The presidents of the New York Central and the New York, New Havenband Hartford railroads will swear on a stack of timetables that there are only two. But I say there are three, because I've been on the third level of the Grand Central Station. Yes, I've taken the obvious step: I talked to a psychiatrist friend of mine, among others. I told him about the third level at Grand Central Station, and he said it was a waking-dream wish fulfillment. He said I was unhappy. That made my wife kind of mad, but he explained that he meant the modern world is full of insecurity, fear, war, worry and all the rest of it, and that I just want to escape. Well, who doesn't? Everybody I know wants to escape, but they don't wander down into any third level at Grand Central Station.
"न्यू यॉर्क सेंट्रल" और "न्यू हेवन एंड हार्टफोर्ड" रेलवे के प्रेज़िडेंट्स कसम खा के कहेंगे कि वहां सिर्फ दो ही फ्लोर (लेवल) हैं। मगर मैं कहता हूं कि तीन हैं, क्योंकि मैं खुद ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन के तीसरे लेवल पर गया हूं। हां, मैंने एक बड़ा कदम उठाया — मैंने अपने एक साइकेट्रिस्ट दोस्त से और कुछ और लोगों से भी बात की। मैंने उसे तीसरे लेवल के बारे में बताया तो उसने कहा कि ये बस एक 'जागती आंखों का सपना' है — यानि इंसान की दिली ख्वाहिश जो सपना बन जाती है। उसने कहा कि मैं खुश नहीं हूं। ये बात मेरी बीवी को कुछ गुस्सा दिला गई, मगर फिर उसने समझाया कि आज की दुनिया में डर, जंग, टेंशन, और ना-एतमादी भरी हुई है — और मैं बस इन सब से भागना चाहता हूं। और भला कौन नहीं भागना चाहता? जितने भी लोगों को मैं जानता हूं, सब इस दौर से निकलना चाहते हैं — मगर कोई ग्रैंड सेंट्रल के तीसरे फ्लोर की तरफ नहीं जाता।"
पैराग्राफ की डिटेल में तफ्सील और समझ:
इस पैराग्राफ का ताल्लुक कल्पना और हकीकत के बीच की उस पतली लकीर से है जहां इंसान अपनी ज़िन्दगी की परेशानी और तनाव से बचने के लिए एक नई, पुरसुकून दुनिया का ख्वाब देखता है।
मुख्य बातें:
तीसरे लेवल का दावा: लेखक कहता है कि ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन पर एक तीसरा लेवल है, जबकि रेलवे के ऑफिशियल्स कहते हैं कि बस दो ही लेवल हैं। इससे मालूम होता है कि लेखक कोई हकीकत नहीं बल्कि एक कल्पना की बात कर रहा है।
साइकेट्रिस्ट से बात: लेखक ने अपने मन की उलझनों को समझने के लिए एक साइकेट्रिस्ट से बात की, जिसने बताया कि ये सब एक wish fulfillment है — यानि हमारी अंदरूनी ख्वाहिशों की तामीर, जो हम जागते हुए सपनों में देखते हैं।
आधुनिक दुनिया की टेंशन: साइकेट्रिस्ट ने कहा कि आज की दुनिया डर, जंग, और चिंता से भरी हुई है और आदमी इससे निकलना चाहता है। यही वजह है कि लेखक को तीसरे लेवल जैसा एक ख्याली रास्ता नजर आया — जहां वो इस तनाव से बाहर जा सके।
बीवी का रद्द-ए-अमल: जब साइकेट्रिस्ट ने कहा कि लेखक खुश नहीं है, तो उसकी बीवी को बुरा लगा। लेकिन बात सिर्फ इंसान की हालत की थी, जो हर किसी पर लागू होती है।
हर कोई भागना चाहता है: आखिर में लेखक कहता है कि हर कोई इन मुश्किल हालात से भागना चाहता है — फर्क सिर्फ इतना है कि बाकी लोग स्टेशन के 'तीसरे लेवल' की तरफ नहीं जाते, बल्कि और तरीकों से भागते हैं।
The third level refers to the subway of the Grand Central Station.But that's the reason, he said, and my friends all agreed. Everything points to it, they claimed. My stamp collecting, for example; that's a 'temporary refuge from reality. Well, maybe, but my grandfather didn't need any refuge from reality; things were pretty nice and peaceful in his day, from all I hear, and he started my collection. It's a nice collection too, blocks of four of practically every VB issue, first-day covers, and so on. President Roosevelt collected stamps too, you know.
