**अल्लाहु-अल्लाहु... अल्लाहु-अल्लाहु...**
हर तरफ तेरा जलवा, हर शै में तेरा नूर,
तू है वजूद हर जर्रे में, तुझसे रोशन ये दस्तूर।
रब्बुल-आलमीन तू, हर दिल की सदा,
रहमान-ओ-रहीम तू, हर मर्ज़ की दवा।
तुझसे ये जमीन, तुझसे आसमान,
तूने बख्शी ये कुदरत, तेरा एहसान।
तू ही मालिक यौम-उद्दीन, तू ही रहमतों का दर,
हर सजीदा तेरे आगे, हर नजर तुझ पर।
इबादतें तेरी, सजदों में सुकून,
तेरे नूर से है रौशन, ये रातें और ये दिन।
हम तो बेबस बंदे, तुझसे आस लगाएं,
तेरी रहमत के साए, तुझसे रौशनी पाएं।
**अल्लाहु-अल्लाहु... अल्लाहु-अल्लाहु...**
तू ही है सब कुछ, और तू ही काफ़ी,
सकील तारीफें लिखें, ये ज़बां कभी ना हो ख़ाली।
।।।।।
हर सिम्त में जलवा तेरा नूर दिखाई देता है,
हर जर्रा तेरे सजदे में झुका दिखाई देता है।
तू है मालिक, तू है माबूद, तू ही है क़य्यूम,
तेरे दम से हर मख़लूक़ को सुकून दिखाई देता है।
आसमां की बुलंदियां, ज़मीं की गहराइयां,
तेरी कुदरत का हर शाहकार दिखाई देता है।
तेरी रहमत हर माजलूम की आस बन जाए,
तेरे जिक्र से ही दिल को करार दिखाई देता है।
रहमान, रहीम, करीम तू ही है मेरे मालिक,
हर दिल में तेरा ही नूर-ए-इमान दिखाई देता है।
सजदा करूँ तेरे दर पे, मेरी हस्ती फना हो,
तेरी मोहब्बत में खुदा सब कुछ निछावर हो।
।।
सजदा करूँ तेरे दर पे, मेरी हस्ती फना हो,
तेरी मोहब्बत में खुदा सब कुछ निछावर हो।
इस शेर का मतलब है कि मैं तेरी बारगाह (दरबार) में सिर झुका कर ऐसा सजदा करना चाहता हूँ कि मेरी पूरी पहचान, मेरा वजूद मिट जाए। तेरी मोहब्बत और तेरे इश्क में इतनी गहराई है कि मैं अपनी हर चीज, अपनी जान और अपनी पहचान, सब कुछ कुर्बान करने को तैयार हूँ।
"ऐसा झुकना चाहता हूँ तेरे दर पे कि मेरी हस्ती मिट जाए, और तेरी मोहब्बत का ऐसा जलवा हो कि मेरी जान भी कुर्बान करने से पीछे न हटूँ। ये इश्क खुदा से है, जिसमें सब कुछ फना हो जाना ही इबादत का मकसद है।"
विस्तार से इस हम्द के बारे में
इन पंक्तियों को आसानी से समझने के लिए हम इन्हें एक-एक करके विस्तार से समझेंगे और साथ ही कुरान और हदीस के संदर्भ में भी उनका विश्लेषण करेंगे।
### 1. "हर सिम्त में जलवा तेरा नूर दिखाई देता है,
हर जर्रा तेरे सजदे में झुका दिखाई देता है।"
यह शेर इस बात की तरफ इशारा करता है कि अल्लाह का नूर हर जगह फैला हुआ है, हर दिशा, हर स्थान पर उसके प्रकाश का असर है। इस पूरी कायनात में हर चीज़ का अस्तित्व अल्लाह की मरज़ी और उसके आदेश से है। जब हम किसी चीज़ को देखते हैं, तो हम उसके अंदर अल्लाह की ताक़त और मौजूदगी को महसूस कर सकते हैं।
**कुरान**:
“اللَّهُ نُورُ السَّمَاوَاتِ وَالْأَرْضِ”
(कुरान 24:35)
अल्लाह ही आकाशों और ज़मीन का नूर है।
**हदीस**:
“इस्तमअ'ल हदीस: “वॉयरियर इन् सैकड़ हद।” (हदीस इब्न माजा)
हर स्थान पर अल्लाह का नूर व्याप्त है और उसी नूर से सृष्टि का हर प्राणी उसका शुक्र अदा करता है।
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### 2. "तू है मालिक, तू है माबूद, तू ही है क़य्यूम,
तेरे दम से हर मख़लूक़ को सुकून दिखाई देता है।"
