"रिज्के हलाल ही से रोशन जहान होता है,
हराम की कमाई से बर्बाद इंसान होता है।"
मरीजों के दर्द को जो समझे वो मुकम्मल डॉक्टर है,
वरना दौलत का लालच इंसान को मखौल करता है।"
इलाज का मकसद दौलत नहीं, राहत हो,
हर दर्द के लिए दिल में शफकत हो।"
"हलाल कमाई का जो रखे ईमानदार सबक,
वही है वो इंसान, जो करे अल्लाह से दस्तक।"
"दर्द का मरहम और राहत की शान बनो,
मरीजों के लिए दुआओं की पहचान बनो।"
इस्लाम में कमाई का एक पाक और सही तरीका होना अनिवार्य है ताकि न केवल दुनिया में तरक्की हासिल हो, बल्कि आखिरत में भी कोई नुकसान न हो। कुरान और हदीस की रोशनी में कुछ अहम बातें नीचे पेश की जा रही हैं, खासकर डॉक्टर जैसे पेशों के लिए:
### **1. कमाई का हलाल होना जरूरी है**
कुरान में फरमाया गया:
*“और जो हलाल और पाक चीजें अल्लाह ने तुम्हें दी हैं, उन्हें खाओ और शैतान के रास्ते पर न चलो। वह तुम्हारा खुला दुश्मन है।”* (सूरतुल बकरा: 168)
हर मुसलमान को चाहिए कि अपनी कमाई हलाल तरीकों से करे। डॉक्टर हो या किसी और पेशे से ताल्लुक रखते हों, रिश्वत, धोखाधड़ी, झूठ या हराम चीजों से बचें। मरीजों का गलत फायदा न उठाएं और जरूरत से ज्यादा फीस न लें।
### **2. नियत का पाक होना**
हदीस में है:
*“अल्लाह तुम्हारे आमाल को तुम्हारी नियत के मुताबिक क़ुबूल करता है।”* (सहीह बुखारी)
डॉक्टर के लिए जरूरी है कि वह मरीज की मदद एक इबादत समझकर करे, न कि सिर्फ पैसे कमाने का जरिया। मरीज़ की भलाई को अपनी प्राथमिकता बनाए।
### **3. धोखाधड़ी और जालसाजी से बचें**
हदीस में है:
*“जो हम में धोखा देता है, वह हम में से नहीं है।”* (सहीह मुस्लिम)
डॉक्टर को गलत दवाएं लिखने, मरीजों को गैर-जरूरी टेस्ट कराने या झूठे इलाज बताने से बचना चाहिए।
### **4. इंसाफ और ईमानदारी अपनाएं**
कुरान में फरमाया गया:
*“और इंसाफ करो, अल्लाह इंसाफ करने वालों को पसंद करता है।”* (सूरतुल माएदा: 42)
डॉक्टर को अपने काम में ईमानदारी और इंसाफ बरतना चाहिए। अमीर और गरीब मरीजों में फर्क न करें।
### **5. आखिरत की फिक्र करें**
हदीस में है:
*“इस दुनिया में ऐसे जियो जैसे एक मुसाफिर हो। आखिरत को अपनी मंज़िल समझो।”* (सहीह बुखारी)
कमाई का हर हिस्सा सोच-समझकर इस्तेमाल करें। हर महीने अपनी कमाई का कुछ हिस्सा गरीबों और जरूरतमंदों को जकात और सदक़ा के तौर पर दें।
### **6. गुनाह और हराम कामों से बचें**
कुरान में फरमाया गया:
*“और गुनाह और सरकशी में एक-दूसरे की मदद न करो।”* (सूरतुल माएदा: 2)
डॉक्टर को चाहिए कि हराम तरीकों, जैसे भ्रूण हत्या या गलत मेडिकल प्रक्रियाओं से बचें।
