Wednesday, 23 April 2025

drama



"अगर गोश्त खराब हो जाए, तो नमक उसे संभाल लेता है, लेकिन अगर नमक ही खराब हो जाए तो उसे कौन ठीक करेगा?"
इसका मतलब है कि जो लोग समाज में अच्छाई और सुधार की मिसाल होते हैं (जैसे शिक्षक, बुज़ुर्ग, रहनुमा), अगर वही बिगड़ जाएँ, तो समाज को कौन बचाएगा?

इससे हमें ये सीख मिलती है:

जो लोग समाज की रहनुमाई कर रहे हैं, उन्हें खुद को हर वक्त दुरुस्त और पाक-साफ रखना चाहिए।

छोटे बच्चों को समझना चाहिए कि उन्हें अच्छे लोगों की सोहबत में रहना है और बड़ों की इज्ज़त करनी है।

बड़ों को अपने किरदार से बच्चों को राह दिखानी है।

अब आपकी फरमाइश पर एक बेहद दिलचस्प, इमोशनल और मोटिवेशनल ड्रामा स्क्रिप्ट पेश है, जिसमें 6 किरदार हैं:
अजमेर बानो, इल्मा खान, फिजा अंसारी, तबिक खान, यासमीन खान, अब्दुल मुत्तलिफ अंसारी।

🎭 मॉरल ड्रामा: "अगर नमक ही खराब हो जाए..."
(स्कूल प्रोग्राम के लिए – पाकिस्तानी अंदाज़ में)

📍दृश्य: एक स्कूल का मैदान। बच्चे बैठे हैं। मंच पर हलका सा अंधेरा है, बैकग्राउंड में धीमी नैतिक म्यूज़िक चल रही है।

(साउंड इफेक्ट: अजमेर बानो की आवाज़ धीमे म्यूज़िक पर)
अजमेर बानो (नैरेटर):
"इस दौर का सबसे बड़ा सवाल है – जब अच्छाई ही बिगड़ जाए, तो कौन संभालेगा समाज को?
आइए देखें एक कहानी... जहां नमक ही खराब हो गया था!"

(लाइट्स ऑन – एक मोहल्ला का सीन बनता है। चारों तरफ बच्चे खेल रहे हैं।)

दृश्य 1: "बिगड़ती सोच"
तबिक खान (गुस्से में):
"भाई इल्मा! तुझे क्या ज़रूरत थी उस बुड्ढे को सड़क पार कराने की? मज़ाक उड़वा दिया तूने हमारा!"

इल्मा खान (शर्मीली आवाज़ में):
"अरे तबिक, वो हमारे मोहल्ले के बाबा हैं… उनको मदद चाहिए थी… हम अच्छे इंसान हैं ना?"

फिजा अंसारी (हँसते हुए):
"अच्छा इंसान? आजकल कौन अच्छे लोगों की कद्र करता है? अब तो वही कामयाब है जो चालाक है!"

(अबdul मुत्तलिफ मंच पर आता है – बड़े स्टाइल से, रील वाला चश्मा लगाकर)

अब्दुल मुत्तलिफ अंसारी:
"तुम सब पुराने ज़माने की बातें कर रहे हो। आजकल तो फेम चाहिए! TikTok, Insta, Reels – यही असली ज़िंदगी है!"

दृश्य 2: "बड़ों का इम्तिहान"
(अब मंच पर आती हैं यासमीन खान और अजमेर बानो – दोनों बुज़ुर्ग महिला के किरदार में)

यासमीन खान (गंभीर आवाज़ में):
"जब हम जैसे बड़ों ने खुद ही अपने किरदार को भूलना शुरू कर दिया...
जब नमक खुद ही बदबू देने लगे, तो क्या उम्मीद रखे ये नई नस्ल?"

अजमेर बानो (भावुक होकर):
"हमने बच्चों को सिर्फ़ बोलना सिखाया...
चलना नहीं...
और जब उन्होंने गिरना शुरू किया, तो इल्ज़ाम भी उन्हीं पर लगा दिया।"

दृश्य 3: "नया आग़ाज़"
(तबिक, फिजा और मुत्तलिफ मंच पर आते हैं – अब परेशान हैं)

तबिक खान (अफसोस में):
"हमने बड़ों की बातों को मज़ाक समझा... और खुद ही गिरते गए..."

फिजा अंसारी:
"आज इल्मा की एक मदद ने हमें आईना दिखा दिया।"

अब्दुल मुत्तलिफ (आँखें झुकाकर):
"मेरे फॉलोअर्स लाखों थे… लेकिन दिल में खालीपन था… आज समझ आया – असली फॉलो वो होते हैं जो अच्छाई की राह पर चलते हैं।"

दृश्य 4: "पलटाव"
(सब एक साथ मंच के बीच में आते हैं। यासमीन और अजमेर बानो को सलाम करते हैं।)

इल्मा खान:
"बड़ों का काम है रोशनी देना… और छोटों का फर्ज़ है उस रोशनी में रास्ता तलाश करना।"

यासमीन खान:
"हमने भी सीखा… अब हम खुद को दुरुस्त करेंगे ताकि समाज की बुनियादें फिर से मजबूत हों।"

🎤 अंत में: (सभी मिलकर कहते हैं)
सभी:
"अगर नमक ही खराब हो जाए, तो कोई और नहीं – हम ही बनेंगे वो नया नमक...
जो समाज को फिर से महकाएगा, संवार देगा...
क्योंकि इंसानियत अभी ज़िंदा है!"

🎵 (पार्श्व में संगीत: "वो सुबह कभी तो आएगी..." धीमे स्वर में बजता है)
(स्टेज लाइट धीमे-धीमे बंद होती है)
(तालियों की आवाज़)

No comments:

The Women Who Lit Our World

“ The Women Who Lit Our World” – Meaning Explained It means: Lighting up homes — by cooking, offering prayers, nurturing children, and cari...

Shakil Ansari