another, M. Hamel went on to talk of the French language, saying that it was the most beautiful language in the world-the clearest, the most logical; that we must guard it among us and never forget it, because when a people are enslaved, as long as they hold fast to their language it is as if they had the key to their prison. Then he opened a grammar and read us our lesson. I was amazed to see how well I understood it. All he said seemed so easy, so easy ! I think, too, that I had never listened so carefully, and that he had never explained everything with so much patience. It seemed almost as if the poor man wanted to give us all he knew before going away, and to put it all into our heads at one stroke.
फिर, एक बात से दूसरी बात पे आते हुए, मास्टर हमेल ने फ्रेंच ज़बान के बारे में बात की, कहते थे कि ये दुनिया की सबसे खूबसूरत ज़बान है - सबसे वाज़े (clear), सबसे तर्क-संगत (logical)। उन्होंने कहा कि हमें इसे अपने दरमियान महफूज़ (guard - protect) रखना चाहिए और कभी भूलना नहीं चाहिए, क्योंकि जब कोई कौम गुलाम (enslaved - slave) हो जाती है, तो जब तक वो अपनी ज़बान को मजबूती से थामे रखती है, ये ऐसा होता है जैसे उनके पास अपनी कैद (prison) की चाबी हो। फिर उन्होंने एक ग्रामर की किताब खोली और हमें हमारा सबक पढ़ाया। मुझे ये देखकर हैरानी (amazed - surprised) हुई कि मुझे कितना अच्छे से समझ आ रहा था। जो कुछ भी वो कह रहे थे, वो सब बहुत आसान लग रहा था, बहुत आसान! मुझे लगा कि मैंने कभी इतनी तवज्जो (carefully) से नहीं सुना, और शायद उन्होंने भी कभी इतनी सब्र (patience) से समझाया नहीं था। ऐसा लग रहा था जैसे बेचारे मास्टर साहब चाहते हों कि जो कुछ उनके पास इल्म है, सब हमें दे दें और हमारे दिमाग़ में एक ही बार में बिठा दें।

ररूआ हिंदी तर्जुमा:
फिर, एक बात से दूसरी बात पर आते हुए, मास्टर हमेल ने फ्रेंच भाषा के बारे में बात की। वो कह रहे थे कि यह दुनिया की सबसे सुंदर भाषा है - सबसे साफ, सबसे तर्कसंगत। उन्होंने कहा कि हमें इसे अपनी बीच बचा कर रखना चाहिए और कभी भूलना नहीं चाहिए, क्योंकि जब कोई जाति गुलाम बना दी जाती है, अगर वह अपनी भाषा को पकड़े रहती है, तो ऐसा होता है जैसे उनके पास अपनी जेल की चाबी हो। फिर उन्होंने एक व्याकरण (grammar) की किताब खोली और हमें पाठ पढ़ाया। मुझे बड़ा आश्चर्य हुआ कि मैं सब अच्छे से समझ पा रहा था। जो कुछ भी वो कह रहे थे, वो सब बहुत आसान लग रहा था, बहुत आसान! मुझे लगा कि मैंने कभी इतनी ध्यान से नहीं सुना, और शायद उन्होंने भी कभी इतनी धैर्य (patience) से नहीं समझाया था। ऐसा लग रहा था जैसे बेचारे मास्टर साहब चाहते थे कि जो कुछ उनके पास ज्ञान है, सब हमें दे दें और हमारे दिमाग में एक ही बार में भर दें।


समझाइए
यह पैराग्राफ "The Last Lesson" (आखिरी पाठ) से लिया गया है, जो अल्फोंस डॉडेट की एक मशहूर कहानी है। इसमें मास्टर हमेल एक फ्रेंच टीचर हैं जो अपने आखिरी दिन स्कूल में बच्चों को पढ़ा रहे हैं, क्योंकि अब उनकी भाषा पर पाबंदी लगने वाली है। वह बताते हैं कि भाषा किसी भी कौम की पहचान होती है। अगर लोग अपनी भाषा से जुड़े रहते हैं, तो वह गुलामी के बावजूद अपनी पहचान और आज़ादी महसूस कर सकते हैं। यही वजह है कि मास्टर हमेल बहुत दर्द और इमोशन के साथ पढ़ा रहे हैं और बच्चे भी पहली बार इतने ध्यान से सुन रहे हैं।


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Shakil Ansari