शाहजहांपुर के शेर
गूँजती है फिज़ा में, अभी तक सदाएं,
वो अशफाक, वो फैज, वो मौलवी के नजारे।
शाहजहांपुर की मिट्टी में है वो जुनून,
के हर कण में दफ्न हैं आज़ादी के अफसाने।
अशफाक जो कुर्बानी का अलम लिए चला,
साँसों में बसी थी वतन की हवा।
फांसी के तख़्त से भी किया इकरार,
"हिंद की जमीं ही मेरी दुआ का असर।"
फैज मोहम्मद ने इंकलाब का शोर मचाया,
जुल्मत के अंधेरों को चीर कर दिखाया।
उनके लफ्ज़ों ने हर दिल को जगाया,
ख्वाबों में फिर से नया चमन बसाया।
मौलवी अहमदुल्लाह की फितरत थी अजीम,
हर वार ने दुश्मनों को दिया ये यकीन।
शमशीर उनकी चमकी, तो कांपा सरेआम,
गोरों ने देखा, तो जले उनके अरमान।
ये तीन सितारे, वतन के आसमान,
जिनकी रौशनी से महक उठा जहान।
शाहजहांपुर की माटी का फ़ख्र हैं ये,
जिनके लहू से रंगीन है हिंदुस्तान।
आओ हम भी कुछ उनसे सबक लें,
जुनून-ए-इश्क-ए-वतन को दिल में रख लें।
उनके रास्तों पे चलें, इरादे मजबूत करें,
आज का हर दिन, उनके नाम करें।
रटीफ से भरी ये नज़्म है पैगाम,
हर दिल में जलाओ आज़ादी का दिया तमाम।
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शाहजहांपुर की मिट्टी में लौ दहकती रही,
अशफाक की तकरीर से बगावत महकती रही।
फैज ने तालीम का चिराग रोशन किया,
जुनून-ए-हुर्रियत में हर दिल को जवान किया।
मौलवी का सर कटा पर ख्वाब न झुका,
गद्दारों के दर पर इन्साफ का शोर रुका।
इन शहीदों के नाम से रोशन हर गली,
जिनसे आज भी इंकलाब की सुगंध चली।
अशफाक ने फांसी के तख़्ते पे गीत सुनाए,
वतन की मिट्टी के लिए हंसकर जान लुटाए।
फैज ने तालीम से इंकलाब जगाया,
नौजवानों के ख्वाबों को परवान चढ़ाया।
मौलवी का सर कटा, मगर झुकी न नजर,
हर कतरे में दास्तां कहता रहा उनका असर।
शाहजहांपुर की हवाओं में उनका नाम है,
हर गली, हर कोने में आज भी उनका पैगाम है।
गद्दारों ने सोचा कि आवाज़ें दफना देंगे,
पर ये शहीद चिराग हैं, जो हर दिल में जलेंगे।
जिनकी रगों में बहे हैं खून के अफसाने,
उनकी कुर्बानियों को कौन भुला सकेगा दीवाने।
अशफाक के होंसले से सजी है ये ज़मीं,
फैज़ के इल्म से रोशन हर एक ये गली।
मौलवी का लहू जो वफा में बहा,
गद्दार के धोखे ने मिटा दी सदा।
शाहजहांपुर के ये नायाब सितारे,
जगाएंगे दिलों में वतन के सहारे।
शाहजहांपुर की मिट्टी में वो तेग़ों की चमक है,
जहाँ के फ़लक पे अब भी शहादत की झलक है।
अशफ़ाक़ की जुबां से जो इंक़लाब निकला,
फ़ैज़ाबाद की हवा में भी आज तक बस रहा।
फांसी का फंदा उनकी मुस्कान को ना झुका सका,
हर लफ़्ज़ उनके दिल का ज़माना जगा सका।
फ़ैज़ मोहम्मद ने इल्म का चराग़ जलाया,
शाहजहांपुर में एक दरख़्त-ए-तालीम लगाया।
जिसकी जड़ें आज भी सिखाती हैं जीना,
हर सांस में बसती है आज़ादी का नगीना।
मौलवी अहमदुल्लाह की वह हुंकार याद रखो,
जो अंग्रेज़ों के दिलों में बैठा डर बयान रखो।
पुवायां की धरती ने जो ग़द्दारी लिखी,
उनके सर की क़ीमत ने वफ़ादारी सिखाई।
धोखे से मारे गए, मगर इरादे न हारे,
उनकी दास्तां से सजे हैं आज़ादी के सितारे।
ये शाहजहांपुर की मिट्टी, ये ज़मीन का वक़ार,
हर क़दम पर लिखी हैं बहादुरी की मिसाल।
तुम्हें सलाम, ऐ जांबाज़ों की निशानी,
तुम्हारा नाम रहेगा हमारी ज़ुबां का फ़साना।
गवाही देती है हवा, गवाही देते हैं दरख़्त,
जिनकी वजह से आज हैं रोशन ये वक्त।
तुम्हारे नक्श-ए-कदम हैं हमारे लिए नूर,