"तीसरे लेवल से मुराद ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन के सबवे (नीचे वाला रास्ता) से है।
मगर उसी वजह से, उन्होंने कहा — और मेरे सारे दोस्तों ने भी यही बात मानी। सब कुछ इसी तरफ इशारा करता है, उन्होंने कहा। मिसाल के तौर पर मेरा स्टैम्प जमा करने का शौक — ये एक 'हकीकत से कुछ देर की राहत' (अस्थाई तौर पर भागना) है। खैर, हो सकता है, मगर मेरे दादा को तो ऐसी किसी राहत की ज़रूरत नहीं थी — उनके ज़माने में तो सब कुछ बड़ा अच्छा और पुरसुकून था, जितना मैंने सुना है। और स्टैम्प्स की ये आदत मुझे उन्हीं से मिली। ये कलेक्शन भी बड़ा अच्छा है — हर VB इशू के चार-चार स्टैम्प्स वाले ब्लॉक्स, फर्स्ट-डे कवर्स वगैरह सब शामिल हैं। और आपको पता है, प्रेज़िडेंट रूज़वेल्ट भी स्टैम्प्स जमा करते थे!"
पैराग्राफ की डिटेल में तफ्सील और समझ:
इस हिस्से में लेखक अपने ऊपर लगाए गए एक तंज़ (या साइकोलॉजिकल एनालिसिस) पर बहस करता है:
Subway को 'Third Level' कहना: लोग मानते हैं कि ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन पर कोई तीसरा लेवल नहीं है, और अगर कोई है भी, तो वो बस सबवे ही है — यानि हकीकत में कुछ नया नहीं है, सब दिमागी खेल है।
स्टैम्प कलेक्शन = हकीकत से भागना? लेखक के दोस्त और साइकेट्रिस्ट मानते हैं कि स्टैम्प जमा करना उसकी दुनिया से भागने की एक आदत है — क्योंकि जब इंसान परेशान होता है तो वो किसी हॉबी में खुद को छुपा लेता है।
लेखक का जवाब: लेखक इस बात से पूरा सहमत नहीं है। वो कहता है कि उसके दादा ने भी स्टैम्प जमा करना शुरू किया था — जबकि उनके जमाने में तो ज़िन्दगी काफी सुकून भरी थी।
➤ मतलब ये कि ये हॉबी सिर्फ परेशानी से बचने के लिए नहीं, बल्कि शौक और दिलचस्पी की वजह से भी हो सकती है।
स्टैम्प कलेक्शन की अहमियत: लेखक अपने कलेक्शन की अहमियत भी दिखाता है — उसमें हर वॉल्यूएबल स्टैम्प, फर्स्ट-डे कवर वगैरह शामिल हैं।
➤ और साथ ही वो ये भी बताता है कि अमेरिका के प्रेज़िडेंट रूज़वेल्ट भी स्टैम्प्स जमा करते थे — यानि ये शौक इज्जत वाला और आम बात है।
Anyway, here's what happened at Grand Central. One night last summer I worked late at the office. I was in a hurry to get uptown to my apartment so I decided to take the subway from Grand Central because it's faster than the bus.Now, I don't know why this should have happened to me. I'm just an ordinary guy named Charley, thirty-one years old, and I was wearing a tan gabardine suit and a straw hat with a fancy band; 'I passed a dozen men who looked just like me. And I wasn't trying to escape from anything; I just wanted to get home to Louisa, my wife.
