Chapter- 2
An elementary school classroom in a Slum
एक झुग्गी बस्ती के प्राइमरी स्कूल का क्लासरूम
Stephen Spender (1909-1995) was an English poet and an essayist.He left University College, Oxford without taking a degree and went to Berlin in 1930. Spender took a keen interest in politics and declared himself to be a socialist and pacifist. Books by Spender include Poems of Dedication, The Edge of Being. The Creative Element, The Struggle of the Modern and an autobiography, World Within World. In, An Elementary School Classroom in a Slum, he has concentrated on themes of social injustice and class inequalities.
शायर के बारे में (लोकल ररूआ हिंदी तर्जुमा):
स्टीफन स्पेंडर (1909-1995) एक अंग्रेज़ी शायर और मज़मून निगार (निबंधकार) थे। उन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज, ऑक्सफोर्ड को डिग्री लिए बग़ैर छोड़ दिया और 1930 में बर्लिन चले गए। स्पेंडर ने सियासत (राजनीति) में बड़ी दिलचस्पी ली और ख़ुद को समाजवादी और अमन पसंद (शांतिवादी) बताया। स्पेंडर की मशहूर किताबों में "Poems of Dedication", "The Edge of Being", "The Creative Element", "The Struggle of the Modern" और उनकी खुदनवीश्त (आत्मकथा) "World Within World" शामिल हैं। उनकी नज़्म "An Elementary School Classroom in a Slum" में समाजी नाइंसाफ़ियों (सामाजिक अन्याय) और वर्ग असमानता (क्लास डिफरेंस) पर तवज्जोह दी गई है।
Far far from gusty waves these children’s faces.Like rootless weeds, the hair torn round their pallor:The tall girl with her weighed-down head. The paper-seeming boy, with rat’s eyes. The stunted, unlucky heir Of twisted bones, reciting a father’s gnarled disease, His lesson, from his desk. At back of the dim class One unnoted, sweet and young. His eyes live in a dream, Of squirrel’s game, in tree room, other than this.
तेज़ हवाओं से बहुत दूर, इन बच्चों के चेहरे जैसे बेघर जंगली पौधे। उनके बिखरे हुए बाल, उनके पीले चेहरों से चिपके हुए जैसे जड़ से कटे हुए हों। एक लंबी लड़की, जिसका सर भारी बोझ से झुका हुआ है। एक लड़का, जो बिलकुल पतले काग़ज़ जैसा नज़र आता है, उसकी आँखें एक चूहे की तरह चमकती हैं। एक और बच्चा, जो पैदाइशी बीमारी से परेशान है, टेढ़ी-मेढ़ी हड्डियों वाला, अपने बाप की बीमारी का वारिस, जो अपनी डेस्क से सबक़ पढ़ रहा है। क्लास के अंधेरे कोने में एक मासूम बच्चा, जो किसी की नज़र में नहीं आता। उसकी आँखें किसी ख़्वाब में खोई हुई हैं, जैसे पेड़ के खोखले में गिलहरी खेल रही हो – किसी और दुनिया में, इस जगह से दूर।
On sour cream walls, donations. Shakespeare’s head,Cloudless at dawn, civilized dome riding all cities.Belled, flowery, Tyrolese valley. Open-handed map Awarding the world its world. And yet, for these Children, these windows, not this map, their world,Where all their future’s painted with a fog,A narrow street sealed in with a lead sky Far far from rivers, capes, and stars of words.
तरजुमा (ररूआ हिंदी लोकल ज़बान में):
फीके, पुराने रंगों वाली दीवारों पर चंदे से आई हुई चीज़ें टंगी हैं। एक जगह शेक्सपीयर का सर (तस्वीर) बना हुआ है, जो किसी सवेरे के बेबादल आसमान की तरह चमक रहा है। बड़े-बड़े शहरों के ऊपर गुम्बद (dome) दिख रहे हैं, जो तहज़ीब की निशानी समझे जाते हैं। कहीं दूर, फूलों से भरी टायरोली वादी (Tyrolese valley) का मनज़र भी बना हुआ है। एक खुला-सा नक्शा है, जिसमें दुनिया को बड़े खुले दिल से दिखाया गया है, जैसे हर इंसान को दुनिया के हर कोने का हक़ हासिल हो।मगर इन ग़रीब बच्चों के लिए, इन खिड़कियों के पार की हकीकत इस नक्शे से अलग है। इनका जहां (दुनिया) बस वही गलियाँ हैं, जो तंग और अंधेरी हैं, जहां हर ख्वाब को धुंध (fog) ने ढक लिया है। एक संकरी गली, जिसके ऊपर भारी सीसा (lead) जैसा आसमान झुका हुआ है, जहां न कोई दरिया है, न कोई समंदर की छोर (capes), और न ही वो जगमगाते अल्फ़ाज़, जिनसे एक नई दुनिया बनती है।
समाप्ति:यह हिस्सा दिखाता है कि कैसे गरीब बच्चों की दुनिया तंग गलियों और भूख तक सीमित रह गई है, जबकि अमीर लोगों के लिए दुनिया बहुत बड़ी और खूबसूरत है। दीवारों पर टंगी ये तस्वीरें और नक्शे सिर्फ एक झूठी उम्मीद देते हैं, जबकि इन बच्चों की असली ज़िंदगी बहुत मुश्किल और सीमित है।
Surely, Shakespeare is wicked, the map a bad example,With ships and sun and love tempting them to steal— For lives that slyly turn in their cramped holesFrom fog to endless night? On their slag heap, these children Wear skins peeped through by bones and spectacles of steelWith mended glass, like bottle bits on stones.All of their time and space are foggy slum.So blot their maps with slums as big as doom.
