Saturday, 5 October 2024

Taking the name of a pig makes the tongue impure? || How many prayers are not accepted by taking the name of a pig?सुअर का नाम लेने से जबान नापाक हो जाती है? सुअर का नाम लेने से दुआ कितने कबूल नहीं होती?

इस्लाम में सुअर को हराम माना गया है और इसकी पाकीजगी से जुड़ी बातें कुरान और हदीस में मिलती हैं। हालांकि, "सुअर का नाम लेने से ज़बान नापाक हो जाती है" या "सुअर का नाम लेने से दुआ कबूल नहीं होती" जैसा कोई स्पष्ट बयान न तो हदीस में और न ही कुरान में सीधे तौर पर मिलता है। कुरान में सुअर को हराम बताया गया है, लेकिन इस तरह की बातें सांस्कृतिक धारणाओं से जुड़ी हो सकती हैं। 

### कुरान में सुअर का ज़िक्र
कुरान में सुअर का ज़िक्र कुछ आयतों में मिलता है, जहाँ इसे हराम बताया गया है। तर्जुमा "कंजुल ईमान" के अनुसार, इनमें प्रमुख आयतें ये हैं:
  
1. **सूरह अल-बकरा (2:173)** - *"उसने तुम पर हराम किया मुरदार और खून और सुअर का गोश्त और वह जिस पर अल्लाह के सिवा दूसरे का नाम पुकारा गया तो जो शख्स मजबूर हो और सरकश और हद से बढ़ने वाला न हो उस पर कुछ गुनाह नहीं, बेशक अल्लाह बख्शने वाला मेहरबान है।"*

2. **सूरह अल-माइदा (5:3)** - *"तुम पर हराम किया गया मुरदार और खून और सुअर का गोश्त और जिस पर अल्लाह के सिवा किसी और का नाम पुकारा गया और गला घोंटकर मरा हुआ और चोट से मरा हुआ..."*

इन आयतों से साफ होता है कि सुअर का गोश्त इस्लाम में हराम है, लेकिन सुअर के नाम लेने से दुआ कबूल नहीं होती जैसा कुछ नहीं बताया गया है।

### हदीस में सुअर का ज़िक्र
हदीस में सुअर का सीधा उल्लेख बहुत कम मिलता है, परंतु जहां भी सुअर का ज़िक्र हुआ है, उसे नापाक और हराम समझा गया है। इसमें सुअर को खतरनाक और शैतान के प्रतीक के तौर पर बताया गया है। कुछ हदीसों में इसका उल्लेख इस तरह से है:

- **सहिह अल-बुखारी, हदीस 5585:** हज़रत जाबिर बिन अब्दुल्लाह रज़ि. ने बताया कि रसूल अल्लाह सल्लल्लाहु अलैहि वसल्लम ने फरमाया, "अल्लाह ने जब हराम कर दिया है सुअर का गोश्त, तो इसका व्यापार भी हराम है।"

- **सहिह मुस्लिम, हदीस 2084:** हज़रत अबू हुरैरा रज़ि. ने बयान किया कि अल्लाह के रसूल ने फरमाया, "अल्लाह ने सुअर का गोश्त हराम कर दिया है और उससे हासिल होने वाली हर चीज़ भी हराम है।"

क्या सुअर का नाम लेने से ज़बान नापाक होती है?
कुरआन और हदीस में ऐसा कोई स्पष्ट बयान नहीं मिलता कि सुअर का नाम लेने से ज़बान नापाक होती है या दुआ कबूल नहीं होती है। सुअर का नाम लेना हराम नहीं है, लेकिन इसका मांस खाना हराम है। अगर नाम लेना ही नापाक होता तो शायद कुरआन में इसका जिक्र न होता। इसलिए हमें समझना चाहिए कि सुअर का नाम लेने से ज़बान नापाक नहीं होती, परन्तु इसे नापाक जानवर के रूप में माना जाता है।

 इस्लामिक संस्कारों का बहुत सम्मान किया जाता है, और चूंकि सुअर को कुरान और हदीस के अनुसार नापाक माना गया है, इसलिए वहाँ पर इसकी बहुत कड़ी मनाही है। 
इस संदर्भ में, कुरान और हदीस के अनुसार सुअर का जिक्र एक चेतावनी और हराम ठहराने के उद्देश्य से है, जिससे यह साफ हो सके कि इसका इस्तेमाल इस्लाम में निषिद्ध है।

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Shakil Ansari