Wednesday, 15 January 2025

सोशल मीडिया और कुछ अच्छी बातें।



बाप अपनी बीवी और बेटियों को घर में अजनबियों से बचाने के लिए अपनी पूरी ताक़त से दरवाज़ा बंद कर देता है
और यह भूल जाता है कि अजनबी हर रोज़ फ़ेसबुक और दूसरे सोशल मीडिया के ज़रिये उसके घर में दाख़िल हो रहे हैं!
अपनी बीवियों और बेटियों को इस अज़ीम ख़तरे से बचाएँ जो अक्सर मुसलमानों के घरों में दाख़िल हो चुका है।
हमने कितने तलाक़ के मसले, नाजाइज़ ताल्लुक़ात, और बेटियों के साथ ब्लैकमेलिंग जैसे मामले देखे हैं जो इन वेबसाइट्स के ज़रिये पैदा हुए हैं।
ऐ वालिद! होशियार रहो:
तुम में से हर एक निगहबान है और हर निगहबान अपनी रियाया के बारे में जवाबदेह है।
हम अल्लाह से आफ़ियत और सलामती की दुआ करते हैं।






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**माहौल और घर की हिफाज़त का इस्लामी नज़रिया**  

क़ुरान-ए-पाक में फरमाया गया
"ऐ ईमान वालों! अपने आप को और अपने घर वालों को उस आग से बचाओ जिसका ईंधन आदमी और पत्थर हैं।" 
(सूरह तहरीम, आयत 6 - कंजुल ईमान)  

इस आयत में घर के जिम्मेदारों, खासकर वालिद को ताकीद की गई है कि वह अपने घर वालों की तरबियत और उनकी हिफाज़त का खास खयाल रखें।  

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**हदीस-ए-पाक में फरमाया गया:**  
*"तुम में से हर एक निगहबान (ज़िम्मेदार) है और हर निगहबान से उसकी रिआया (उसके जिम्मे के लोग) के बारे में सवाल किया जाएगा। मर्द अपने घर वालों का निगहबान है और उससे उसके घर वालों के बारे में सवाल किया जाएगा।"*  
(सहीह बुखारी, हदीस 893)  

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**सोशल मीडिया का ख़तरा**  

आज के दौर में सोशल मीडिया एक ऐसा दरवाज़ा बन चुका है, जो अक्सर हमारे घरों में खतरनाक अजनबियों को दाख़िल कर देता है।  
नतीजा यह होता है कि  
- नाजायज़ ताल्लुक़ात  
- ब्लैकमेलिंग  
- तलाक़ के मामले  
जैसे मसले पैदा होते हैं।  

हमें चाहिए कि अपनी बीवियों और बेटियों को इस ख़तरे से आगाह करें और उनकी हिफाज़त करें।  
**कुरान-ए-पाक फरमाता है:**  
*"और ज़िनाह के क़रीब न जाओ, बेशक ये बेहयाई और बुरा रास्ता है।"*  
(सूरह बनी इस्राईल, आयत 32 - कंजुल ईमान)  

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**तदबीर और दुआ**  

- घर में इस्लामी माहौल कायम करें।  
- बच्चों और घर वालों को दीनी तालीम दें।  
- सोशल मीडिया के इस्तेमाल पर नजर रखें और उनको सही रास्ता दिखाएँ।  

**और अल्लाह से दुआ करें:**  
*"ऐ हमारे रब! हमें और हमारी औलाद को बुतों (गुमराही और फित्ना) से बचा ले।"*  
(सूरह इब्राहीम, आयत 35 - कंजुल ईमान)  

**दुआ करते हैं कि अल्लाह तआला हर मुसलमान को आफियत और सलामती अता फरमाए।**  
**आमीन।**



 





*इन बातों को अपनी ज़िंदगी में आज से अपनाएं, इंशाल्लाह...*

1. उन लोगों को ढूंढना छोड़ दें जो आपको नहीं ढूंढ रहे।
अपनी ताकत और ध्यान की कद्र करें।

2. मिन्नतें करना बंद करें।
अपनी इज़्ज़त-ए-नफ़्स और वकार को बरकरार रखें।

3. वही बातें करें जो ज़रूरी हों।
बेवजह की बातें या ज्यादा सफाई से बचें।

4. बदतमीज़ी का फौरन जवाब दें।
इसे नजरअंदाज़ न करें, इज़्ज़त के साथ और मजबूती से सामना करें।

5. दूसरों की दरियादिली का ज्यादा फायदा न उठाएं।
लेन-देन में तवाज़ुन रखें।

6. उन लोगों के पास कम जाएं जो आपके पास नहीं आते।
रिश्तों में दूसरों के रवैये के मुताबिक बर्ताव करें।

7. अपने आप पर सरमाया लगाएं।
अपनी खुशी और तरक्की को तरजीह दें।

8. चुगली और ग़ीबत से बचें।
मुस्बत सोचें और अपनी शख्सियत की तामीर पर ध्यान दें।

9. बोलने से पहले सोचें।
आपके अल्फ़ाज़ दूसरों के सामने आपकी पहचान बनाते हैं।

10. हमेशा अच्छा दिखें।
एतमाद के साथ अपना लिबास और अंदाज़ पेश करें।

11. अपने मकसद पर काम करें।
कामयाबियां आपकी खुद की इज़्ज़त में इज़ाफा करती हैं।

12. अपने वक्त की इज़्ज़त करें।
इसे कीमती समझें और दूसरों से भी यही तवक्को रखें।

13. बदतमीज़ ताल्लुकात से दूर हो जाएं।
खुद को इतना अहम समझें कि ज़हरीले माहौल से निकल सकें।