तरजुमा (ररूआ हिंदी लोकल ज़बान में):
यकीनन, शेक्सपीयर बुरा है, और नक़्शा भी बुरा उदाहरण है,
जहाँ जहाज़, सूरज और प्यार उन्हें चोरी करने के लिए उकसाते हैं —क्या ये ज़िंदगियाँ, जो चालाकी से अपने तंग कोनों में बदलती हैं,धुंध से लेकर अनंत रात तक की ओर?
अपनी कचरे की ढेर पर, ये बच्चे ऐसे कपड़े पहनते हैं, जिनके बीच से हड्डियाँ नज़र आती हैं और स्टील की ऐनकें हैं,
जिनकी काँच भी जुड़ा हुआ है, जैसे बोतल के टुकड़े पत्थरों पर।इनका सारा वक़्त और ज़माना धुंधला और बस्ती में डूबा हुआ है।तो इनके नक़्शों पर बस्तियाँ उकेर दो, जो काल के जितनी बड़ी हों।
Unless, governor, inspector, visitor,
This map becomes their window and these windows That shut upon their lives like catacombs,Break O break open till they break the town And show the children to green fields, and make their world Run azure on gold sands, and let their tongues Run naked into books the white and green leaves open History theirs whose language is the sun.
तरजुमा (ररूआ हिंदी लोकल ज़बान में):
अगर गवर्नर, इंस्पेक्टर, या कोई विज़िटर नहीं आएं, तो यह नक़्शा उनके लिए खिड़की बन जाए और ये खिड़कियाँ, जो उनके जीवन पर बंद हो जाती हैं, जैसे क़ब्रगाहें (कैटाकॉम्ब्स), टूट जाएं। ओ! ये खिड़कियाँ खुल जाएं, जब तक ये शहर नहीं टूट जाए और बच्चों को हरे खेतों में न दिखा दे। और उनका जहाँ नीले आकाश में सोने की रेत पर दौड़ता हुआ नजर आए। और उनकी ज़बानें किताबों में, सफेद और हरी पत्तियों में खुलकर दौड़ें, क्योंकि इतिहास उन्हीं का है, जिनकी ज़बान सूरज जैसी चमकती हो।
Catacombs → "ज़मीन के नीचे क़ब्रों के तहख़ाने" को आसानी से कह सकते हैं "गहरे अंधेरे कब्रिस्तान"
Azure on gold sands → "नीला आकाश और सुनहरी रेत" को लोकल भाषा में "नीला असमान और सूरज की चमकती रेत" कहा जा सकता है।
Run naked into books → "खुलकर किताबों में दौड़ना" यानी "बिलकुल आज़ादी से पढ़ाई करना"
History theirs whose language is the sun → "इतिहास उनका होता है जिनकी भाषा सूरज जैसी होती है" का आसान मतलब "इतिहास उन्हीं का होता है जो तेज़, रौशन और हिम्मत से बोलते हैं।"
इस तरह, कविता में इस्तेमाल हुए मुश्किल लफ़्ज़ों को आसान ज़बान में समझने से इसका असली मतलब और असर और बेहतर समझ आता है।
लोकल भाषा (ररूआ हिंदी) तर्जुमा:
दूर बहुत दूर तेज़ हवा के थपेड़ों से, इन बच्चों के चेहरे ऐसे लगते हैं,
जैसे जड़ से उखड़े हुए जंगली पौधे, जिनके बाल बेतरतीबी से बिखरे हुए हैं, चेहरों पर ज़र्दी छाई हुई।
वो लंबी लड़की जिसका सिर झुका हुआ है,
वो काग़ज़ जैसा पतला लड़का, जिसकी आँखें चूहे जैसी हैं।
वो छोटा क़द और बदक़िस्मत वारिस, जिसकी हड्डियाँ टेढ़ी-मेढ़ी हैं,
अपने बाप की बीमारियों से जकड़ा हुआ,
अपनी डेस्क से सबक़ पढ़ रहा है।
कमरे के कोने में एक नन्हा मासूम बच्चा,
जिसे किसी ने ख़ास तवज्जो नहीं दी,
उसकी आँखें किसी और दुनिया के ख़्वाब देख रही हैं,
एक गिलहरी के खेल की तरह, किसी पेड़ के खोखले हिस्से में,
जहाँ ये उखड़ी हुई ज़िंदगी नहीं, कोई और दुनिया है।
दीवारों पर जो दाग़ लगे हैं, वो जैसे खट्टी मलाई की तरह हैं,