यह शेर हमें यह याद दिलाता है कि अल्लाह ही हमारा मालिक है, और वही हमारी ज़िंदगी की ज़िम्मेदारी और हर चीज़ का नियंत्रण करता है। वह सर्वशक्तिमान है और किसी भी जीव का पालन और सुरक्षा उसी के हाथ में है। उसके बिना कोई जीव अस्तित्व में नहीं रह सकता।
**कुरान**:
“اللَّهُ لَا إِلٰهَ إِلَّا هُوَ الْحَيُّ الْقَيُّومُ”
(कुरान 2:255)
अल्लाह ही है, उसके सिवा कोई उपास्य नहीं, वही जीवित और सशक्त है।
**हदीस**:
“जो कुछ भी हैं, वह अल्लाह के हुक्म से हैं।” (सहीह अल-बुखारी)
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### 3. "आसमां की बुलंदियां, ज़मीं की गहराइयां,
तेरी कुदरत का हर शाहकार दिखाई देता है।"
यह पंक्ति बताती है कि आसमान और ज़मीन में जितनी भी खूबसूरती और शक्ति दिखाई देती है, वह सारी अल्लाह की कुदरत का असर है। हर पहाड़, हर दरिया, हर पेड़, सब कुछ उसकी कुदरत की मिसाल है।
**कुरान**:
“सिर्फ़ अल्लाह की कुदरत में वह ताक़त है कि वह आकाशों और ज़मीन की रचना करता है।”
(कुरान 30:48)
**हदीस**:
"अल्लाह का रचनात्मक काम कुदरत की सबसे बड़ी निशानी है।" (सहीह मुस्लिम)
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### 4. "तेरी रहमत हर माजलूम की आस बन जाए,
तेरे जिक्र से ही दिल को करार दिखाई देता है।"
इस शेर में अल्लाह की रहमत की बात की गई है। अल्लाह की रहमत हर दुखी और परेशान व्यक्ति के लिए सुकून का कारण बनती है। जब हम अल्लाह का जिक्र करते हैं, तो हमारी आत्मा को शांति मिलती है और दिल को सुकून मिलता है।
**कुरान**:
“وَرَحْمَتِي وَسِعَتْ كُلَّ شَيْءٍ”
(कुरान 7:156)
मेरी रहमत ने हर चीज़ को अपनी हद में ले लिया है।
**हदीस**:
“अल्लाह की रहमत हर चीज़ से बड़ी है।” (सहीह मुस्लिम)
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### 5. "रहमान, रहीम, करीम तू ही है मेरे मालिक,
हर दिल में तेरा ही नूर-ए-इमान दिखाई देता है।"
इस शेर में अल्लाह के तीन प्रमुख नामों—रहमान (दयालु), रहीम (कृपालु), और करीम (सर्वशक्तिमान)—का जिक्र किया गया है। अल्लाह के ये नाम उसके गुणों को दर्शाते हैं और इन गुणों के कारण ही हर दिल में ईमान और नूर पाया जाता है।
**कुरान**:
“الرَّحْمَنُ الرَّحِيمُ”
(कुरान 1:3)
वह दयालु है, कृपालु है।
**हदीस**:
“अल्लाह के सत्ताईस नाम हैं, जिनसे कोई भी उसे पुकारे तो वह उसकी दुआ सुनता है।” (सहीह मुस्लिम)
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### 6. "सजदा करूँ तेरे दर पे, मेरी हस्ती फना हो,
तेरी मोहब्बत में खुदा सब कुछ निछावर हो।"
यह शेर इस बात को कहता है कि हम अल्लाह के सामने सजदा करते हैं और हमारी पूरी ज़िंदगी और पहचान उसकी मोहब्बत के सामने समर्पित हो जाती है। जब हम अल्लाह से प्यार करते हैं, तो हम अपने सारे अहंकार और खुद को उसकी राह में समर्पित कर देते हैं।
**कुरान**:
“وَأَنَّ الْمَسَاجِدَ لِلَّهِ”
(कुरान 72:18)
सिर्फ़ अल्लाह के लिए मस्जिदें हैं और उसे ही सजदा करना चाहिए।
**हदीस**:
“जो अपने आप को अल्लाह के समर्पित करता है, उसे ही असल शांति मिलती है।” (सहीह मुस्लिम)