खैर, अब सुनिए कि ग्रैंड सेंट्रल पर असल में क्या हुआ।
पिछली गर्मियों की एक रात, मैं ऑफिस में देर तक काम कर रहा था। फिर मैं जल्दी-जल्दी अपने अपार्टमेंट (घर) पहुंचना चाहता था, तो मैंने सोचा कि बस से बेहतर है मैं ग्रैंड सेंट्रल से सबवे पकड़ लूं — क्योंकि वो जल्दी पहुंचा देती है।
अब, मुझे नहीं पता कि ऐसा मेरे साथ ही क्यों हुआ। मैं कोई खास आदमी नहीं, बस एक आम सा इंसान हूं — मेरा नाम चार्ली है, उम्र इकतीस साल है, उस दिन मैंने एक हल्के भूरे रंग का गबार्डीन सूट पहना था और एक स्ट्रॉ हैट (तिनकों की टोपी) पहनी थी जिस पर डिजाइन वाला पट्टा था।
मैंने वहां ऐसे दर्जनों मर्दों को देखा जो ठीक मेरी ही तरह दिख रहे थे। और मैं किसी चीज़ से भागने की कोशिश नहीं कर रहा था — मैं तो बस अपनी बीवी लुईसा के पास घर पहुंचना चाहता था।"
पैराग्राफ की डिटेल में तफ्सील और समझ:
यह हिस्सा घटना की शुरुआत का बयान है, जहां लेखक खुद के बारे में और उस रात की स्थिति बताता है।
मुख्य बातें:
पर्सनल टच: लेखक अपना नाम (Charley), उम्र (31 साल), पहनावा (गबार्डीन सूट और स्ट्रॉ हैट) बताता है, जिससे ये अहसास होता है कि वह एक आम शहरी इंसान है।
➤ इससे कहानी को रियल और भरोसेमंद बनाने की कोशिश की गई है।
वो भाग नहीं रहा था: ये बात खास तौर पर बताई गई कि लेखक किसी तनाव या परेशानी से नहीं भाग रहा था।
➤ इस बात से वो पहले की साइकेट्रिस्ट वाली थ्योरी को गलत साबित करना चाहता है कि "वो हकीकत से भागना चाहता है"।
जल्दी घर जाने की कोशिश: लेखक कहता है कि वो तो बस जल्दी घर जाना चाहता था — अपनी बीवी लुईसा के पास।
➤ इस बात से ये जाहिर होता है कि उसका मकसद बहुत आम और साफ था — कोई ख्वाबी दुनिया की तलाश नहीं।
दिखावटी समानता: उसने ये भी कहा कि वहां उसके जैसे बहुत से मर्द थे — मतलब, वो कोई अलग या अजीब इंसान नहीं था।
➤ इससे पता चलता है कि जो भी हुआ, वो कोई 'पागलपन' नहीं बल्कि किसी आम इंसान के साथ भी हो सकता है।
I turned into Grand Central from Vanderbilt Avenue, and went down the steps to the first level, where you take trains like the Twentieth Century. Then I walked down another flight to the second level, where the suburban trains leave from, ducked into an arched doorwa heading for the subway - and got lost. That's easy to do. I've been in and out of Grand Central hundreds of times, but I'm always bumping into new doorways and stairs and corridors. One I got into a tunnel about a mile long and came out in the lobby of the Roosevelt Hotel. Another time I came up in an office building on Forty-sixth Street, three blocks away.Sometimes I think Grand Central is growing like a tree, pushing out new corridors and staircases like roots. There's probably a long tunnel that nobody knows about feeling its way under the city right now, on its way to Times Square, and maybe another to Central Park. And maybe because for so many people through the years Grand Central has been an exit, a way of escape - maybe that's how the tunnel I got into... But I never told my psychiatrist friend about that idea.