14. अपने ऊपर खर्च करें।
दूसरों को दिखाएं कि खुद की देखभाल आपके लिए अहम है।

15. कम दस्तयाब रहें।
अपनी मौजूदगी को कीमती बनाएं।

16. दूसरों को खुद से ज्यादा दें।
दरियादिली आपकी शख्सियत को और ज्यादा काबिल-ए-इज़्ज़त बनाती है।





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### **1. उन लोगों को ढूंढना छोड़ दें जो आपको नहीं ढूंढ रहे।**  
**हदीस:**  
*"जो अल्लाह की खातिर छोड़ता है, अल्लाह उसे उससे बेहतर चीज़ देता है।"*  
(सुनन अबू दाऊद 4788)

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### **2. मिन्नतें करना बंद करें।**  
**कुरान:**  
*"और अपने हाथ अपनी गर्दन से बंधा हुआ न रखो और न उसे बिल्कुल फैला दो कि मलामत खाओ और पछताओ।"*  
(सूरह बनी इस्राईल, आयत 29 - कंजुल ईमान)

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### **3. वही बातें करें जो ज़रूरी हों।**  
**हदीस:**  
*"जो अल्लाह और क़यामत के दिन पर ईमान रखता है, उसे चाहिए कि अच्छी बात कहे या खामोश रहे।"*  
(सहीह बुखारी 6475, सहीह मुस्लिम 47)  

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### **4. बदतमीज़ी का फौरन जवाब दें।**  
**कुरान:**  
*"और जब जाहिल लोग उनसे बातें करते हैं, तो कहते हैं सलाम (अमन की बात)।"*  
(सूरह अल-फुरकान, आयत 63 - कंजुल ईमान)  

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### **5. दूसरों की दरियादिली का ज्यादा फायदा न उठाएं।**  
**कुरान:**  
*"तो तौल को पूरा करो और माप को घटा कर न दो।"*  
(सूरह अल-इसरा, आयत 35 - कंजुल ईमान)

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### **6. उन लोगों के पास कम जाएं जो आपके पास नहीं आते।**  
**हदीस:**  
*"अच्छा मुसलमान वही है जो दूसरों के साथ अच्छा सुलूक करे।"*  
(सुनन तिर्मिज़ी 2486)

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### **7. अपने आप पर सरमाया लगाएं।**  
**कुरान:**  
*"और जो नेक काम करोगे, उसे अपने लिए आगे पाओगे।"*  
(सूरह अल-बकरा, आयत 110 - कंजुल ईमान)  

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### **8. चुगली और ग़ीबत से बचें।**  
**कुरान:**  
*"और ग़ीबत न करो, क्या तुम में कोई यह पसंद करेगा कि अपने मरे हुए भाई का गोश्त खाए?"*  
(सूरह हुजुरात, आयत 12 - कंजुल ईमान)

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### **9. बोलने से पहले सोचें।**  
**हदीस:**  
*"एक आदमी के इस्लाम की खूबी यही है कि वह बेकार की बातों को छोड़ दे।"*  
(सुनन तिर्मिज़ी 2317)  

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### **10. हमेशा अच्छा दिखें।**  
**हदीस:**  
*"अल्लाह खूबसूरत है और खूबसूरती को पसंद करता है।"*  
(सहीह मुस्लिम 91)

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### **11. अपने मकसद पर काम करें।**  
**कुरान:**  
*"और इंसान को वही मिलेगा, जिसके लिए उसने मेहनत की।"*  
(सूरह नज्म, आयत 39 - कंजुल ईमान)

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### **12. अपने वक्त की इज़्ज़त करें।**  
**कुरान:**  
*"और (कसम है) वक्त की, बेशक इंसान घाटे में है।"*  
(सूरह अल-असर, आयत 1-2 - कंजुल ईमान)  

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### **13. बदतमीज़ ताल्लुकात से दूर हो जाएं।**  
**कुरान:**  
*"तो जो तुझे जाहिलों से दूर करे, उसी पर अमल कर।"*  
(सूरह अल-अराफ, आयत 199 - कंजुल ईमान)  

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### **14. अपने ऊपर खर्च करें।**  
**हदीस:**  
*"खर्च करना शुरू करो, पहले अपने आप पर खर्च करो।"*  
(सहीह बुखारी 5355)

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### **15. कम दस्तयाब रहें।**  
**हदीस:**  
*"कम बोलना और कम दिखना इंसान की समझदारी की निशानी है।"*  
(सुनन अबू दाऊद 4836)

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### **16. दूसरों को खुद से ज्यादा दें।**  
**कुरान:**  
*"और अपनी पसंदीदा चीज़ अल्लाह की राह में खर्च करो।"*  
(सूरह आले-इमरान, आयत 92 - कंजुल ईमान)

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**दुआ:**  
*"ऐ हमारे रब! हमें नेक अमल करने और सही रास्ते पर चलने की तौफीक दे।"*  
(आमीन)  

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Shakil Ansari