Wednesday, 14 May 2025

हदीस नंबर 4476 सही बुखारी हदीस

नबी करीम (सल्ल०) ने फ़रमाया, ''मोमिनों क़ियामत के दिन परेशान हो कर जमा होंगे और (आपस में) कहेंगे बेहतर ये था कि अपने रब के हुज़ूर में आज किसी को हम अपना सिफ़ारिशी बनाते। चुनांचे सब लोग आदम (अलैहि०) की ख़िदमत में हाज़िर होंगे और कहा करेंगे कि आप इन्सानों के बाप हैं। अल्लाह तआला ने आप को अपने हाथ से बनाया। आप के लिये फ़रिश्तों को सजदे का हुक्म दिया और आप को हर चीज़ के नाम सिखाए। आप हमारे लिये अपने रब के हुज़ूर में सिफ़ारिश कर दें ताकि आज की मुसीबत से हमें नजात मिले। आदम (अलैहि०) कहेंगे मैं उसके लायक़ नहीं हूँ वो अपनी लग़ज़िश को याद करेंगे और उन को परवरदिगार के हुज़ूर में जाने से शर्म आएगी। कहेंगे कि तुम लोग नूह (अलैहि०) के पास जाओ। वो सबसे पहले नबी हैं जिन्हें अल्लाह तआला ने (मेरे बाद) ज़मीन वालों की तरफ़ भेजा किया था। सब लोग नूह (अलैहि०) की ख़िदमत में हाज़िर होंगे। वो भी कहेंगे कि मैं इस क़ाबिल नहीं और वो अपने रब से अपने सवाल को याद करेंगे जिसके मुताल्लिक़ उन्हें कोई इल्म नहीं था। उनको भी शर्म आएगी और कहेंगे कि अल्लाह के दोस्त (अलैहि०) के पास जाओ। लोग उनकी ख़िदमत में हाज़िर होंगे लेकिन वो भी यही कहेंगे कि मैं इस क़ाबिल नहीं मूसा (अलैहि०) के पास जाओ उनसे अल्लाह तआला ने कलाम फ़रमाया था और तौरात दी थी। लोग उन के पास आएँगे लेकिन वो भी उज़्र कर देंगे कि मुझ में उसकी जुरअत नहीं। उन को बग़ैर किसी हक़ के एक शख़्स को क़त्ल करना याद आ जाएगा और अपने रब के हुज़ूर में जाते हुए शर्म दामन गीर होगी। कहेंगे तुम ईसा (अलैहि०) के पास जाओ वो अल्लाह के बन्दे और उसके रसूल उसका कलिमा और उसकी रूह हैं लेकिन ईसा (अलैहि०) भी यही कहेंगे कि मुझ में उसकी हिम्मत नहीं तुम मुहम्मद (सल्ल०) के पास जाओ वो अल्लाह के मक़बूल बन्दे हैं और अल्लाह ने उन के तमाम अगले और पिछले गुनाह माफ़ कर दिये हैं। चुनांचे लोग मेरे पास आएँगे मैं उन के साथ जाऊँगा और अपने रब से इजाज़त चाहूँगा। मुझे इजाज़त मिल जाएगी फिर मैं अपने रब को देखते ही सजदे में गिर पड़ूँगा और जब तक अल्लाह चाहेगा मैं सजदे में रहूँगा फिर मुझसे कहा जाएगा कि अपना सिर उठाओ और जो चाहो माँगो तुम्हें दिया जाएगा जो चाहो कहो तुम्हारी बात सुनी जाएगी। शफ़ाअत करो तुम्हारी शफ़ाअत क़बूल की जाएगी। मैं अपना सिर उठाऊँगा और अल्लाह की वो हम्द बयान करूँगा जो मुझे उसकी तरफ़ से सिखाई गई होगी। उसके बाद शफ़ाअत करूँगा और मेरे लिये एक हद मुक़र्रर कर दी जाएगी। मैं उन्हें जन्नत में दाख़िल कराऊँगा चौथी मर्तबा जब मैं वापस आऊँगा तो कहा जाएगा कि जहन्नम में उन लोगों के सिवा और कोई अब बाक़ी नहीं रहा जिन्हें क़ुरआन ने हमेशा के लिये जहन्नम में रहना ज़रूरी क़रार दे दिया है। अबू-अब्दुल्लाह इमाम बुख़ारी (रह०) ने कहा कि क़ुरआन के मुताबिक़ दोज़ख़ में क़ैद रहने से मुराद वो लोग हैं जिनके लिये ( خالدين فيها‏ ) कहा गया है कि वो हमेशा दोज़ख़ में रहेंगे।

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Shakil Ansari