### **निष्कर्ष**
डॉक्टर हो या कोई और पेशा, इस्लाम ने कमाई के लिए पाक और हलाल तरीके अपनाने पर जोर दिया है। मरीजों की भलाई करें, नियत साफ रखें, और ईमानदारी के साथ काम करें। आखिरत को हमेशा याद रखें, क्योंकि वहीं हमारी असली कामयाबी है।
*“रिज्क को हलाल बनाओ और अल्लाह पर यकीन रखो, तुम्हारे लिए दरवाजे खुल जाएंगे।”*
================== इसे 2037 से इस्तेमाल किया जाएगा इशाल्लाह=================
......### डॉक्टर और मुसलमान के लिए इस्लाम में हलाल कमाई का महत्व
इस्लाम में कमाई का मकसद सिर्फ दुनिया में तरक्की करना नहीं है, बल्कि आखिरत की तैयारी भी है। कमाई ऐसी होनी चाहिए जिससे न अल्लाह नाराज़ हों, न दूसरों को नुकसान पहुँचे। **डॉक्टर** जैसे पेशेवर लोगों को ख़ास तौर पर अपनी कमाई के मामले में ईमानदार और साफ-सुथरा तरीका अपनाना चाहिए, क्योंकि उनकी जिम्मेदारी सीधे लोगों की जान और सेहत से जुड़ी होती है।
#### इस्लामिक गाइडलाइंस हलाल कमाई के लिए (हदीस और कुरान के अनुसार)
1. **हलाल और हराम का फर्क समझें**
कुरान में अल्लाह फरमाते हैं:
_"और हलाल और पाक चीज़ें खाओ, जो अल्लाह ने तुम्हें दी हैं, और अल्लाह से डरो, जिस पर तुम ईमान रखते हो।"_
(**सूरह अल-माइदा: 88**)
डॉक्टर को चाहिए कि अपनी कमाई का जरिया हमेशा हलाल रखें। मरीज़ से सही फीस लें और गलत तरीकों से पैसे कमाने से बचें, जैसे:
- ग़लत टेस्ट्स लिखना।
- बिना ज़रूरत के दवाईयां देना।
- मरीज़ को महंगी चीज़ों के लिए मजबूर करना।
2. **धोखाधड़ी से बचें**
हदीस में आता है:
_"जिसने धोखा दिया, वह हममें से नहीं है।"_
(**सहीह मुस्लिम: 102**)
डॉक्टर को चाहिए कि मरीज़ की हालत को बढ़ा-चढ़ाकर न बताएं और न ही उन्हें ऐसे इलाज के लिए मजबूर करें जिसका कोई फायदा न हो।
3. **मरीज की सेहत को पहली प्राथमिकता दें**
डॉक्टर की जिम्मेदारी है कि वह मरीज को सही सलाह दे। गलत तरीके से पैसा कमाने के बजाय उसकी सेहत को अहमियत दें।
4. **ईमानदारी से फीस तय करें**
डॉक्टर को अपनी फीस और अन्य खर्चों को सही और ईमानदार तरीके से तय करना चाहिए। फीस ऐसी हो जो मरीज़ की पहुंच में हो।
_"और माप और तोल को इंसाफ के साथ पूरा करो।"_
(**सूरह अल-अनआम: 152**)
5. **हराम काम और दवा से बचें**
ऐसी दवाइयाँ न दें जो नुकसानदायक हो या इस्लाम में हराम मानी जाती हों। साथ ही, रिश्वत लेकर गलत मेडिकल रिपोर्ट बनाना सख्ती से मना है।
हदीस में है:
_"अल्लाह उस पर लानत करता है जो रिश्वत देता है और जो रिश्वत लेता है।"_
(**सुनन अबू दाऊद: 3580**)
#### मौजूदा दौर में डॉक्टरों की गलतियां और सुधार के सुझाव
1. **गलत रिपोर्ट बनाना**: पैसा कमाने के लिए झूठी मेडिकल रिपोर्ट तैयार न करें।