"मैं वेंडरबिल्ट एवेन्यू से घूम कर ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन में दाखिल हुआ और सीढ़ियाँ उतरकर पहले लेवल पर पहुंचा — जहां से ट्वेंटीएथ सेंचुरी जैसी ट्रेनें चलती हैं।
फिर मैं एक और सीढ़ी नीचे गया — दूसरे लेवल की तरफ, जहां से लोकल (शहरी) ट्रेनें जाती हैं। वहाँ से मैं एक मेहराबदार दरवाज़े से सबवे की तरफ मुड़ा — और रास्ता भटक गया। ऐसा होना आसान है। मैं सैकड़ों बार ग्रैंड सेंट्रल आया-जाया हूं, मगर हर बार कोई नया दरवाज़ा, सीढ़ी या गलियारा सामने आ जाता है। एक बार मैं एक बहुत लंबी सुरंग में घुस गया — करीब एक मील लंबी — और निकल कर रूज़वेल्ट होटल की लॉबी में पहुंच गया। एक और बार मैं सीधा फोर्टी-सिक्स वीं स्ट्रीट की एक ऑफिस बिल्डिंग में निकल आया — जो स्टेशन से तीन ब्लॉक दूर है। कभी-कभी मुझे लगता है कि ग्रैंड सेंट्रल किसी पेड़ की तरह बढ़ रहा है — जैसे उसकी जड़ें फैलती जाती हैं, वैसे ही ये नए गलियारों और सीढ़ियों के साथ फैल रहा है। शायद शहर के नीचे अभी भी कोई लंबी सुरंग बन रही हो — टाइम्स स्क्वेयर की तरफ जाती हुई — या शायद सेंट्रल पार्क की तरफ। और शायद इसीलिए, क्योंकि सालों से ये जगह लोगों के लिए एक रास्ता रही है — एक भागने का रास्ता — शायद इसलिए वो सुरंग मेरे सामने आई। लेकिन ये ख्याल मैंने अपने साइकेट्रिस्ट दोस्त को कभी नहीं बताया।"
पैराग्राफ की डिटेल में तफ्सील और समझ:
यह हिस्सा "The Third Level" कहानी की सबसे रहस्यमय और इमेजिनेटिव (कल्पनात्मक) जगहों में से है — जहां यथार्थ और कल्पना आपस में घुलने लगती हैं।
🔹 मुख्य बिंदु:
रास्ता भटकना — मामूली बात नहीं:
लेखक बताता है कि कैसे वो रोज़ के आने-जाने के बावजूद ग्रैंड सेंट्रल में रास्ता भटक जाता है।
➤ ये बताता है कि स्टेशन खुद एक जटिल भूलभुलैया की तरह है, जिसमें हर बार कुछ नया लगता है।
अनोखे रास्ते — जैसे जादुई हों:
कभी वो एक लंबी सुरंग से निकलकर होटल पहुंचता है, तो कभी तीन ब्लॉक दूर ऑफिस बिल्डिंग में।
➤ ये इशारा करता है कि ग्रैंड सेंट्रल की जगह भले हकीकत में हो, मगर इसमें कुछ जादुई और रहस्यमय भी छुपा है।
पेड़ जैसा स्टेशन — "Growing Like a Tree":
ग्रैंड सेंट्रल को पेड़ से तुलना करना बहुत गहरी सोच दिखाता है — कि जैसे कोई ज़िंदा चीज़ हो जो हर वक़्त बढ़ रही है।
➤ गलियारों और सुरंगों को जड़ों (roots) से जोड़ना इस बात का संकेत है कि ये स्टेशन सिर्फ एक इमारत नहीं, बल्कि किसी मानसिक या आध्यात्मिक रास्ते का रूप भी ले सकता है।
"Escape" का Symbolism:
लेखक कहता है कि सालों से लोग इस जगह को 'भागने के रास्ते' की तरह इस्तेमाल करते आए हैं।
➤ मतलब, ये जगह सिर्फ एक ट्रांसपोर्ट का स्टेशन नहीं, बल्कि ज़िंदगी की मुश्किलों से छुटकारा पाने का ख्याली रास्ता भी है।
साइकेट्रिस्ट से न कहना:
लेखक ने ये ख्याल अपने साइकेट्रिस्ट दोस्त से नहीं बताया — शायद इसलिए कि वो इसे भी एक पागलपन की निशानी समझ लेता।
➤ मगर ये छुपाया गया ख्याल ही असल में उसकी सबसे गहरी सोच को दिखाता है।
The corridor I was in began angling left and slanting downward and I thought that was wrong, but I kept on walking. All I could hear was the empty sound of my own footsteps and I didn't pass a soul. Then I heard that sort of hollow roar ahead that means open space and people talking. The tunnel turned sharp left; I went down a short flight of stairs and came out on the third level at Grand Central Station. 00 For just a moment I thought I was back on the second level, but I saw the room was smaller, there were fewer ticket windows and train gates, and the information booth in the centre was wood and old-looking. And the man in the booth wore a green eyeshade and long black sleeve protectors. The lights were dim and sort of flickering. Then I saw why; they were open-flame gaslights.