हमेशा चमकेगा शाहजहांपुर का फ़ख़्र-ए-ग़ुरूर।
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76वें गणतंत्र दिवस पर, हिंदुस्तान के नाम एक नज़्म:
हिंदुस्तान, तेरा हर क़दम अमन का पैग़ाम है,
तेरे दिल में बसी है इक अज़ीम इंसानियत का नाम है।
76 सालों का सफ़र, तेरी आन-बान का राज़ है,
जहाँ हर एक फ़र्ज़, देश की सलामती का साज़ है।
फिजाओं में गूंजे हैं तेरे हौसले के नग़मे,
तेरे लोगों की मेहनत ने बनाए हैं अच्छे तिजारत के रुक़्मे।
कभी न तुम टूटे, न थमे, न झुके,
तेरी ज़मीन पर हर एक ख्वाब ताबीर हुआ, कभी न रुके।
आज भी तेरी राहों में चाँद सितारे हैं,
तेरे हौसलों के आगे, सारी मुश्किलें भी प्यारे हैं।
तेरे गांव-शहर में एक इक उम्मीद की लौ जलती है,
सभी अंधेरों में तेरी रौशनी की हलचल रहती है।
हिंदुस्तान की धरा पर, आज़ादी की सौगात मिली,
गणतंत्र दिवस का मेला, एक नई उम्मीद की रीत मिली।
76 साल पहले जब ये ध्वज ऊंचा लहराया था,
हर दिल में सुकून और उम्मीद का गीत गाया था।
मुकम्मल हो गए वो ख्वाब, जो कभी अधूरे थे,
कभी ख्वाहिशें थीं जख्म, अब वो शफाई से पूरे थे।
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नज़्म: "76वें यौम-ए-जम्हूरीयत पर हिंदुस्तान की तस्वीर"
76 साल हुए, हिंदुस्तान को यौम-ए-जम्हूरीयत का ऐलान,
ज़माना बदला, दिखी नयी उम्मीद की सुबह का जहान।
जो कभी था ख्वाबों में, आज वो हकीकत बन चुका है,
बड़ी-बड़ी इमारतों में अब हर रास्ता रोशन हो चुका है।
वो भारत जो था एक बार अंधेरे में खोया,
आज हर शहर, हर गली, हर कोना रोशन हो चुका है।
तकनीकी दौर ने दी है नयी ताकत और पहचान,
हर हाथ में है स्मार्टफोन, हर कदम में है तकनीकी जान।
जो पुराने दिन थे, जब मुश्किलें थीं बेहिसाब,
आज उस हिंदुस्तान में हर चेहरा है खुशहाल।
किसी के पास बड़ा घर है, किसी के पास बड़ा कारोबार,
हर इंसान की आँखों में एक नया सपना है साकार।
खुशहाली का आलम, और एक बेहतर समाज,
जहाँ हर किसी को मिला है अधिकार और इज्जत का राज।
सुधरी स्वास्थ्य सेवाएँ, शिक्षित होते हर बच्चें,
आधुनिकता ने दी है दिशा, और दूर हो गए हैं हर क़दमें।
76 साल पहले जो था बस एक सपना,
आज वही हिंदुस्तान दुनिया में चमकता हुआ अपना।
हर मुल्क से बढ़कर, अब अपनी पहचान है।
किसी ने सोचा न था, मगर आज वो हिंदुस्तान है।
आइए, इस मौके पर हम सब मिलकर कहें,
हमारा हिंदुस्तान अब हर तरह से बढ़ा है, सच्चा है।
यौम-ए-जम्हूरीयत की ख़ुशियाँ मनाएँ हम,
हिंदुस्तान के हर कदम में तरक्की हो, यही दुआ करें हम।
76वां यौम-ए-जम्हूरियत
(76th Yom-e-Jamhuriyat)
आज हिंदुस्तान के 76 साल पूरे हो गए हैं, और यह वक़्त खुद इस मुल्क की तरक्की और बदला हुआ मंजर देखने का है। जहां पहले सिर्फ ख्वाब थे, अब वो हकीकत बन चुके हैं।
बात करें हिंदुस्तान की, तो इस मुल्क ने जिस तरह से अपने जश्न-ए-आज़ादी के 76 साल बाद न सिर्फ अपनी बुनियादी ताकत को फिर से खड़ा किया, बल्कि यह एक मिसाल बन चुका है दुनिया के लिए। सड़कों पर दौड़ती नई कारें, विशाल बिल्डिंगें, और एक सशक्त अर्थव्यवस्था, ये सब बताती हैं कि ये मुल्क अब उस मुकाम पर पहुंच चुका है जहां पहले सिर्फ ख्वाब देखा करते थे।
आज हिंदुस्तान में हर जगह खुशहाली का माहौल है। गाँव से लेकर शहरों तक हर किसी के चेहरे पर एक नई उम्मीद और समृद्धि का असर दिखता है। शिक्षा, चिकित्सा, विज्ञान, और टेक्नोलॉजी के क्षेत्र में नई ऊँचाइयाँ हासिल की हैं, और यह सब उस मेहनत का नतीजा है जो इस देश के लोगों ने मिलकर की है।
