Wednesday, 14 May 2025

धोखा देना इस्लाम में हराम क्यों है? – हदीस और कुरान की रोशनी में(धोखा देना सिर्फ एक गुनाह नहीं बल्कि इंसानी अख़लाक और ईमान की कमजोरी की निशानी है। जो शख्स धोखा देता है, वो अल्लाह और उसके रसूल (ﷺ) की रहमत से दूर हो जाता है। इसलिए हर इंसान को चाहिए कि वो अमानतदारी, सच्चाई और ईमानदारी को अपनाए ताकि दुनिया और आखिरत दोनों में कामयाबी हासिल कर सके।अल्लाह हम सबको अमानतदार और सच्चा इंसान बनने की तौफीक अता फरमाए। आमीन!)

धोखा देना इस्लाम में हराम क्यों है? – हदीस और कुरान की रोशनी में

दुनिया के हर मज़हब ने इंसानियत की बुनियाद पर मज़बूती से खड़ा रहने की तालीम दी है, और इस्लाम ने खास तौर पर अमानतदारी, सच्चाई और ईमानदारी को इंसानी अख़लाक का अहम हिस्सा बताया है। किसी को धोखा देना सिर्फ एक गुनाह ही नहीं, बल्के ये एक ऐसी आदत है जो इंसान के ईमान को कमजोर कर देती है और समाज में बुराई को बढ़ावा देती है। कुरान और हदीस की रोशनी में देखें तो धोखा देने वालों के लिए सख्त अंजाम बताए गए हैं।


1. कुरान की रोशनी में धोखा देना
कुरान-ए-पाक में कई जगहों पर धोखा देने से मना किया गया है। कंजुल ईमान में अल्लाह तआला इरशाद फरमाता है:

"बेशक मुनाफिक लोग अल्लाह को धोखा देना चाहते हैं और वही उन को धोखा देगा..."
📖 (सूरह अन-निसा 4:142)

इस आयत से साफ जाहिर होता है कि धोखा देना मुनाफिकों (दोगले लोगों) की निशानी है और अल्लाह तआला ऐसे लोगों को सख्त अज़ाब देगा।

2. हदीस शरीफ में धोखा देने की मज़म्मत
रसूल-ए-पाक (ﷺ) ने फरमाया:
"जो धोखा देता है, वह हम में से नहीं है।"
📖 (सही मुस्लिम, हदीस नंबर 102)

एक और जगह फरमाया:
"जिसने किसी मुसलमान को धोखा दिया, उस पर अल्लाह, फरिश्तों और तमाम लोगों की लानत हो।"
📖 (सही बुखारी, हदीस नंबर 3178)

नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया, चार आदतें ऐसी हैं कि अगर ये चारों किसी एक शख़्स मैं जमा हो जाएँ तो वो पक्का मुनाफ़िक़ है। वो शख़्स जो बात करे तो झूट बोले और जब वादा करे तो वादा ख़िलाफ़ी करे और जब मुआहदा करे तो उसे पूरा न करे। और जब किसी से लड़े तो गाली गलोच पर उतर आए और अगर किसी शख़्स के अन्दर उन चारों आदतों में से एक ही आदत है तो उसके अन्दर निफ़ाक़ की एक आदत है जब तक कि वो उसे छोड़ न दे।

जब कोई आदमी हमें धोखा दे, तो वो हम में से नहीं।" (तिरमिज़ी: 1315)

यानी जो भी इंसान फरेब करता है, वो उम्मत-ए-मुस्लिमा के किरदार से बाहर चला जाता है।
रसूलुल्लाह (सल्ल०) एक ग़ल्ले के ढेर से गुज़रे तो आप ने इस के अन्दर अपना हाथ दाख़िल कर दिया; आप की उँगलियाँ तर हो गईं तो आप ने फ़रमाया : ग़ल्ला वाले ! ये क्या मामला है? उस ने कहा : अल्लाह के रसूल! बारिश से भीग गया है। आप ने फ़रमाया : उसे ऊपर क्यों नहीं कर दिया ताकि लोग देख सकें, फिर आप ने फ़रमाया : जो धोखा दे हम में से नहीं है। इमाम तिरमिज़ी कहते हैं : 1- अबू-हुरैरा (रज़ि०) की हदीस हसन सही है। 2- इस सिलसिले में इब्ने- उमर इब्ने-अब्बास बुरैदा अबू-बुरदा -बिन-दीनार और हुज़ैफ़ा-बिन-यमान (रज़ि०) से भी हदीसें आई हैं। 3- आलिमों का इसी पर अमल है। वो धोखा धड़ी को नापसन्द करते हैं और उसे हराम कहते हैं।