2. **ज्यादा महंगी दवाइयाँ लिखना**: जिन मरीजों की आर्थिक स्थिति कमजोर है, उनके लिए सस्ती और जरूरी दवाइयों का विकल्प दें।
3. **अनावश्यक टेस्ट करवाना**: मरीज़ को सिर्फ वही टेस्ट करवाने के लिए कहें जो उनके इलाज के लिए जरूरी हो।
4. **शरीयत के खिलाफ काम**: मरीज़ की जान बचाने के नाम पर कोई ऐसा काम न करें जो शरीयत के खिलाफ हो।
#### डॉक्टरों के लिए ईमानदार कमाई के सुझाव
1. **नियत साफ रखें**
हमेशा अपनी कमाई की नीयत को साफ रखें। अपने पेशे को इबादत समझें।
2. **ग़रीब मरीज़ों का ख्याल रखें**
जो मरीज़ फीस देने की हालत में न हों, उनकी मदद करें।
3. **सादगी अपनाएँ**
अपनी जिंदगी में सादगी रखें और अनावश्यक खर्चों से बचें।
4. **अल्लाह से तौबा और मदद मांगें**
हदीस में आता है:
_"जो अल्लाह से तौबा करता है, अल्लाह उसकी गलतियां माफ करता है।"_
(**सहीह बुखारी**)
#### नसीहत
डॉक्टर को चाहिए कि वह अपने पेशे को दीन और दुनिया, दोनों के लिए इबादत का जरिया समझे। सही तरीके से कमाया गया पैसा ही आखिरत में काम आएगा। कुरान और हदीस की गाइडलाइंस पर चलते हुए ईमानदारी से कमाई करें और अल्लाह की रज़ा को अपने जीवन का मकसद बनाएं।
कविता: "डॉक्टर और मरीज का रिश्ता"
"दर्द की दास्तां सुनने वाला फरिश्ता है,
डॉक्टर ही तो मरीज का सच्चा दोस्ता है।
रहम का हाथ बढ़ाए, हर दर्द मिटाए,
खुदा की रहमत का, जो पैगाम लाए।"
"इलाज में ईमानदारी जब जुड़ जाए,
हर मरीज का दिल दुआओं से भर जाए।
हलाल कमाई से जो दिल को सुकून दे,
वही डॉक्टर खुदा की रहमत से नूर ले।"
"हर नब्ज़ में जो देखे इंसानियत का काम,
वो डॉक्टर बने, हर दिल का सलाम।
दौलत नहीं, नेक नीयत का हुनर रखो,
हर गरीब के दर्द में अपना घर रखो।"
हर दर्द में सब्र से जो बढ़े कदम,
खुदा की रहमत में है हर मर्ज़ का मरहम।"
बीमारी भी इम्तिहान है, तौबा का पैगाम,
हर मरीज की दुआ, छुपा रखती है अल्लाह का सलाम।"
"इलाज तो डॉक्टर करेगा, मगर शिफा खुदा से है,
हर दर्द के पीछे एक रहमत की वज़ह है।"
"दवा के साथ दुआ पर भी एतबार करो,
खुदा पर भरोसा रखो और हाल सुधार करो।"
गाने जैसी शायरी
*"तू है मसीहा, दर्द मिटा,
रब का करम, तेरा रास्ता।
हर मुस्कान में तेरा नाम,
दुआओं में बस तेरा मकाम।
तूने जख्मों को सहलाया,
बिना किसी चाह के निभाया।
हर रग में तेरी दवा चली,
तूने उम्मीदों को फिर जगाया।
तेरे हाथों में जादू है,
तेरे लफ्जों में दुआ है।
तू है वो रोशनी,
जो अंधेरों को मिटा है।
पैसे से ऊपर तेरा मकाम,
दिलों में बसाया तूने नाम।
तेरी बातों में सुकून छिपा,
तूने हर डर को दूर किया।
इल्म तेरा है खुदा की अमानत,
शिफा तेरे हाथों में इबादत।
हर मरीज की तुझसे यही दुआ,
