**नज़्म: टेंशन की दुनिया**
पैसा, रोज़गार की कश्ती, बहती लहरों में गुम,
ख्वाहिशें डूबती जाती हैं, दिल में उठते हैं सुम।
नौकरी की तलाश में दिन-रात काटते हैं,
हर सांस में बस मायूसियों को बांधते हैं।
खुदा से मांगी थी दुआ, सेहत का बहार,
मगर बीमारियों ने छीना हर इक करार।
बच्चों की हंसी, बड़ों की दुआएं,
पर खर्चों की लहरें सबको रुलाएं।
रिश्तों का दरख़्त, जो कभी हरा था,
आज उसकी शाखें टूट गईं, बस सूखा पड़ा था।
प्यार के फूलों में कांटे उग आए,
शादीशुदा जिंदगी के किस्से जलाए।
भविष्य के ख्वाब, जो आंखों में पलते थे,
आज डर की चादर में सब ढकते थे।
बच्चों के सपने, अपनी हसरतें,
सब अधूरी कहानियों में सिमटते थे।
सुरक्षा का डर, अंधेरों का साया,
हर गली में खौफ का गीत गाया।
आतंक, लूट, और गुनाहों के खेल,
ज़िंदगी के रंगों को किया बेरंग और धुंधले।
दूसरों की सफलता, अपनी हार का दर्द,
हर मुस्कान के पीछे जलन का गर्द।
सोचते हैं क्यों नहीं हम उनके जैसे,
खुद को छोटा समझते हैं ऐसे।
काम के बोझ में दब गईं ख्वाहिशें,
डेडलाइन की दौड़ में टूट गई सांसें।
ऑफिस की सियासत, और प्रमोशन की होड़,
दिल पर भारी हर रोज़ की दौड़।
अतीत की गलतियां, जो पीछा नहीं छोड़तीं,
पछतावे की आग में हर रात जलातीं।
मौका जो खोया, लम्हा जो गया,
वो ख्याल, हर लम्हा खामोशी में छाया।
धर्म और इमान का सवाल,
कर्मों का हिसाब, खुद से सवाल।
शांति की तलाश, खुदा का सहारा,
मगर हर दिल में एक खाली किनारा।
टेंशन की इस दुनिया में राह ढूंढनी है,
खुदा पर यकीन, और अपनी मंज़िल चुननी है।
सबर और सुकून से हर दर्द सहे जाएंगे,
इन परेशानियों के साए से बाहर आएंगे।
**दर्द की पुकार**
ऐ मेरे मालिक, सुन ले सदा,
यह दिल है टूटा, है दर्द भरा।
पैसे की खातिर हर रोज़ लड़ूं,
रोटी के टुकड़े को लेकर झगड़ूं।
जो मांगी थी बरकत, वो अब है कमी,
सुकून का दिन देखा न कभी।
बीमार जिस्म, थकान है भारी,
दुआ करूं बच्चों की मैं खैरियारी।
मां-बाप के सपने पूरे कहां,
खुद भी बिखरा, संभालूं कहां?
रिश्तों की गर्मी अब ठंडी पड़ी,
प्यार की जगह, क्यों दीवार खड़ी?
शौहर, बीवी, झगड़े हर रोज़,
मोहब्बत के बदले, क्यों दिल में रोज़?
भविष्य का डर सताता है मुझको,
क्या होगा कल, यह तड़पता है मुझको।
बच्चों का हाल, और अपनी जवानी,
क्या इस सफर में मिलेगी आसानी?
हर सपना टूटा, हर ख्वाहिश बिखरी,
जो चाहा वो पाया न, बस धुंध ही दिखी।
सुकून की तलाश में भटकता रहा,
तेरे दर पे आकर, झुकता रहा।
ऐ अल्लाह, मुझ पर रहमत बरसा,
दिल के अंधेरों में रोशनी दिखा।
तेरी रज़ा को समझूं, तेरी राह पकड़ूं,
हर दर्द को भूलूं, हर ग़म से उबरूं।
रोज़ की फिक्र और उलझन का हाल,
सिर्फ तुझसे है मेरी फरियाद का सवाल।
दिल को सुकून दे, रहमत का सहारा,
तेरे नाम से ही बने सब कुछ हमारा।
**नज़्म: टेंशन का किस्सा और रब की पुकार**
ऐ मेरे रब, सुन ले मेरी पुकार,
दिल में भरी है टेंशन की भरमार।
दुनिया के झगड़े, रिश्तों की टूटन,
हर ग़म से तंग है, मेरी ये धड़कन।
पैसे का मसला, रोटी का सवाल,
कभी नौकरी का डर, कभी व्यापार का हाल।
खुदा, तू ही बता, ये जाल क्यों है?