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### 7. "शकील के अल्फाज़ों में तेरी ही तारीफें हों,
तेरी रहमत से हर दिल रोशन दिखाई देता है।"
यह शेर यह बताता है कि हम अपनी ज़िंदगी में जो भी अच्छाई देख सकते हैं, वह सब अल्लाह की तारीफ और रहमत से है। हर व्यक्ति का दिल सिर्फ़ अल्लाह की रहमत से ही रोशन होता है।
**कुरान**:
“إِنَّ اللَّهَ يُحِبُّ الَّذِينَ يُحْسِنُونَ”
(कुरान 3:134)
अल्लाह उन लोगों को पसंद करता है जो अच्छाई करते हैं।
**हदीस**:
“अल्लाह का नाम हमेशा लिया जाए, दिल रोशन होता है।” (सहीह अल-बुखारी)
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### 8. "शकील कहे, रहमत-ए-खुदा से मुनव्वर हो,
हर दर्दमंद को खुदा का दर दिखाई देता है।"
यह शेर इस बात पर जोर देता है कि अल्लाह की रहमत से ही अंधेरे में रोशनी मिलती है और दुखी दिलों को राहत मिलती है। अल्लाह का दर ही वह स्थान है, जहाँ हर समस्या का समाधान मिलता है।
**कुरान**:
“إِنَّ اللَّهَ يَفْعَلُ مَا يَشَاءُ”
(कुरान 3:40)
अल्लाह जो चाहता है वह करता है।
**हदीस**:
“अल्लाह का दर हमेशा खुला है, जो भी उसकी तरफ मुड़ता है वह कभी निराश नहीं होता।” (सहीह अल-बुखारी)
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### 9. "ऐ "शकील," तेरे अशआर में तौहीद का जिक्र है,
हर लफ्ज़ से तेरा ईमान-ओ-इस्लाम झलकता है।"
यह शेर तौहीद (अल्लाह की एकता) की अहमियत को बताता है। शकील के शब्दों में अल्लाह की एकता का अहसास होता है और उनके हर शेर में इस्लाम का संदेश छिपा होता है।
**कुरान**:
“اللَّهُ أَحَدٌ”
(कुरान 112:1)
अल्लाह एक है।
**हदीस**:
“जो अल्लाह की एकता में विश्वास करता है, वह सच्चा मुसलमान है।” (सहीह मुस्लिम)
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"शकील के अल्फाज़ों में तेरी ही तारीफें हों,
तेरी रहमत से हर दिल रोशन दिखाई देता है।"
"शकील कहे, रहमत-ए-खुदा से दिल मुनव्वर हो,
हर दर्दमंद को खुदा का दर दिखाई देता है।"
'ऐ "शकील," तेरे अशआर में तौहीद का जिक्र है,
हर लफ्ज़ से तेरा ईमान-ओ-इस्लाम झलकता है।
यह शायरी शकील के अल्फाज़ में बखूबी इन्कलाब और तौहीद का जिक्र करती है। शकील की शायरी का हर अल्फाज़ अपनी गहरी रूहानी और धार्मिक सोच को उजागर करता है। आइए, हर शब्द और विचार को विस्तार से समझें:
**"शकील के अल्फाज़ों में तेरी ही तारीफें हों,"**
यह शेर अल्लाह की तारीफ में ढलते शकील के अल्फाज़ों का इशारा करता है। 'शकील' शब्द की जड़ें भी तौहीद में हैं, जो उस शख्स के हिदायत को दर्शाती हैं, जो अल्लाह के बारे में गहरे विचार करता है। यहाँ शकील का मतलब है ‘सज्जन, सुंदर और मोहब्बत से भरा इंसान’। शकील का हर लफ्ज़ अल्लाह की रहमत और उसकी तारीफ से रोशन होता है।
**"तेरी रहमत से हर दिल रोशन दिखाई देता है।"**
यह शेर अल्लाह की रहमत की बात करता है। क़ुरआन में अल्लाह का नाम "रहमान" (जो बहुत मेहरबान है) आता है, जिसका मतलब है कि अल्लाह की रहमत से हर दिल में रोशनी और हिम्मत आ जाती है। यहाँ पर यह शेर यह बताता है कि जब अल्लाह की रहमत होती है, तो इंसान का दिल रोशन हो जाता है, जैसे अंधेरे में एक रोशनी आ जाती है।