रहे पाक तेरा हर रास्ता।
पैसा नहीं, बस नेकी कमा,
हर दिल की आवाज़ को सुन ज़रा।
गरीब का साथी, अमीर का दोस्त,
डॉक्टर, तू है दुनिया की रोशनी का स्रोत।
इल्म तेरा खुदा की अमानत है,
शिफा तेरे हाथों में इबादत है।
हर मरीज की तुझसे ये फरियाद,
रख पाक अपना दिल, न कर कोई जुल्म।*"
कविता: डॉक्टर, मरीज और खुदा के नाम
"एक अल्फाज़ खुदा से निकलकर,
डॉक्टर बना हर दर्द का मलहम।
मरीजों की चीखों में जो सुकून लाए,
वो है इस पेशे का असल मरकज़।
गरीब का सहारा बन, तू खुदा की कसम खा,
हर सांस की कद्र कर, हर दर्द मिटा।
फीस कम हो या ज्यादा, नीयत पाक रख,
मरीज की आहों से दूर अपना रास्ता रख।
दवा से ज्यादा दुआ का काम होता है,
हर दिल से खुदा का सलाम होता है।
हलाल कमाई में है हर मर्ज़ की शिफा,
हराम की दौलत में बस तबाही का नफा।
तो चल, डॉक्टर! बन इमान का गुलाम,
दुआओं में मिलेगी तुझे नाम और आराम।
मरीजों की मुस्कान में जन्नत का पता,
खुदा की रहमत से जुड़ा हर रिश्ता।*"
डॉक्टर और मरीज पर बेहतरीन शायरी
1."इलाज से पहले दिल का इलाज जरूरी है,
डॉक्टर की ईमानदारी मरीज की शिफा पूरी है।"
2."जो दर्द को समझे, वो ही असली डॉक्टर है,
लालच से बचकर, वही खुदा का बंदा बेहतर है।"
3."गरीब की मदद, अमीर का इलाज समान हो,
ऐसा डॉक्टर बनो, कि खुदा का एहसान हो।"
4."दवा नहीं, दुआ का सहारा बनो,
मरीज के दिल का चैन और करार बनो।"
5."इल्म और ईमान से जो पेशा बनाए,
वही खुदा के दरबार में मुकम्मल पाए।"
कविता: "डॉक्टर, मरीज और खुदा की रहमत"
शुरुआत:
"सबसे बड़ा है वो, सबकी दुआओं का जवाब,
जो दर्द देता है, वही शिफा का मालिक रब।"
अल्लाह की बात:
"खुदा की रहमत से जो चल सके नेक राह,
हर कमाई हो हलाल, हर अमल हो साफ।
*कुरान कहे, 'सच और इंसाफ पे चलो,'
हर पेशा इबादत बने, ऐसा मकसद रखो।"
डॉक्टर का फरमान:
"इलाज करो ऐसा, कि खुदा भी मुस्कुराए,
हर गरीब का दर्द देखो, दिल में दर्द समाए।
माल का लालच नहीं, नेकी का हो काम,
हर मरीज कहे, 'डॉक्टर, खुदा का नाम।'"
मरीज की फरियाद:
"डॉक्टर, दवा से पहले दुआ जरूरी है,
*तेरी ईमानदारी ही तो खुदा की रोशनी है।
खाली हाथ आए हैं, भरोसा तुझ पर किया,
इलाज सस्ता कर, हमें जिंदा रहने दिया।"
नसीहत:
"अल्लाह कहे, जो इंसान दर्द बांटे, वही नेक,
*हर गरीब की मदद, बनाओ ये धर्म का एक।
*डॉक्टर का पेशा है सबसे पाक,
न शोषण करो, न लोहराम की झलक।"
अंत:
"दवा से ज्यादा काम करती है दुआ,
*जो दिल से निकलती, वही बने शिफा।
डॉक्टर, मरीज और खुदा का ये फरमान,
इंसानियत बचाओ, यही है सबसे बड़ा ईमान।"
**हबीब का पैग़ाम**
1. **ख़ुदा की राह चलो ऐ मेरी क़ौम प्यारी,**
**न पीछे देखो अब, ये ज़िंदगी उधारी।**
2. **जो नेग ना मांगे, वो सच्चा रहनुमा है,**
