Friday, 26 July 2024

On the advantages and disadvantages of Skills and Digital Initiatives Day in India भारत में कौशल और डिजिटल पहल दिवस के फायदे और नुकसान पर

On the advantages and disadvantages of Skills and Digital Initiatives Day in India



श्री अशरफ अली नूरी इस्लामिया उच्चतर माध्यमिक विद्यालय
26- July -2024

भारत में कौशल और डिजिटल पहल दिवस के फायदे और नुकसान


भारत के इतिहास में कौशल और डिजिटल पहल दिवस

भारत के इतिहास में कौशल और डिजिटल पहल दिवस, जिसे "विश्व युवा कौशल दिवस" (World Youth Skills Day) के रूप में भी जाना जाता है, हर साल 15 जुलाई को मनाया जाता है। इस दिन का उद्देश्य युवाओं को कौशल विकास के महत्व के प्रति जागरूक करना और उन्हें रोजगार, काम, और उद्यमिता के लिए तैयार करना है।इस दिन का महत्व खासकर भारत जैसे देशों में बहुत अधिक है, जहां युवा आबादी बहुत बड़ी है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में "कौशल भारत मिशन" (Skill India Mission) की शुरुआत की थी, जिसका लक्ष्य लाखों भारतीय युवाओं को कौशल प्रशिक्षण प्रदान करना है। यह पहल युवाओं को नौकरी पाने और आत्मनिर्भर बनने में सहायता करती है।साथ ही, डिजिटल इंडिया पहल भी इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है, जिसका उद्देश्य देश को डिजिटल रूप से सशक्त बनाना है। यह पहल सरकारी सेवाओं को इलेक्ट्रॉनिक माध्यम से प्रदान करने, डिजिटल साक्षरता बढ़ाने और डिजिटल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार करने पर केंद्रित है। कुल मिलाकर, कौशल और डिजिटल पहल दिवस भारत के युवाओं के लिए एक प्रेरणा स्रोत है, जो उन्हें नए अवसरों की पहचान करने और अपने करियर को उन्नति देने में मदद करता है। 

प्रस्तावना
भारत एक तेजी से उभरती हुई अर्थव्यवस्था है जिसमें युवा आबादी की संख्या अधिक है। ऐसे में कौशल विकास और डिजिटल पहल जैसे कार्यक्रम अत्यंत महत्वपूर्ण हो जाते हैं। ये पहलें न केवल युवाओं को रोजगार योग्य बनाने में मदद करती हैं, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि को भी बढ़ावा देती हैं।

फायदे
रोजगार के अवसर:

कौशल विकास कार्यक्रमों के माध्यम से युवा नई तकनीकों और विधियों में प्रशिक्षित होते हैं, जिससे उन्हें रोजगार के अधिक अवसर मिलते हैं।
डिजिटल पहलें जैसे डिजिटल इंडिया, ई-गवर्नेंस, और ऑनलाइन शिक्षा ने दूरस्थ क्षेत्रों तक भी रोजगार के अवसर पहुंचाए हैं।
आर्थिक विकास:

कौशल विकास से उत्पादकता में वृद्धि होती है, जिससे देश की जीडीपी में योगदान बढ़ता है।
डिजिटल व्यापार और ई-कॉमर्स के माध्यम से छोटे व्यवसायों को भी वैश्विक मंच पर प्रतिस्पर्धा करने का मौका मिलता है।
शिक्षा और प्रशिक्षण:

ऑनलाइन शिक्षा प्लेटफार्मों की वजह से शिक्षा का स्तर बढ़ा है और लोग अपने समयानुसार कौशल सीख सकते हैं।
विभिन्न सरकारी और निजी संस्थान कौशल प्रशिक्षण प्रदान कर रहे हैं, जिससे युवा न केवल पारंपरिक नौकरियों के लिए बल्कि नई तकनीकी नौकरियों के लिए भी तैयार हो रहे हैं।
समाजिक सुधार:

डिजिटल साक्षरता बढ़ने से लोग अधिक जागरूक हो रहे हैं और उन्हें सरकारी योजनाओं और सेवाओं का लाभ उठाने में आसानी हो रही है।
महिलाओं और दिव्यांगजन को भी रोजगार के अवसर मिल रहे हैं, जिससे समग्र सामाजिक उत्थान हो रहा है।
नुकसान
असमानता:

डिजिटल और कौशल विकास कार्यक्रमों का लाभ सभी क्षेत्रों में समान रूप से नहीं पहुंच पा रहा है, जिससे शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में असमानता बढ़ रही है।
डिजिटल डिवाइड के कारण कई लोग अभी भी डिजिटल सेवाओं और कार्यक्रमों से वंचित रह जाते हैं।
संवेदनशील डेटा:

डिजिटल पहलें होने के कारण साइबर सुरक्षा की चुनौतियाँ बढ़ गई हैं। लोगों के व्यक्तिगत और वित्तीय डेटा की सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा है।
साइबर अपराधों की संख्या में भी वृद्धि हुई है।
कौशल की गुणवत्ता:

कई बार कौशल विकास कार्यक्रमों की गुणवत्ता पर सवाल उठते हैं। प्रशिक्षण की अधूरी या कमतर गुणवत्ता से युवाओं को पूर्ण लाभ नहीं मिल पाता।
इसके साथ ही, प्रशिक्षकों की कमी और अपर्याप्त संसाधन भी एक बड़ी समस्या है।
समायोजन की कमी:

नई तकनीकों के साथ तालमेल बिठाना एक चुनौती है। पुराने कर्मचारियों को नई तकनीकों के अनुरूप ढालना मुश्किल होता है।
परंपरागत नौकरियों में कमी के कारण कई लोग बेरोजगार हो जाते हैं।
निष्कर्ष
कौशल और डिजिटल पहल दिवस भारत में विकास के महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। हालांकि, इनके साथ आने वाली चुनौतियों और समस्याओं का समाधान भी उतना ही महत्वपूर्ण है। सही दिशा में प्रयास करके, हम इन पहलों के माध्यम से न केवल अपनी अर्थव्यवस्था को मजबूत बना सकते हैं बल्कि समाज के प्रत्येक वर्ग को भी सशक्त कर सकते हैं।



शकीलुद्दीन अंसारी




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