हर खुशी के पीछे ग़म का खेल क्यों है?
बीमारियां घेरे, दवाओं का खर्चा,
बूढ़े मां-बाप का हाल भी बिगड़ता।
बच्चों के सपने, उनकी तालीम,
हर पल बस सोचूं, कैसे होगी तक़रीम?
रिश्तों में उलझन, झगड़े और फासले,
कभी दिल को दुखाते, कभी बनाते हौसले।
इज्जत का डर, नाम की चिंता,
सच कहूं, ऐ रब, दिल बड़ा ही सिकुड़ता।
भविष्य का डर, और अतीत का पछतावा,
हर कोना खा जाए, दिल का सारा रसावा।
सपने टूटे, उम्मीदें बुझीं,
क्यों हर चाहत अधूरी ही रही?
पर ऐ मेरे रब, जब तेरा सहारा,
दिल को लगे, कोई अपना है हमारा।
तेरी रहमत का किस्सा जब सुनूं,
हर ग़म को मैं खुशी में बुनूं।
तेरी तरफ देखूं, खुशी की आस लिए,
जैसे प्यासा देखे, दरिया के क़रीब।
सच कहूं, ऐ रब, हर खुशी तेरे साथ,
तू ही है सुकून, तू ही मेरी बात।
अब ना लूंगा टेंशन, तुझ पर यकीं,
तूने ही लिखी है, मेरी ये ज़िंदगी।
हर मुश्किल में तेरा ही सहारा,
तेरी रहमत से हर दर्द भी गंवारा।
ऐ मेरे रब, तू सुन मेरी दुआ,
टेंशन की दुनिया से दे मुझे जुदा।
बस तेरा साथ, और दिल का करार,
सच कहूं, रब, तू ही है मेरा प्यार।
**नेमतें**
ख़ुदा की नेमतें हैं बेशुमार,
हर रोज़ इंसान करता है इज़हार।
हवा जो सांसों को ताज़गी दे,
पानी जो प्यास बुझा कर राहत दे।
सूरज की किरणें, उजाले का नूर,
धरती का सीना, फ़सलें भरपूर।
बारिश की बूंदें, मिट्टी को तर करें,
फिज़ा का सुकून, दिलों को असर करें।
खुराक से पेट भरता है जहां,
जानवरों की मेहनत, इंसान की शान।
दिमाग और समझ, इंसान की दौलत,
सेहत से मिलती है ज़िंदगी की हसरत।
नदियां, पहाड़, और ज़मीन का ख़ज़ाना,
हर नेमत है खुदा का नज़राना।
पाक ज़मीं हो या हिंदुस्तान,
दोनों में बसती है उसी की पहचान।
ऐ खुदा, तेरा शुकर हर घड़ी, हर पल,
तेरी नेमतों से बना है ये अमल।
तेरा करम कभी न कम होगा,
तेरी रहमतों से ज़माना रोशन होगा।
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यह रही एक छवि जो खुदा की दी हुई नेमतों और इंसान के शुक्राने को दर्शाती है। अब नज़्म पेश है:
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**नेमतें खुदा की**
हवा में घुली ताजगी की बात,
पानी की वो बहती हर बारात।
खुराक में लिपटी नेमतों का रंग,
सूरज की रोशनी देती जीवन का संग।
जमीन की मिट्टी में खुशबू है खास,
जहाँ मेहनत से होती हर आस।
जानवरों से मिलती राहत का एहसास,
दूध, मांस और मेहनत के साथ।
दिमाग जो सोच का दीप जलाए,
समझ से इंसान बुलंदियाँ पाए।
सेहत में बसी हर खुशी की जान,
शुक्र करो, ये है रब का ईनाम।
बारिश जो सोंधी खुशबू लाए,
हर खेत-खलिहान में नई आस जगाए।
फिजा में छुपा सुकून और प्यार,
हर नेमत पे करो ऐतबार।
खुदा की इनायतें हैं अनगिनत,
इंसान हो जाए इनसे सराबोर मत।
हर दिन, हर लम्हा शुक्र करो,
नेमतों की कदर से जीवन भरो।
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उम्मीद है कि यह नज़्म आपके दिल को छूएगी।
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