चंद चंदे लगे हैं, एक तरफ़ शेक्सपियर की तस्वीर है,
खुले आसमान के नीचे बने बड़े-बड़े शहरों की शक्ल,
गूँजते हुए घंटे, फूलों से भरी टिरोल की घाटी।
एक खुला हुआ नक्शा,
जो दुनिया को उसकी रंगीनियत से नवाज़ता है।
मगर इन बच्चों के लिए, ये खिड़कियाँ असली दुनिया हैं,
नक्शे में जो दुनिया दिखाई गई है, वो नहीं,
इनकी क़िस्मत धुंध में डूबी हुई है,
एक तंग गली, जो सीसे की तरह भारी आसमान से ढकी हुई है,
जहाँ न दरिया है, न खाड़ी, न सितारे, न कोई इल्म की रौशनी।
तफ्सील से समझाना (विस्तार से व्याख्या)
ये शेर स्टीफ़न स्पेंडर की नज़्म An Elementary School Classroom in a Slum से लिए गए हैं। ये नज़्म ग़रीबी में पलने वाले बच्चों की ज़िंदगी और उनके हालात पर रोशनी डालती है।
1. पहली चार पंक्तियाँ
नज़्म की शुरुआत में शायर उन बच्चों की हालत बयान करता है जो ग़रीबी और भूख से बेहाल हैं। उनकी शक्लें कमज़ोरी और बीमारी की वजह से पीली पड़ी हुई हैं। उनकी हालत ऐसे है जैसे ज़मीन से उखड़े हुए जंगली पौधे जिनकी कोई बुनियाद नहीं होती। लड़का इतना पतला है जैसे काग़ज़ हो, और उसकी आँखें चूहे जैसी चमकती हैं, जो इस बात का इशारा है कि वो भूखा और सतर्क है।
2. बीच का हिस्सा
शायर बताता है कि इन बच्चों के लिए दुनिया बहुत तंग और उदास है। उनकी पढ़ाई सिर्फ़ एक मजबूरी है, क्योंकि वो भूख और ग़रीबी से जूझ रहे हैं। दीवारों पर शेक्सपियर की तस्वीर और खुला हुआ नक्शा उनके लिए सिर्फ़ एक धोका है, क्योंकि असल में उनके पास कोई मौक़ा नहीं कि वो इस "बड़ी दुनिया" का हिस्सा बन सकें।
3. आख़िरी हिस्से में संदेश
शायर कहता है कि जब तक ये नक्शा हक़ीक़त में नहीं बदलता, जब तक इनकी खिड़कियाँ असली दुनिया की रौशनी को अंदर नहीं लातीं, तब तक इन बच्चों की ज़िंदगी सिर्फ़ अंधेरे में ही ग़ुज़रती रहेगी। वो हुकूमत, स्कूल के अफ़सरों और समाज के रहनुमाओं से कहता है कि इनकी दुनिया को रोशन करें, इन्हें भी हरी-भरी ज़मीन और सुनहरी रेत पर चलने दें। इन्हें ऐसा इल्म दिया जाए जो इनकी ज़िंदगी को बेहतर बनाए।
अहम अल्फ़ाज़ की तशरीह:
गस्टि वेव्स (Gusty Waves): तेज़ चलने वाली हवा, जो इन बच्चों की दुनिया से बहुत दूर है।
रूटलेस वीड्स (Rootless Weeds): जड़ से उखड़े हुए जंगली पौधे, जो इन बच्चों की हालत बयान करता है कि इनका कोई सहारा नहीं।
कैटाकॉम्ब्स (Catacombs): क़ब्रों के नीचे बनी सुरंगें, शायर इस लफ़्ज़ से बताता है कि ये बच्चे ऐसे माहौल में हैं जो ज़िंदा इंसानों के लिए नहीं बल्कि मुर्दों के लिए है।
ब्लॉट (Blot): किसी चीज़ को मिटा देना या छुपा देना। शायर कहता है कि इस नक्शे को तब तक बदल देना चाहिए जब तक इसमें इन बच्चों की ज़िंदगी का सच ना झलकने लगे।
लैंग्वेज ऑफ़ द सन (Language of the Sun): शायर कहता है कि सही इल्म और तालीम वही है जो बच्चों को रौशनी और उम्मीद दे।
अख़री बात
ये नज़्म समाज की उस सच्चाई पर तंज़ करती है जहाँ ग़रीबों के बच्चों को अच्छी तालीम और बेहतर ज़िंदगी से महरूम रखा जाता है। शायर उम्मीद करता है कि एक दिन ये दीवारें टूटेंगी और इन बच्चों को भी वो ज़िंदगी मिलेगी जिसके वो हक़दार हैं।
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