Wednesday, 11 December 2024

चींटी की नज़्म

ज़मीं के आँचल में छुपी कहानी,
चींटी ने रच दी मिसाल पुरानी।
राहें हों कठिन, आसमां हो दूर,
चींटी का जज़्बा रखो भरपूर।
संगठन, लगन और वफ़ा का नूर,
चींटी का सबक रहे हर मंज़ूर।

फेरेमोन से संवाद सजाएं,
बिन जुबां के जो बात बताएं।

रानी, मजदूर, सैनिक सब, अपनी-अपनी राह,
हर दाना जोड़ते हैं, करते हैं अपनी चाह।

जमीन के नीचे के महल, हैं इनके सपनों की बात,
जो दिखें नहीं पर हर कण में, बसी हुई उनकी जात।


छोटे कदम, बड़ा हौसला, हर राह करें आसान,
संगठन की मिसाल बनकर, दिखाती हर इंसान।


ज़मीं के सीने में वो खोदती हैं,
मिट्टी को सजीवता से जोड़ती हैं।
दुनिया के बोझ को उठाती हैं,
हर काम को दिल से निभाती हैं।

मिल-जुलकर संग वो चलती हैं,
मुश्किलों में हिम्मत से पलती हैं।
न कोई अहंकार, न कोई घमंड,
बस मेहनत की मिसाल हैं हर दिन।

खामोश फेरेमोन से जो बात करती हैं,
इंसानी संवाद की रीत समझाती हैं।
छोटे आकार में वो बड़ी सीख देती हैं,
ज़िंदगी को सादगी से जीना सिखाती हैं।

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