**"शकील कहे, रहमत-ए-खुदा से दिल मुनव्वर हो,"**
यह शेर भी शकील के विचारों की गहराई को दर्शाता है। 'मुनव्वर' का मतलब है उजाला, और यहाँ शकील यह कह रहे हैं कि अल्लाह की रहमत से इंसान का दिल रोशन और पाक हो जाता है। इस विचार का मक्सद यह है कि इंसान जब खुदा की रहमत में समाहित होता है, तो उसके दिल में सच्चाई और ईमान का उजाला आता है।
**"हर दर्दमंद को खुदा का दर दिखाई देता है।"**
यह शेर यह संदेश देता है कि जब इंसान अपने दर्द और समस्याओं के साथ अल्लाह के दर पर पहुंचता है, तो उस दर से उसे राहत और सुकून मिलता है। क़ुरआन और हदीस में अल्लाह से हमेशा मदद मांगने की शिक्षा दी गई है, और इस शेर में यह बात प्रस्तुत की गई है कि अल्लाह का दर सबसे बड़ा दर है, जहां से हर दर्द और परेशानी का इलाज मिलता है।
**"ऐ 'शकील,' तेरे अशआर में तौहीद का जिक्र है,"**
यह शेर यह बताता है कि शकील के हर अशआर में तौहीद का जिक्र है। 'तौहीद' का मतलब है अल्लाह की एकता पर विश्वास करना, जो कि इस्लाम का मूल सिद्धांत है। इस शेर में शकील के अशआर में ईमान और तौहीद का अक्स साफ दिखता है।
**"हर लफ्ज़ से तेरा ईमान-ओ-इस्लाम झलकता है।"**
यह शेर यह बताता है कि शकील के शब्दों से इस्लाम और ईमान की सच्चाई का अहसास होता है। उनका हर शब्द अल्लाह के सच्चे बंदे के ख्यालात और विश्वास को दर्शाता है।
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**शेर का पूरा तर्जुमा:**
शकील के इन अल्फ़ाज़ों में जो संदेश है, वह यह है कि इंसान की जिंदगी में अल्लाह की रहमत, तौहीद और इस्लाम के सिद्धांत की बुनियाद होनी चाहिए। शकील का यह तर्क है कि अल्लाह के हर नाजुक हुक्म और रहमत से इंसान का दिल रोशन हो जाता है और हर दर्दमंद को सिर्फ और सिर्फ अल्लाह का दर दिखाई देता है। शकील अल्लाह के बंदे हैं, और उन्होंने अपने ख्यालात और नजरिए को अल्लाह की रहमत से जोड़ा है। शकील अपने अशआर के जरिए न केवल खुदा की तारीफ करते हैं, बल्कि एक मजबूत मुसलमान की पहचान भी पेश करते हैं।
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**हदीस और क़ुरान से जुड़ी बातें:**
**हदीस:**
"अल्लाह की रहमत को चाहने वाला उसके पास जाएगा, और उसकी रहमत से दिलों का मुनव्वर होना केवल उसी के हाथ में है।" (सहीह मुस्लिम)
**क़ुरआन:**
"क्या तुम नहीं देखते कि अल्लाह की रहमत से जिंदगियाँ जागृत होती हैं?" (क़ुरआन 57:6)
यह आयत बताती है कि अल्लाह की रहमत से दिलों में रोशनी आती है और इंसान का जीवन बेहतर बनता है।
**इंसान को मोटिवेशन:**
यह शायरी इंसान को यह सिखाती है कि अल्लाह की रहमत पर विश्वास रखने से ही जीवन में सुकून और मार्गदर्शन मिलता है। शकील के शब्दों में यह संदेश है कि जब इंसान खुदा की राह पर चलता है, तो उसका दिल रोशन हो जाता है, और उसका हर कदम इस्लाम के सिद्धांतों से प्रेरित होता है।
इस शायरी का मकसद यह है कि इंसान को अल्लाह की रहमत से जुड़े रहकर अपने जीवन को बेहतर बनाने का रास्ता अपनाना चाहिए।
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ऐ रब्बे करीम, हम तेरी बंदगी में झुक जाते हैं,