धोखा देने की सजा
इस्लाम में धोखा देने वालों के लिए सख्त सजा रखी गई है।

दुनिया में: अगर कोई शख्स धोखा देता है, तो इस्लामी हुकूमत उसे सख्त सजा दे सकती है। माली धोखे में नुकसान की भरपाई करवाई जाती है।
आखिरत में: रसूलअल्लाह ﷺ ने फरमाया कि कयामत के दिन हर धोखेबाज के लिए एक झंडा होगा जिससे उसे पहचान लिया जाएगा।
📖 (सही बुखारी शरीफ, हदीस नंबर6177)



धोखा देने की सजा क्या है?
इस्लामी शरियत में धोखा देने की सजा बहुत संगीन बताई गई है।

दुनियावी सजा – इस्लामी अदालत में अगर कोई शख्स धोखेबाज़ी करता हुआ साबित हो जाए, तो उसकी गवाही भी काबिले-ए-कबूल नहीं रहती और उसे शरई कानून के मुताबिक सजा दी जाती है।

आखिरत की सजा – रसूलुल्लाह (ﷺ) ने फरमाया कि कयामत के दिन धोखा देने वाले के लिए बहुत सख्त अज़ाब होगा। अल्लाह तआला धोखेबाज़ को जहन्नम में डाल देगा, अगर उसने तौबा न की हो।

इंसान को धोखा देने से कैसे बचना चाहिए?
अमानतदारी अपनाएं – हर इंसान को चाहिए कि वो अमानतदार बने और किसी के साथ धोखा करने से बचे।
ईमान मजबूत करें – जो शख्स अल्लाह से डरता है, वो कभी भी धोखा नहीं देगा।
रसूलुल्लाह (ﷺ) की सुन्नत पर चलें – रसूलुल्लाह (ﷺ) ने हर हाल में सच्चाई और ईमानदारी को अपनाने का हुक्म दिया है।
हक़ हलाल की रोज़ी कमाएं – धोखा देने वाले अक्सर हराम माल कमाने की कोशिश में रहते हैं, लेकिन हलाल रोज़ी इंसान को धोखेबाजी से दूर रखती है।

धोखा देना एक ऐसा अमल (कर्म) है, जिसमें इंसान सामने वाले को अपने झूठ, मक्कारी, या हेरफेर से नुकसान पहुंचाता है। यह अमल इस्लामी अखलाक और अल्लाह के अहकामात के सख़्त खिलाफ़ है। एक धोखेबाज शख्स दुनिया में इज्ज़त खो देता है और आखिरत में अल्लाह के अज़ाब का मुस्तहिक बनता है।"
इस्लाम में इंसान को धोखा देना एक बहुत ही बुरी और घिनौनी हरकत समझी जाती है। कुरआन और हदीस में धोखा देने वालों के लिए सख्त लफ्ज इस्तेमाल किए गए हैं और इसे हराम करार दिया गया है। धोखा देना सिर्फ किसी के हक पर डाका डालना ही नहीं, बल्कि किसी की भावनाओं से खेलना, झूठ बोलकर किसी का यकीन तोड़ना, कारोबार या रिश्तों में चालाकी दिखाना भी इसमें शामिल है।
दुनियावी सजा:
धोखा देने वाला धीरे-धीरे अपना एतबार (भरोसा) खो देता है।
उसके रिश्ते टूट जाते हैं, और लोग उस पर यकीन करना छोड़ देते हैं।
कारोबार में बरकत खत्म हो जाती है।
उसका दिल सख्त हो जाता है और इज्जत मिट्टी में मिल जाती है।

आखिरत की सजा:
अल्लाह ऐसे इंसान को माफ नहीं करेगा जब तक वह जिसको धोखा दिया है, उसे माफ न कर दे।
धोखेबाज को जहन्नम की आग का सामना करना पड़ेगा।
हदीस में आया है कि धोखेबाज का ठिकाना जहन्नम होगा, क्योंकि उसने इंसानों को नुकसान पहुंचाया है।


4. इंसान को कैसे बचना चाहिए?
✅ सच्चाई और अमानतदारी अपनाएं।
✅ हर हाल में ईमानदारी से काम करें।
✅ अल्लाह से तौबा करें और अपने गुनाहों को छोड़ दें।
✅ अगर किसी को धोखा दिया हो, तो उससे माफी मांगें और नुकसान की भरपाई करें।
✅ अपने बच्चों को सच्चाई और ईमानदारी की तालीम दें।

5. नतीजा
इस्लाम में धोखा देना बहुत बड़ा गुनाह है। अल्लाह तआला ऐसे लोगों को नापसंद करता है और रसूलअल्लाह ﷺ ने साफ तौर पर इसे हराम करार दिया है। एक सच्चे मुसलमान को चाहिए कि वो हर हाल में ईमानदारी और सच्चाई को अपनाए और धोखा देने से बचे ताकि उसकी दुनिया और आखिरत दोनों संवर सकें।

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