जिस गलियारे में मैं था, वो थोड़ा बाएं मुड़ने लगा और नीचे की तरफ ढलान पर जा रहा था — मुझे लगा ये रास्ता सही नहीं है, लेकिन मैं चलता रहा। मेरे कदमों की आवाज़ के अलावा कुछ सुनाई नहीं दे रहा था और रास्ते में मुझे कोई इंसान भी नहीं मिला। फिर मुझे सामने से एक खोखली-सी गूंज सुनाई दी — जैसे कोई खुली जगह हो, जहां लोग बातें कर रहे हों। सुरंग अचानक तेज़ी से बाईं तरफ मुड़ी, फिर मैं कुछ सीढ़ियाँ नीचे उतरा — और मैं ग्रैंड सेंट्रल स्टेशन के तीसरे लेवल पर निकल आया। एक पल के लिए मुझे लगा कि मैं फिर से दूसरे लेवल पर आ गया हूं, लेकिन मैंने देखा कि ये कमरा छोटा था, टिकट खिड़कियां और ट्रेन गेट्स भी कम थे, और जो जानकारी देने वाला बूथ था, वो लकड़ी का बना हुआ और पुराना लग रहा था। उस बूथ में जो आदमी बैठा था, उसने हरे रंग की आंखों को ढकने वाली पट्टी और काली लंबी स्लीव्स वाली बाहों की रक्षक पहनी थी। रोशनी हल्की थी और टिमटिमा रही थी — और तभी मैंने देखा कि ये गैस से जलने वाले खुले लैंप थे।
पैराग्राफ की डिटेल में तफ्सील और समझ:
यह पैराग्राफ कहानी के सबसे रहस्यमयी और चौंकाने वाले हिस्सों में से है — यहीं पर पहली बार लेखक "तीसरे लेवल" में दाखिल होता है।
🔹 मुख्य बिंदु:
रास्ता अजीब और सुनसान:
गलियारा मुड़ता और ढलान पर जाता है — यह संकेत है कि अब लेखक साधारण दुनिया से अलग रास्ते पर जा रहा है।
➤ किसी भी इंसान से न मिलना और सिर्फ अपने कदमों की आवाज़ का सुनाई देना — एक सपने जैसे माहौल का एहसास कराता है।
खुली जगह की आवाज़ — "hollow roar":
यह बताता है कि वो एक नए और बड़े इलाके में प्रवेश कर रहा है — मगर अभी भी पूरी तरह साफ नहीं है कि वो हकीकत है या कल्पना।
तीसरे लेवल पर पहुंचना:
कुछ सीढ़ियों के बाद वह तीसरे लेवल पर पहुंचता है —
➤ मगर ये जगह दूसरे लेवल से बहुत अलग लगती है — छोटी, पुरानी, और अलग माहौल वाली।
पुराने ज़माने का माहौल:
बूथ लकड़ी का है,
आदमी ने पुराने स्टाइल के कपड़े पहने हैं,
लाइट गैस से जल रही है — यानी बिजली नहीं।
➤ यह सब दर्शाता है कि वह शायद अतीत के ज़माने में पहुंच गया है — शायद 1890 के दौर में।
संदेह और रहस्य दोनों:
एक पल को उसे लगता है कि शायद वह अभी भी यथार्थ में है — मगर माहौल खुद बता देता है कि ये कोई अलग ही दुनिया है।
Symbolism और Interpretation:
तीसरा लेवल सिर्फ एक स्टेशन नहीं है, यह अतीत, सुकून, और बचपन जैसी मासूमियत वाली दुनिया का प्रतीक है —
एक ऐसी दुनिया जहां इंसान जंग, डर, और तनाव से बचकर सुकून पा सके।
गैस लाइट्स और लकड़ी का बूथ उस पुराने दौर को दर्शाते हैं जब ज़िंदगी धीमी, शांत और सादा थी।
There were brass spittoons on the floor, and across the station a glint of light caught my eye; a man was pulling a gold watch from his vest pocket. He snapped open the cover, glanced at his watch and frowned. He wore
a derby hat, a black four-button suit with tiny lapels, and he had a big, black, handlebar mustache. Then I looked around and saw that everyone in the station was dressed like eighteen-ninety-something; I never saw so many beards, sideburns and fancy mustaches in my life. A woman walked in through the train gate; she wore a dress with leg-of-mutton sleeves and skirts to the top of her high-buttoned shoes. Back of her, out on the tracks, I caught a glimpse of a locomotive, a very small Currier & Ives locomotive with a funnelshaped stack. And then I knew.