तेरे हर नाम से मोहब्बत का सबक़ पाते हैं।
हर सांस में तेरी याद का एक फ़साना हो,
तेरी रहमत से हर लम्हा रोशन और सुहाना हो।
यह नज़्म अल्लाह तआला की तारीफ़ और उसकी रहमतों की याद में लिखी गई है। इसमें हिंदुस्तानी अंदाज़ की एक खास रवायत झलकती है, जो इश्के-इलाही और मोहब्बत-भरी बंदगी को बयान करती है। आइए इसे विस्तार से समझते हैं:
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### **ऐ रब्बे करीम, हम तेरी बंदगी में झुक जाते हैं**
यह पंक्ति अल्लाह के सामने इंसान की फ़रमाबरदारी और उसकी अजमत को मानने का इज़हार करती है। हिंदुस्तानी अंदाज़ में इसे इस तरह महसूस किया जा सकता है कि जैसे एक सच्चा मोमिन अपनी नमाज़, दुआ, और इबादत के ज़रिये अपनी मोहब्बत और वफ़ादारी का इज़हार कर रहा हो।
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### **तेरे हर नाम से मोहब्बत का सबक़ पाते हैं।**
इस पंक्ति में अल्लाह के 99 नामों (अस्मा-उल-हुस्ना) की बात है, जिनमें हर नाम में एक अलग रहमत और सिफत छुपी हुई है। हिंदुस्तानी कलामों में अल्लाह के नामों को ग़ज़ल और नात की तरह गाया जाता है, जिसमें मोहब्बत और अकीदत का समंदर बहता है।
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### **हर सांस में तेरी याद का एक फ़साना हो,**
यहां बंदा अपनी हर सांस को अल्लाह की याद के साथ जोड़ता है। हिंदुस्तानी नज़्मों और कव्वालियों में यह जज़्बा अक्सर देखा जाता है, जहां हर सांस को अल्लाह के इश्क में डुबो दिया जाता है। जैसे मशहूर शायरों की नज़्मों में "इश्के-हक़ीक़ी" (सच्चे इश्क) की बात होती है।
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### **तेरी रहमत से हर लम्हा रोशन और सुहाना हो।**
यह पंक्ति अल्लाह से दुआ है कि उसकी रहमत हमेशा ज़िंदगी को रोशन और आसान बनाए रखे। हिंदुस्तानी अंदाज़ में इसे इस तरह बयान किया जा सकता है कि जैसे एक बच्चा अपनी मां से मोहब्बत भरे लहजे में अपनी ज़रूरतें बयान करता है, वैसे ही यह नज़्म अल्लाह से रहमतों और बरकतों की इल्तिजा करती है।
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### हिंदुस्तानी अंदाज़ में व्याख्या:
1. **जज़्बात की गहराई:** हिंदुस्तानी में रूहानी मोहब्बत को बहुत अहमियत दी जाती है। इस नज़्म में भी अल्लाह से जुड़ाव का इज़हार बेहद मोहब्बत और अकीदत के साथ किया गया है।
2. **लफ़्ज़ों की नर्मी:** नज़्म के हर लफ़्ज़ में वो नर्मी और सुकून है, जो हिंदुस्तानी शायरी की खासियत है। यह अंदाज़ लोगों के दिलों में गहरी जगह बनाता है।
3. **काव्यात्मक शैली:** नज़्म का हर शेर कव्वाली या नात की तरह महसूस होता है, जिसे सुनने वाले अपनी रूह में महसूस कर सकते हैं।
4. **रूहानी असर:** इस नज़्म का पाकिस्तानी अंदाज़ इसलिए खास बनता है क्योंकि यह इंसान के दिल को अल्लाह के इश्क में खो जाने पर मजबूर कर देता है।
**सपोर्टिंग शेर:**
*"तू है करीम, तू है रहीम, बस तुझसे ही सब कुछ है,
तेरी बंदगी में है सुकून, तेरी रहमत से सब कुछ है।"*
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