**जो राह दिखाए, वही असल आसरा है।**
3. **तुम्हारी ग़फ़लतों से उजड़ गई बहारें,**
**ख़ुदा का नाम लो, बचेंगी सब नज़ारें।**
4. **ये जो एलची आए, फ़लक से सबूत लाए,**
**इनकी बात मानो, सब हक़ तुम्हें बताए।**
5. **मैं दौड़कर आया, ये बात कहने को,**
**ख़ुदा की राह पाओ, ग़लत ना रहने दो।**
6. **न बुत को पूजो तुम, न जिद पर अड़े रहो,**
**ख़ुदा की बंदगी में सुकून पाओ, बहो।**
7. **जो हद से गुज़रे, वो खो गया ग़लत राह,**
**ख़ुदा से डरते रहो, यही है सच्ची चाह।**
8. **जो बात सही है, उसे दिल में बसा लो,**
**ख़ुदा से रिश्ता रखो, मोहब्बत को सजा लो।**
9. **अगर हबीब की बातों पे यक़ीन होगा,**
**ख़ुदा के दर पे तुम सबको सुकून होगा।**
10. **तो ऐ मेरी क़ौम, अब हक़ को मान लो,**
**ख़ुदा की रहमतें, दिलों में ठान लो।**
नज़्म **"पैग़ाम-ए-यासीन"**
1. अल्लाह के नाम से जो रहमत में सारा,
दिलों में बसाया, जहां को संवारा।
2. दिलों का है मालिक, वो सबको दिखाए,
जो ईमान लाए, उन्हें राह दिखाए।
3. क़ुरआन का दिल है यासीन का फ़साना,
हर लफ़्ज़ में नूर, हर बात है नज़राना।
4. रसूल का पैग़ाम, सुन लो ऐ जहाँ,
नेकियां बढ़ाओ, रखो दिल जवां।
5. मौत के सफ़र में जो यासीन पढ़ाए,
राहत की बारिश उस पर बरसाए।
6. इल्म के रास्ते से जो दौलत कमाए,
वही नेकियों का गहना बनाए।
7. बिदअतें बुरी हैं जो हटाए सुन्नत,
राहे-हक़ को वो करें बेअदब नफ़रत।
8. वो पैग़ाम-ए-ख़ुदा जो दिल तक पहुंचे,
सीधी राह वाले उस पर झुकें।
9. नेक तरीक़े छोड़ गए जो पीछे,
सदियों तलक उनकी रूह जीते।
10. रहमत से जो डर, बेदेखे करे सजदा,
जन्नत है इनाम, वो ही बने प्यारा।
11. राह दिखाए जो, सच्चाई का चश्मा,
हर अमल का हिसाब है लौह-ए-महफ़ूज़ में जमा।
12. कुफ़्र की राह में जो बहके,
रहमत का रस्ता वो कैसे देखें।
13. नेक राह पर चलने वालों का जलवा,
दुनिया में रोशन, आख़िरत में पायें सवाब का सपना।
14. हबीब की बात थी जो दिलों में उतरती,
ऐ क़ौम! सुनो, राहे-हक़ की तरफ़ चलो सच्ची।
15. जो मांगे नेग न, वो इल्म से भरे हैं,
वो हैं रहनुमा, वो रौशनी के तारे हैं।
16. मौत के सफ़र में जो अपने सहारे,
यासीन के लफ़्ज़ बनें उनके इशारे।
17. कुफ़्र के पर्दे को हटाओ ऐ इंसान,
देखो हक़ीक़त, ये है अल्लाह का फ़रमान।
बिदअत से बचना, सुन्नत को अपनाना,
राहे-हक़ पे चलना, सबको समझाना।
हबीब की बातें जो दिल तक उतारें,
ऐ शकील! सच्चाई को हमेशा पुकारें।
सजदा है वो जो डर से हो ख़ुदा का,
जन्नत है इनाम, वो प्यारा-सा सदा का।
इल्म के रास्ते से जो दौलत कमाए,
शकील वही नेकियों का गहना बनाए।
No comments:
Post a Comment