फ़र्श पर पीतल के थूकदान रखे थे। और स्टेशन के उस पार मेरी नज़र एक चमक पर पड़ी — एक आदमी अपनी जैकेट की जेब से सोने की घड़ी निकाल रहा था। उसने घड़ी का ढक्कन खोला, समय देखा और माथा सिकोड़ लिया। उसने 'डर्बी हैट' पहनी हुई थी, काले रंग का चार बटन वाला सूट पहना था, जिसमें बहुत छोटे कॉलर (lapels) थे, और उसके चेहरे पर मोटी, बड़ी, 'हैंडलबार' जैसी मूंछें थीं। फिर मैंने चारों तरफ देखा — स्टेशन पर जितने भी लोग थे, वो सब 1890 के ज़माने के कपड़ों में थे। मैंने ज़िंदगी में कभी इतने दाढ़ी, 'साइडबर्न्स' और स्टाइलिश मूंछें एक साथ नहीं देखी थीं। एक औरत ट्रेन गेट से अंदर आई — उसने ऐसे कपड़े पहने थे जिनमें 'भुजाओं जैसी फूली हुई बांहें' थीं और स्कर्ट उसके ऊंचे बटन वाले जूतों तक आ रही थी। उसके पीछे, पटरियों पर मुझे एक झलक दिखाई दी — एक छोटी सी Currier & Ives स्टाइल की पुरानी लोकोमोटिव ट्रेन, जिसकी चिमनी एक फ़नल जैसी थी। और तब मुझे यकीन हो गया।"
पैराग्राफ की डिटेल में तफ्सील और समझ:
यह पैराग्राफ उस "पक्का सबूत" को दिखाता है जिससे लेखक को यकीन हो जाता है कि वह सच में अतीत के किसी पुराने दौर में पहुंच गया है।
पीतल के थूकदान (Brass Spittoons):
— यह एक बहुत पुरानी चीज़ है जो 19वीं सदी के स्टेशनों और ऑफिसों में हुआ करती थी।
➤ यह बताता है कि स्टेशन पुराने ज़माने का है।
सोने की घड़ी और आदमी का पहनावा:
— आदमी ने जैब से 'पॉकेट वॉच' निकाली — और वो डर्बी हैट व पुराना सूट पहने था।
➤ यह फैशन 1890 के करीब का था।
स्टेशन के लोग:
— सबके कपड़े, मूंछें, दाढ़ी — सब कुछ उस दौर का है।
➤ लेखक को लगने लगता है कि ये कोई सपना नहीं — वह सच में कहीं पिछले ज़माने में पहुंच गया है।
औरत का पहनावा:
— उसकी ड्रेस में 'leg-of-mutton sleeves' यानी भुजाओं जैसी फूली हुई बांहें थीं — ये 19वीं सदी की महिलाओं की स्टाइल होती थी।
Currier & Ives लोकोमोटिव:
— यह एक बहुत पुरानी अमेरिकी ट्रेन डिजाइन थी, जो अब सिर्फ तस्वीरों और पेंटिंग्स में मिलती है।
➤ जब लेखक ने वो ट्रेन देखी, तो उसे यकीन हो गया कि वो अतीत में पहुंच चुका है।
Symbolism और मतलब:
पूरा दृश्य 1890 के दौर का है, जो लेखक के लिए सुकून और शांति का प्रतीक है —
वो दौर जहां न जंग थी, न तनाव, और न मॉडर्न जिंदगी की उलझनें।
लेखक की ख्वाहिशों की दुनिया हकीकत बनती दिखती है —
वह जगह जिससे वह भागना नहीं चाहता था, मगर जो उसे मिल गई।
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