इनका असली नाम ज़ैन-उल-आबिदीन हसन था। ये हिंदुस्तानी आज़ादी की जंग में इंडियन नेशनल आर्मी (INA) के अफ़सर रहे। 1947 के बाद ये हिंदुस्तान की डिप्लोमैटिक सर्विस में भी काम करते रहे।
सबसे बड़ी बात ये है कि “जय हिंद” का नारा इसी शख़्स ने पहली बार पेश किया था।
“जय हिंद” का मतलब होता है — मुल्क की फतह, मुल्क की कामयाबी।
आज भी यह नारा फ़ौज के सलाम, हौसला-अफ़ज़ाई और हर तरह के आधिकारिक मौक़ों पर बड़े फ़ख़्र से बोला जाता है।
लोग इसे फिल्मों, तकरीरों और रोज़मर्रा की जिंदगी में भी इस्तेमाल करते हैं।
अबिद हसन सफ़रानी ने यह नारा सिर्फ़ एक शब्द नहीं दिया —
बल्कि एक जज़्बा,
एक हिम्मत,
और एकता की आवाज़ दी,
जो आज भी हर हिंदुस्तानी के दिल में बसती है।
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