वक्त की हर इक घड़ी पे गौर कर,
जिंदगी के हुस्न को मसरूर कर।
ये वो दौलत है, जो वापस ना आए,
ख्वाबों की दुनियां को पूरा सजाए।
चमकता है सूरज, हर सुबह के साथ,
सिखाता है मेहनत, हर शब के साथ।
हर लम्हा है नेमत, इसे भूल मत,
इसकी कद्र कर, इसे खाक में झूल मत।
जो वक्त गंवाए, वो पछताएगा,
गुज़रा हुआ कल फिर ना आएगा।
मौके को पकड़, बना राह नई,
खुद को तराश, दिखा चाह नई।
वक्त इबादत भी है, मेहनत भी,
ये इनाम है तेरा, रेहनत भी।
दुनियावी तरक्की का पैग़ाम है,
आखरत की जन्नत का भी सामान है।
जो समझे इसे, वो बड़ा हो गया,
जो खोए इसे, वो मिटा हो गया।
तो ऐ मुसाफिर, चल वक्त के साथ,
कामयाबी तेरा होगा अंजाम-ए-हयात।
वक्त बहता समुंदर है, रुक नहीं सकता,
हर पल हमें सिखाता है, झुक नहीं सकता।
ये वो मोती है जो हर दिल को रोशन करे,
जो इसे समझे वो मंज़िल की ओर चले।
वक्त की आदत है खामोशी से गुजर जाना,
जो सोता रहे, उसे पीछे छोड़ जाना।
जो इसे थाम ले, वो बुलंदियों को छू ले,
जो गवा दे इसे, वो अश्कों को पी ले।
जिंदगी के सफर में वक्त साथी है तेरा,
इसका सही इस्तेमाल तुझको देगा सवेरा।
कभी बर्बाद न कर, ये एक नेमत है बड़ी,
जो इसे भुला दे, उसकी किस्मत है कड़ी।
सूरज सा चमक, वक्त की रौशनी से सीख,
अपने मकसद को हसरतों की जमीन से सींच।
वक्त के हर लम्हे को तू गहना बना,
इससे अपनी दुनिया को रोशन कर जा।
वक्त का जो एहतराम करे, वो अमीर है,
वो जो इसे गवा दे, हमेशा फकीर है।
तो ऐ मेरे हमवतन, वक्त की कद्र कर,
कामयाबी की राहों में अपना सफर कर।
वक्त की हर सांस है नेमत, समझ इसे पहचान ले,
गुज़र गई जो घड़ी, फिर न कभी वो जान ले।
चमकता सूरज, ढलती शामें, सब कहें यही बयां,
जो बर्बाद कर वक्त को, वो होता सदा परेशान।
आसमां ने लिख दी है तक़दीर इस क़लम से,
जो वक्त को संभाले, वो बनता रौशन चमन से।
ख्वाबों को हकीकत दे, ये वक्त का ही जादू है,
खुद को आज़मा, हर मोड़ पर ये तेरा साथी है।
रसूल ﷺ ने फरमाया, ये अमानत है खुदा की,
जो क़द्र करे इस नेमत की, वो पाए राहें वफा की।
नफ्स और हसरतें छोड़ दे, वक्त को सलीके से बिता,
जो कल की फिक्र में उलझा, वो आज को समझ न सका।
कभी सुकून की बात है, कभी सब्र का इम्तिहान,
वक्त के हर पहलू में है इल्म का इक कारवां।
तो ऐ दोस्त! वक्त की इस दौलत को न गंवाना,
हर लम्हा है तेरा अपना, बस इसे सही आजमाना।
जो वक्त को थामा, कामयाब वही निकला,
दुनिया हो या आखरत, सिला भी वही निकला।
रसूल ने फरमाया, वक्त की पहचान,
फुर्सत की नेमतें हैं, सबसे बड़ी जान।
वक्त है अमानत, इसे जाया न करो,
अपने हर कदम को, नेकियों से भरो।
वक्त पे इबादत, वक्त पे फिकर,
वक्त पे कामयाबी की हो तदबीर।
वक्त है एक नेमत-ए-रब्बानी,
सजदे में झुके ये दुनिया सारी।
वक्त की कसम खुदा ने खाई,
सूरह-अल-असर में बात बताई।
यही पैगाम है कुरान-ए-पाक का,
वक्त है सबसे बड़ा इम्तिहान रब का।
जो लम्हे हैं तुझको मिले इस घड़ी,
उनमें छुपी है तरक्की की कड़ी।
वक्त पे इबादत, वक्त पे फिकर,
वक्त पे कामयाबी की हो तदबीर।
इंसान समझे अगर वक्त का मकसद,
दुनिया-ओ-आखरत में पाता है जन्नत।
यह नज़्म वक्त का पैग़ाम लिए है,
जो इसे पहचाने, वो हर इम्तिहान लिए है।
घड़ी के घेरे में बसा है हर इंसान,
पैदा होते ही चलता है वक़्त का सामान।
बचपन में हंसी-खुशी के खेल,
स्कूल की घंटी और दोस्तों का मेल।
घड़ी के कांटे चलते हैं धीरे-धीरे,
समय की गति सबको करती है घीरे।
घड़ी की सूई ने जो चलना सीखा,
पैदा हुआ इंसान, एक सांस लीखा।
पहला कदम, माँ की गोद की छांव,
उसकी ममता में छुपा जीवन का दांव।
स्कूल के घंटों की टन-टन सुनाई,
पढ़ाई की राहें, नई दिशाएं दिखाई।
दोस्तों के संग हंसी की बरसात,
बचपन के पल, मधुर सी बात।
लड़ाई के दिन, जब तूफान सा छाया,
फिर शांति का संगीत, दिल ने गाया।
खुशियों की लहर, आंसुओं की धारा,
जीवन का हर रंग, जैसे सजीव नज़ारा।
आखिर में घड़ी ने थाम ली अपनी चाल,
सांसों का सफर, पहुंचा अंतिम हाल।
लेकिन हर पल, जो उसने जिया,
वो वक्त की घड़ी में अमर बन गया।
No comments:
Post a Comment