सिर्फ बड़े शहर ही नहीं, बल्कि छोटे-छोटे कस्बे और गाँव भी अब वज़नदार विकास के रास्ते पर कदम बढ़ा चुके हैं। यहाँ के लोग अब अपने हुनर और मेहनत से न सिर्फ हिंदुस्तान, बल्कि पूरी दुनिया में अपनी पहचान बना रहे हैं।
आज अगर आप दिल्ली, मुंबई, बेंगलोर, और हैदराबाद जैसी जगहों पर जाएंगे, तो आपको हर ओर आधुनिकता, विकास और संस्कृति का अनोखा मिश्रण देखने को मिलेगा। सड़कों पर दौड़ते स्मार्ट वाहन, डिजिटल इंडिया का जादू, और बड़ी-बड़ी शॉपिंग मॉल्स, ये सब बताते हैं कि हिंदुस्तान की जिंदगियाँ अब पहले से कहीं बेहतर और खुशहाल हो चुकी हैं।
"76 साल का सफर, अब खुदा के सामने एक नज़ीर है।
हिंदुस्तान का हर कोना अब रोशन, हर दिल में सुकून है।
रात की अंधेरी राहों में जैसे उजाला बिखरा हो,
ये यौम-ए-जम्हूरियत का दिन है, जहाँ हर दिल में उम्मीद का सपना हो।"
हम इस मुल्क की 76 साल की जद्दो-जहद को सलाम करते हैं, और आशा करते हैं कि आने वाले वक्त में हिंदुस्तान और भी तरक्की करेगा
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76वां यौम-ए-जम्हूरियत (यानी गणराज्य दिवस)
वो 76 साल पहले की बात थी, जब अंग्रेजों ने हिंदुस्तान की जंजीरों में जकड़कर उसे अपनी मनमानी जिंदगी जीने पर मजबूर कर दिया था। हर शख्स पर था एक डर, एक घुटन, और कहीं न कहीं सबकी आवाजें दबाई जाती थीं। लेकिन आज वही हिंदुस्तान, वही ज़मीन, वही लोग, एक नई पहचान के साथ खड़ा है।
आज हम ये कहते हैं, कि 76 साल पहले जितनी तकलीफें हम झेल रहे थे, अब वही तकलीफें केवल यादें बनकर रह गई हैं। अब हर शख्स को अपनी आवाज उठाने का हक है, अपनी दिशा तय करने का हक है। हमने अपनी मर्जी की ज़िंदगी जीने का रास्ता खुद चुना, और आज हम पूरी दुनिया में अपना नाम बना चुके हैं।
मज़ेदार बात ये है कि भारत आज हर मोर्चे पर सशक्त हो चुका है। जहां एक वक्त पर यह सोचना भी मुश्किल था कि हम एक मजबूत सैन्य शक्ति बन पाएंगे, आज हमारे पास वो ताकत है कि कोई भी बाहरी ताकत भारत की तरफ आंख उठाकर भी नहीं देख सकती। हमारे सैनिक, हमारे लोग, और हमारी सरकार – सब एकजुट होकर इस देश को हर चुनौती से निपटने के लिए तैयार हैं।
अब बात करें विकास की, तो आज हिंदुस्तान में बड़े-बड़े बिल्डिंग्स, स्मार्ट सिटी, और नई तकनीकी का डंका बज रहा है। जो चीजें पहले महज ख्वाब लगती थीं, वो आज हकीकत बन चुकी हैं। शिक्षा के मामले में हो या विज्ञान, हर जगह हमने अपनी तरक्की का झंडा लहराया है। 76 साल पहले जहां हम हर कदम पर लडाई लड़ रहे थे, वहां अब हर क्षेत्र में हम मजबूत कदम बढ़ा रहे हैं। हर युवा के पास एक मौका है, हर किसी के पास अपने सपनों को पूरा करने का मौका है।
आज अगर हिंदुस्तान खुशहाल है, तो उसका कारण यही है कि हमने खुद को सशक्त किया है, खुद को खुदा के सामने मजबूती से खड़ा किया है। आज हमारे पास इतनी तकनीकी, सैनिक शक्ति, और सामर्थ्य है कि हम अपने देश की रक्षा हर हाल में कर सकते हैं। और यह सब हम सब की मेहनत और एकता का नतीजा है।
तो इस 76वें यौम-ए-जम्हूरियत पर, हम सिर ऊंचा करके कह सकते हैं कि हमारा हिंदुस्तान आज खुशहाल है, एक नये युग में प्रवेश कर चुका है, और उसकी राह अब सिर्फ तरक्की की है।
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